नई दिल्ली: मायावती ने अपने ताज़ा बयान में महागठबंधन के एक-एक वोट कांग्रेस को मिलने की उम्मीद जताई है. उन्होंने ये उम्मीद कांग्रेस के अमेठी और रायबरेली जैसे गढ़ की दो सीटों के लिए जताई है. मायावती ने कहा, ‘उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके गठबंधन का एक-एक वोट हर हालत में दोनों कांग्रेस नेताओं (राहुल गांधी और सोनिया गांधी) मिलने वाला है.’
इस सिलसिले में मायावती ने कहा, ‘हमने देश में, जनहित में ख़ासकर बीजेपी-आरएसएसवादी ताकतों को कमज़ोर करने के लिए यूपी में अमेठी-रायबरेली लोकसभा सीटों को कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ दिया. इन सीटों को इसलिए छोड़ दिया ताकि इसके दोनों सर्वोच्च नेता दोनों सीटों से फिर से चुनाव लड़ें और इन दोनों सीटों में उलझ कर ना रह जाएं.’
Mayawati: Humne desh mein, janhit mein khaskar BJP-RSS wadi takaton ko kamzor karne ke liye UP mein Amethi-Raebareli LS seat ko Congress party ke liye isiliye chhod diya taki iske dono sarvoch neta dono seaton se hi phirse chunav lade aur in dono seaton mein ulajh kar na reh jaye pic.twitter.com/3whOFcrxLO
— ANI UP (@ANINewsUP) May 5, 2019
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो ने आगे कहा, ‘अगर इन सीटों को छोड़ा नहीं जाता तो बीजेपी यूपी के बाहर इसका ज़्यादा फायदा उठा लेती.’ वो कहती हैं कि इसे ही ख़ास तौर से ध्यान में रखकर उनके गठबंधन ने दोनों सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी थीं. फिर वो कहती हैं, ‘मुझे पूरी उम्मीद थी कि हमारे गठबंधन का एक-एक वोट हर हालत में दोनों कांग्रेस नेताओं को मिलने वाला है.’
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में इस बात की चर्चा और राजनीतिक कवायद लंबे समय तक चलती रही कि कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा होगी. लेकिन सीटों के बंटवारे पर असहमति की वजह से ऐसा नहीं हो पाया और कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाई. ये बावजूद इसके हुआ कि यूपी के 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. हालांकि, ये गठबंधन भाजपा से बुरी तरह से ये चुनाव हार गया था.
गठबंधन नहीं होने के बावजूद अमेठी और रायबरेली जैसे कांग्रेस के गढ़ में सपा-बसपा के महागठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारे. हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि इससे पहले भी कांग्रेस की इन मज़बूत सीटों पर सपा-बसपा द्वारा उम्मीदवार नहीं उतारे जाने की परंपरा रही है. एक तरफ जहां अमेठी की सीट राहुल गांधी की पारंपरिक सीट रही है, वहीं दूसरी तरफ रायबरेली की सीट सोनिया गांधी का पारंपरिक सीट रही है. इस चुनाव में पहली बार राहुल गांधी दो सीटों से लड़ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के अमेठी के अलावा राहुल केरल के वायनाड की सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. अमेठी की सीट पर राहुल का मुकाबला भाजपा की स्मृति ईरानी से है. पिछले चुनाव में ईरानी ने इस सीट से राहुल को ठीक-ठाक चुनौती दी थी. जब राहुल गांधी द्वारा वायनाड की सीट से लड़े जाने का फैसला किया गया तो भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी, स्मृति ईरानी से डर गए. लेकिन इस चुनाव में भी ऐसा संभावना नहीं है कि ईरानी ये सीट राहुल गांधी से छीन लेंगी. इसकी एक बड़ी वजह मायावती की ये अपील भी है जिसमें वो गठबंधन का एक-एक वोट कांग्रेस को दिए जाने की अपील कर रही हैं.