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Saturday, 20 April, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट मामले में लगायी फटकार

मौजूदा समय में, लोकसभा क्षेत्रों की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में एक ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करवाया जाता है.

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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के मिलान के लिए नमूना मशीनों की संख्या बढ़ाई जाने की जरूरत को नकारने पर निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई. आयोग ने जब कहा कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों के मिलान की जहां-जहां व्यवस्था है, वह पर्याप्त है. इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत नहीं है, तब शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी संस्थान बेहतरी के लिए सलाह से खुद को दूर नहीं कर सकता.

मौजूदा समय में, लोकसभा क्षेत्रों की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में एक ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करवाया जाता है.

चुनाव आयोग के उपायुक्त संदीप जैन ने वीवीपैट पर्चियों और ईवीएम के मिलान वाले मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाए जाने का विरोध किया, जिस पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा, ‘न्यायपालिका समेत कोई भी संस्था बेहतरी के लिए किसी भी सलाह को मानने से दूर नहीं भाग सकता.’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर आप इतने अप-टू-डेट हैं, तो फिर चुनाव आयोग खुद क्यों नहीं वीवीपैट लाया. आयोग को अदालत के आदेश के बाद इसे क्यों लाना पड़ा?’

आयोग को यह याद दिलाते हुए कि वीवीपैट शीर्ष अदालत के आदेश के बाद लाया गया था, प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि वीवीपैट की अनिवार्यता को लेकर अदालत को चुनाव आयोग का विरोध झेलना पड़ा था.

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सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति गोगोई ने संदीप जैन से पूछा, ‘क्या आप पर्ची मिलान वाले केंद्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं? हम इसे बढ़ाना चाहते हैं.’

शीर्ष अदालत ने 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर 15 मार्च को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था. विपक्षी पार्टियों ने 50 प्रतिशत तक वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान कराने की व्यवस्था की मांग की थी.

याचिका में अदालत से आग्रह किया गया था कि आम चुनाव नतीजों की घोषणा होने से पहले ईवीएम के 50 प्रतिशत नतीजों का मिलान निश्चय ही वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए.

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