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Friday, 26 April, 2024
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बिहार के विधायक दिल्ली दरबार पहुंचकर लगा रहे हैं लोकसभा चुनाव लड़ने का जुगाड़

कई विधायकों ने कर लिए हैं टिकट फाइनल, कई विधायक भाजपा को छोड़कर अन्य घटक दलों की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने की प्रतीक्षा में.

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पटना: पिछले लोकसभा चुनावों की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी कई विधायक और विधान पार्षद भी लोकसभा पहुंचने की जुगाड़ में हैं. पटना से दिल्ली जाने की चाहत में लगे ये विधायक पटना से लेकर ‘दिल्ली दरबार’ तक में हाजिरी भी लगा रहे हैं.

सूत्रों का मानना है कि कई विधायकों के तो टिकट फाइनल कर लिए गए हैं, फिर भी कई विधायक भाजपा को छोड़कर अन्य घटक दलों की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने की प्रतीक्षा में हैं.

बिहार में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का मुख्य मुकाबला विपक्षी दलों के महागठबंधन से माना जा रहा है, लेकिन महागठबंधन में उम्मीदवारों की बात तो दूर, अभी तक सीट बंटवारे पर ही संशय बरकरार है. ऐसे में महागठबंधन में शामिल दलों के संसद बनने की इच्छा रखने वाले विधायकों को सीट बंटवारे को लेकर भी प्रतीक्षा है.

सूत्रों का दावा है कि बिहार के तीन मंत्री, जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस अब पटना के विधानसभा की गलियारों से निकलकर संसद में जाने के लिए प्रयासरत हैं.

जद (यू) के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि ललन सिंह को मुंगेर से टिकट मिलना तय है. उन्होंने कहा कि ललन सिंह के मुंगेर से लड़वाने के कारण ही लोजपा को मुंगेर सीट छोड़नी पड़ी.

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इधर, लोजपा का भी कहना है कि रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से चुनाव के लिए प्रबल दावेदार हैं. लोजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान इस लोकसभा में चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुके हैं, ऐसे में पार्टी पारस को हाजीपुर से उम्मीदवार बन सकती है.

हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी इस चुनाव में गया से उम्मीदवार बनने के लिए रांची से लेकर पटना की दौड़ लगा रहे हैं. हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि मांझी पार्टी के न केवल प्रमुख हैं, बल्कि पार्टी ने प्रत्याशियों के चयन के लिए उन्हें ही अधिकृत कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि उनका चुनाव लड़ना तय है.

इधर, राजद के विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी, विधायक आलोक कुमार मेहता तथा मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र भी दिल्ली पहुंचने की जुगाड़ में हैं. भाई वीरेंद्र ने तो पिछले दिनों पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी थी. इस संबंध में पूछे जाने पर भाई वीरेंद्र खुलकर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि पार्टी जो जिम्मेवारी उन्हें देगी, उसका वे निर्वहन करेंगे.

राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के चेनारी से विधायक ललन पासवान भी चुनाव लड़ने की दौड़ में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा चुनाव लड़ने की है. विधायक ललन पासवान ने साफ कर दिया है कि वे हर कीमत पर सासाराम सीट से चुनाव लड़ेंगे. ललन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘अगर मुझे टिकट नहीं मिला तो इसका खामियाजा राजग को उठाना पड़ सकता है. टिकट न मिलने की स्थिति में मैं कोई भी कदम उठा सकता हूं.’ वर्तमान समय में भाजपा के छेदी पासवान सासाराम से सांसद हैं.

गौरतलब है कि रालोसपा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के राजग को छोड़कर महागठबंधन में जाने के बाद ललन पासवान सहित दो विधायक और एक विधान पार्षद राजग के साथ ही हैं. वैसे, यह कोई पहला मौका नहीं है कि विधायक या विधान पार्षद दिल्ली जाने की तैयारी में हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों ने करीब दो दर्जन से ज्यादा विधायकों और विधान पार्षदों को चुनाव मैदान में उतारा था, इनमें से कई दिल्ली पहुंच भी गए थे.

लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने विधायक अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल, विधायक छेदी पासवान को टिकट थमाया था और ये सभी विजयी भी हुए थे. इसी तरह जद (यू) विधायक रहे उदय नारायण चौधरी, जीतन राम मांझी सहित कई विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा था. राजद ने भी विधान पार्षद राबड़ी देवी सहित कई विधायकों को लोकसभा चुनावी अखाड़ा में उतारा था.

बहरहाल, अभी तक दोनों गठबंधनों ने अब तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. ऐसे में उम्मीदवार घोषित होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि किसी विधायक और विधान पार्षद की दिल्ली जाने की महत्वकांक्षा पर उनका दल मुहर लगाता है या नहीं?

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