नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आशंका व्यक्त की है कि शायद पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिल पाए. भारत के लंबे चुनाव अभियान के अंतिम पखवाड़े में दाखिल होने के साथ पहली बार पार्टी ने गठबंधन सरकार की संभावना व्यक्त की है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव का सहज अनुमान ये है कि 543 सीटों वाली लोकसभा में उनकी पार्टी स्पष्ट बहुमत से थोड़ा पीछे छूट सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली और पार्टी प्रमुख अमित शाह जैसे अन्य पार्टी नेताओं द्वारा सार्वजनिक तौर पर किए जाने वाले दावों के मुकाबले ये कहीं कम सीटों का अनुमान है.
ब्लूमबर्ग न्यूज़ के प्रधान संपादक जॉन मिकल्थवेट को दिए साक्षात्कार में माधव ने कहा, ‘यदि हम अपने दम पर 271 सीटें हासिल करते हैं, तो हमें बहुत खुशी होगी.’ नई दिल्ली में शनिवार को हुई इस बातचीत में उन्होंने कहा, ‘एनडीए घटक दलों के साथ हमें पर्याप्त बहुमत मिल जाएगा.’
माधव ने कहा कि भाजपा उत्तर भारत के राज्यों में, जहां 2014 में इसे भारी जीत मिली थी, संभावित नुकसान की भरपाई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अतिरिक्त सीटें जीतकर कर लेगी. उन्होंने कहा कि सत्ता में वापसी पर उनकी पार्टी आर्थिक विकास के अनुकूल नीतियों को आगे बढ़ाएगी. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि भाजपा आर्थिक सुधारों को भूल नकदी वितरण की लोकलुभावन योजनाओं पर ध्यान दे रही है.
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पार्टी समर्थक
लेकिन, भारत की कालीन नगरी भदोही के पास एक बंजर ज़मीन पर लगाए गए विशाल शामियाने में मोदी की चुनावी सभा के लिए जुटे 50,000 लोगों में कहीं ज़्यादा उत्साह का भाव दिखा. प्रधानमंत्री के भाषण से पहले उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भीड़ को संबोधित किया.
मौर्य ने पार्टी समर्थकों से कहा, ‘2014 में मोदी लहर थी. 2019 में मोदी सुनामी है.’ उन्होंने कहा, ‘कमल को आपके वोट का मतलब होगा आतंकवादी शिविरों पर 1,000 किलोग्राम वजनी बमों का गिराया जाना.’ वह अपनी पार्टी के निशान कमल का ज़िक्र कर रहे थे जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर अन्य दलों और उम्मीदवारों के निशानों के साथ मौजूद है.
मोदी जब भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर से वहां पहुंचे तो उनका रॉक स्टॉर की तरह स्वागत किया गया.
‘मोदी, मोदी’ का नारा लगाते लोगों से मोदी ने पूछा, ‘भारत की सफलता की वजह क्या है? ये है आपका वोट.’
‘जब भारत ने आतंकवादी शिविरों पर हमले किए तो आपने गर्व का अनुभव किया? क्या मोदी सही कर रहे हैं? क्या हमें इसी रास्ते पर चलना चाहिए?’ भीड़ ने चिल्लाकर कहा, ‘हां.’
पाकिस्तान से बातचीत
पाकिस्तान को लेकर मोदी की सख्त भाषा के बावजूद माधव, जो पार्टी की विदेश नीति संबंधी कतिपय नीतियों को भी देखते हैं, अपने परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी से भारत के रिश्तों को लेकर आशावादी दिखे. उल्लेखनीय है कि फरवरी में दोनों देशों के बीच सैनिक झड़पें हुईं थीं.
माधव ने कहा कि भारत में आत्मघाती हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाले संगठन के नेता मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने से पाकिस्तान को ये साबित करने का मौका दिया है कि वह चरमपंथी संगठनों के खिलाफ़ कार्रवाई कर रहा है.
उन्होंने कहा कि चरमपंथियों के खिलाफ़ पाकिस्तान की विश्वसनीय कार्रवाई से मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बीच एक फलदायक बैठक की संभावना बन सकती है. भारत में 23 मई को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के शीघ्र बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाकात संभव है.
माधव ने कहा, ‘उन्हें दिखाना होगा कि वे आतंकवाद से लड़ने को लेकर गंभीर हैं. मैं ये इसलिए कह रहा हूं कि चुनाव परिणाम आने के तीन सप्ताह बाद हमें एससीओ में भाग लेना है. एससीओ में, प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और प्रधानमंत्री मोदी आमने-सामने होंगे. यह पाकिस्तान के लिए एक अवसर है. यदि एससीओ के आयोजन से पहले अगले करीब एक महीने की अवधि में कुछ विश्वसनीय निकलता है, तो मुझे यकीन है कि संबंधों में कुछ सुधार होगा. पर इसकी ज़िम्मेदारी उनके ऊपर है.’
संयुक्त राष्ट्र में चीन द्वारा आपत्ति उठाना बंद करने के बाद अज़हर को आतंकवादी घोषित किया गया. इस संबंध में माधव ने कहा, ‘मैं समझता हूं चीन ने आखिरकार इस बार मसूद अज़हर पर अपने रवैये के नफ़े-नुकसान पर गौर किया.’
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‘व्यक्तिगत तालमेल’
भारत की विदेश नीति से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबंध मज़बूत होने का है. माधव ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने परस्पर बहुत बढ़िया तालमेल विकसित कर लिया है.’
चीन की विशाल और विवादास्पद बुनियादी ढांचा परियोजना बेल्ट एंड रोड, जिसमें शामिल होने से भारत ने इनकार कर रखा है, के बारे में माधव ने कहा कि संप्रभुता के सवाल के समाधान के बिना कोई समझौता नहीं हो सकता. भारत इस परियोजना पर बहुत पहले ही आपत्ति कर चुका है क्योंकि इसके तहत पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर की लागत से विकसित किए जा रहे बुनियादी ढांचे में विवादित कश्मीर के हिस्सों को भी शामिल किया गया है, जिस पर कि भारत अपना दावा जताता है.
माधव ने कहा, ‘हमारा अब भी यही मानना है कि पूरी परियोजना एकतरफा तौर पर बनाई गई है.’
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