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Monday, 2 December, 2024
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वंशवाद को देश ने सिरे से नकारा, भारत में इस बार नामदार की जगह कामदारों की जीत

2019 लोकसभा चुनाव में वंशवाद की राजनीति को देश की जनता नेे नकार दिया है. यहां तक की राहुल गांधी अपने परिवार के गढ़ अमेठी से भी हार गए.

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नामदार और कामदार की लड़ाई जो इन चुनावों में लगातार मुद्दा बना रहा है और इसके साथ ही जनता ने अपने ‘मन की बात’ 2019 लोकसभा चुनावों में सुना दी है. लोगों ने साफ संदेश अपने नेताओं को दिया है कि वंशवाद की उसको कदर नहीं है. जो अपने बूते पर राजनीति में आ रहे हैं उन्हीं की कद्र है. यहां तक की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पुत्र और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी भी अमेठी की अपनी खानदानी सीट पर भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए हैं.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का जोधपुर में भाजपा के गजेन्द्र सिंह शेखावत से थी. जोधपुर में गहलोत ने अपने पुत्र को जिताने के लिए जी जान लगा दी. मीडिया में आई खबरों को मानें तो वैभव के प्रचार में गहलोत ने 193 सभाएं की लेकिन केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री, शेखावत ने भारी मतों से जीत हासिल की.

जसवंत सिंह जो कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद में मंत्री रहे. उनके पुत्र उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस ज्वायन की थी और बाडमेर से चुनाव लड़ा था. भाजपा के कैलाश चौधरी के हाथों उनको हार मिली.


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मुम्बई साउथ से मिलिंद देवड़ा चुनाव अरविंद गणपति सावंत से लगभग एक लाख वोटों से हार गए है. शिव सेना के अरविंद गणपथ सावंत ने उन्हें पटखनी दी. गौर करने की बात है कि मुकेश अंबानी और उदय कोटक ने मुरली देवरा के पुत्र मिलिंद के लिए वोट करने की अपील भी की थी. अपने वीडियो संदेश में मुकेश अंबानी ने कहा था, ‘मिलिंद को दक्षिण मुम्बई के बारे में गहरी जानकारी है -यहां का सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक माहौल को वो समझते है.’

अजीत पवार के पुत्र पार्थ पवार को अपने पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वहीं मवाल की सीट दादा शरद पवार ने उनके लिए छोड़ी थी. पर खानदान के नए चेहरे को जनता ने सिर माथे नहीं बिठाया. शिवसेना के श्रीरंग बर्ने के हाथों वे एक लाख से ज्यादा वोटों से हारे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हारे

वहीं मध्यप्रदेश के ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया कृष्णपाल सिंह- डॉ के पी यादव से गुना लोक सभा सीट से एक लाख से ज्यादा वोटों से हार गए है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता, केंद्रीय मंत्री रहे माधवराव सिंधिया के पुत्र के ज्योतिरादित्य की हार अपने घर और गढ़ से हार बड़ी अकाल्पनिक परिघटना है.

आरजेडी नेता, लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलीपुत्र सीट में हार गई है. लालू परिवार से लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने के लिए वे चुनाव लड़ रही थीं. उनका मुकाबला भाजपा के राम कृपाल यादव से था, जो पहले लालू प्रसाद के बहुत करीबी थे और बाद में पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे.

तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव की पुत्री के कविता तेलंगाना की निज़ामाबाद सीट से भाजपा के धर्मापुरी अरविंद से हार गईं है.

विंध्यांचल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह के पुत्र और मप्र विधानसभा में पूर्व नेता विपक्ष अजय सिंह की भाजपा की रीती पाठक के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

जनता दल (एस) से निखिल गौड़ा जो कि एचडी देवेगौडा को पौत्र और एचडी कुमार स्वामी के पुत्र, स्वतंत्र उम्मीदवार सुमालथा से एक लाख से उपर मतों से हार गए है.

इन नतीजो से साफ है कि मोदी के कामदार की भावना नामदारों के राज पर भारी पड़ी. जनता को बार बार बताया गया कि उनका नेता उनके बीच का कोई होना चाहिए, जो उनके दुख दर्द को समझे और वक्त बेवक्त काम आए. वहीं बड़े घरों और पुश्तैनी परिवारों की राजनीति पर पकड़ ढीली पड़ी है

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