नई दिल्ली: आम चुनाव में विवादित बयानों की बहार सी आ गई है. कल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह का एनआरसी पर दिया गया बयान अभी विवादों में घिरा ही था कि पार्टी की एक और नेता ने खुलआम मुसलमानों को धमकी दे दी. ऐसा करने वाला कोई और नहीं, बल्कि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी हैं. उन्होंने सीधी धमकी देते हुए कहा, ‘वो (मुसलमान) काम के लिए आएंगे तो उनके साथ वही होगा जो वो वोट देते समय मेनका के साथ करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘मैं जीत रही हूं. लोगों की मदद और प्यार से मैं जीत रही हूं. लेकिन अगर मेरी जीत मुसलमानों के बिना होगी तो मुझे बहुत अच्छा नहीं लगेगा. क्योंकि इतना मैं बता देती हूं कि दिल खट्टा हो जाता है.’ इसके बाद उन्होंने कहा कि फिर जब मुसलमान काम के लिए आता है तो फिर वो सोचती हैं कि नहीं, रहने ही दो क्यो फर्क पड़ता है?
बेहद औसत दर्ज़े की अभिव्यक्ति का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर नौकरी एक सौदेबाज़ी भी तो होती है. गांधी ने सवाल उठाया, ‘ये बात सही है कि नहीं? क्योंकि ऐसा तो है नहीं कि हम महत्मा गांधी की छटी औलाद हैं. ऐसा तो नहीं है कि हम (नौकरी) देते ही जाएंगे-देते ही जाएंगे और फिर चुनाव में मार खाएंगे.’
वहीं उन्होंने इस बात को समझने का भार जनता पर डालते हुए कहा कि ये सही बात है या नहीं, ये जनता को पहचानना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘ये जीत आपके बिना भी होगी, आपके साथ भी होगी और ये चीज़ आपको सब जगह फैलानी पड़ेगी.’
उन्होंने भावनात्मक लहज़े में कहा कि वो दोस्ती का हाथ लेकर आई हैं. वहीं, लोगों से अपली करते हुए कहा, ‘आप पीलीभीत में पूछ लें और पीलीभीत का एक भी बंदा…आप फोन पर पूछ लें कि मेनिका गांधी कैसे थीं वहां पर और अगर आपको लगे कि हमसे गुस्ताख़ी हो गई तो हमें वोट मत देना.’
इसके बाद उन्होंने सीधी धमकी देते हुए कहा, ‘अगर आपको लगे कि हम ख़ुले दिल और ख़ुले हाथ के साथ आए हैं और आपको कल मेरी ज़रूरत पड़ेगी तो ये चुनाव तो मैं पार कर चुकी हूं. लेकिन आपको अगर लगे कि आपको मेरी ज़रूरत पड़ेगी और आपको उसके लिए नींव डालनी है तो यही वक्त है.’
इसके बाद तो उन्होंने अति कर दी और कहा कि आपके पोलिंग बूथ का जब नतीजा आएगा और उसमें 100 वोट निकलेंगे या 50 वोट निकलेंगे और बाद में आप काम के लिए आएंगे तो आपके साथ भी यही होगा. और धमकी के असर को भंपाने के लिए उन्होंने सवाल उछालते हुए पूछा, ‘समझ गए आप लोग?’
आपको बता दें कि मेनका के बेटे वरुण गांधी ने भी एक बार एक चुनाव अभियान के दौरान मुसलमानों का हाथ काट लेने की बात कही थी. यही नहीं, मेनका के पति और वरुण के पिता संजय गांधी पर भी ऐसे आरोप लगे हैं कि जब उनकी मां इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल लगाया था तो उन्होंने इस समुदाय के लोगों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी. वरुण और संजय गांधी ने जो किया वो तो इतिहास है लेकिन देखने वाली बात होगी कि क्या चुनाव आयोग मेनका की इस सीधी धमकी का संज्ञान लेता है या नहीं?