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Saturday, 21 December, 2024
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भावी पीएम या ट्रोलर: राहुल के मोदी पर निजी हमलों ने कांग्रेसियों को किया असहज

कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग मोदी पर राहुल गांधी के व्यक्तिगत हमलों से नाखुश है. वे इसे ना तो कांग्रेस अध्यक्ष पद के अनुरूप मानते हैं और ना ही प्रधानमंत्री पद के भावी उम्मीदवार के.

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नई दिल्ली: राहुल गांधी ने अपने पार्टी सहयोगियों को ये अनुमान लगाने पर विवश कर दिया है कि उनके (राहुल के) रोल मॉडल कौन हैं: पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल? उनके रवैये को लेकर, जो कि बहुतों की नज़र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक तरह से ट्रोल करने जैसा है, कानाफूसी के स्तर पर चर्चा होने भी लगी है.

लोकसभा में ‘भूकंप’ लाने वाले 2016 के भाषण और फिर सहारा की डायरियों में कथित भुगतान के ज़िक्र में पहली बार दिखा राहुल का ये रवैया, मोदी के खिलाफ उनके विभिन्न आरोपों के मद्देनज़र अब एक सामान्य बात लगती है.

पर, कांग्रेसियों के एक वर्ग को असहज बनाया है पार्टी अध्यक्ष के प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत और बेलगाम हमले के तरीके ने.
रफाल लड़ाकू विमान सौदे में घोटाले का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने बारंबार प्रधानमंत्री को ‘चोर’ कहा है और उनके विरुद्ध प्राथिमिकी दर्ज़ किए जाने की मांग की है.

गुरुवार को उन्होंने प्रधानमंत्री को ‘पाकिस्तान का पोस्टर ब्वॉय’ करार दिया कि जिन्होंने (आतंकी हमले के बाद) आईएसआई को पठानकोट आने की अनुमति दी और जो तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पोती की शादी में शामिल होने गए थे.


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इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ट्वीट में कहा, ‘पीएम महोदय, आपको शर्म है कि नहीं? आपने 30,000 करोड़ रुपये चोरी कर अपने दोस्त अनिल को दे दिए.’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘वह एक अक्षम व्यक्ति हैं जो किसी की नहीं सुनता.’

उत्तर प्रदेश के एक पुराने कांग्रेसी ने दिप्रिटं से कहा, ‘एक ज़माना था जब कांग्रेस अध्यक्ष के पद की बड़ी गरिमा होती थी.’
‘राहुल जो कर रहे हैं वो ना तो उनके पद के अनुरूप है और ना ही उस पद के (प्रधानमंत्री का पद) जिसकी वो आकांक्षा रखते हैं. आप प्रधानमंत्री को अपशब्द नहीं कह सकते. लोग इस बात को ठीक नहीं मानते.’

वी.पी. सिंह या केजरीवाल मॉडल?

कांग्रेस पार्टी में कुछ लोगों का मानना है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर अपने हमले को लेकर, किसी रणनीति के बगैर, बेहद आश्वस्त हैं.

सोनिया गांधी की कोर टीम में रह चुके कांग्रेस के एक नेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘उनके (राहुल के) रोल मॉडल वी.पी. सिंह हैं. उन्हें लगता है कि किसी भी तरीके से मौजूदा प्रधानमंत्री को ध्वस्त करने के बाद ही उनके लिए कोई उम्मीद है. लेकिन इस रणनीति के पीछे कोई गंभीर चिंतन नहीं है कि लोग इसे किस रूप में देखेंगे या उनकी खुद की छवि पर इसका क्या असर पड़ेगा.’

राजीव गांधी मंत्रिमंडल के प्रमुख सदस्य वी.पी. सिंह की प्रधानमंत्री से अनबन हो गई थी और उन्होंने बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोप लगाते हुए मंत्रिमंडल छोड़ दिया था. वह जनसभाओं में एक कागज लहराते हुए दावा किया करते थे कि उस पर स्विस बैंक के उस खाते का नंबर लिखा है जिसमें कथित दलाली के पैसे जमा किए गए हैं.

कांग्रेस का एक अन्य पदाधिकारी इसे दूसरे नज़रिए से देखता है: ‘उन्हें यह तय करना होगा कि खुद को वे केजरीवाल की तरह पेश करना चाहते हैं या (अटल बिहारी) वाजपेयी की तरह. यदि उन्हें लगता है कि केजरीवाल की तरह आक्रामक होना कारगर है, तो ये उनका अपना फैसला है.’

राहुल गांधी को करीब से जानने वाले एक प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक ने दिप्रिंट से कहा कि ‘बेतुके आरोपों की संस्कृति’ भाजपा और मोदी ने शुरू की है, पर कांग्रेस अध्यक्ष को वही रवैया नहीं अपनाना चाहिए.

अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘सर्वप्रथम, मोदी की एक हद तक लोकप्रियता है. मसलन, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर उन्हें जनता का बेहतर विश्वास प्राप्त है. इसलिए उनके बेसिरपैर के आरोपों को भी कुछ न कुछ स्वीकार्यता मिल जाती है.’

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के संवाद कौशल का स्तर ‘कोई खास’ नहीं है, और उन्हें बस ये कहना चाहिए था कि वह राष्ट्रीय आमसहमति के पक्षधर हैं और वह मोदी की आलोचना नहीं करेंगे, भले ही मोदी ऐसा करते हों.

राजनीतिक विश्लेषक ने आगे कहा, ‘इससे राहुल गांधी का कद बढ़ता. इसकी बजाय, वह मोदी को जवाब देते हुए उनके जाल में फंस गए हैं. मोदी बिल्कुल यही चाहते थे. राहुल गांधी को राजनीति का सहज बोध या ज़मीनी राजनीतिक की समझ नहीं है.’

सोशल मीडिया से अतिउत्साहित?

कांग्रेस के नेताओं, राजनीतिक विश्लेषकों और प्रेक्षकों में इस बात पर सहमति है कि सोशल मीडिया पर अपने बढ़े कद से राहुल गांधी अतिउत्साहित हो गए हैं, और वह व्यापक परिदृश्य नहीं देख रहे हैं.

कांग्रेस के एक पूर्व महासचिव ने कहा, ‘उनका रवैया छात्र संघ का चुनाव लड़ने वाले किसी नेता जैसा है. मोदी अपनी लोकप्रियता के सहारे अपनी शैली की राजनीति चला सकते हैं, पर एक युवा नेता के तौर पर राहुल प्रधानमंत्री की बात करते हुए इतने अशिष्ट और असभ्य नहीं हो सकते.’

पर, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी पार्टी अध्यक्ष की तमाम आलोचनाओं को खारिज कर देते हैं: ‘सरकार में बैठे लोग श्रीमती गांधी और उनके (राहुल के) बारे में वर्षों से असंयमित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

‘मोदी के संयमित होने के बारे में क्या कहेंगे? राजनीतिक विरोधियों के लिए उनके द्वारा इस्तेमाल भाषा को तो देखें. विपक्ष को आक्रामक होना पड़ेगा, ख़ास कर ऐसी परिस्थिति में जब मीडिया, विशेष कर टीवी, का एक बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ पार्टी के नियंत्रण में हो.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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