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Thursday, 25 April, 2024
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2019 लोकसभा रिज़ल्ट: दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा आगे, त्रिकोणीय मुक़ाबले सभी को पछाड़ा

गठबंधन असफल रहने के बाद भाजपा के ख़िलाफ़ कांग्रेस-आप दोनों ही ने दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों से अपने उम्मीदवार उतारे. सभी सातों सीटों पर भाजपा आगे चल रही है.

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नई दिल्ली:देश की राजधानी दिल्ली में सातों सीटों पर एकबार फिर भाजपा आगे है. सातों सीटों पर चांदनी चौक में हर्ष वर्धन का सीधा मुकाबला जय प्रकाश अग्रवाल के बीच है. और हर्ष वर्धन आगे हैं..वहीं पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर, कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली से आगे चल रहे हैं. जबकि न्यू दिल्ली मिनाक्षी लेखी और अजय माकन के बीच सीधा मुकाबला है जिसमें मिनाक्षी माकन को पछाड़ रही हैं. और वह करीब 20583 वोटों से आगे हैं.

वहीं उत्तर पूर्व दिल्ली से दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बीच सीधा मुकाबला है. और वहां भी तिवारी शीला को करीब 51014 वोटों से आगे चल रहे हैं. जबकि नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से हंसराज हंस आम आदमी पार्टी के गुग्गन सिंह को पछाड़ दिया है. वह करीब 56092 वोटों से आगे हैं. जबकि दक्षिणी दिल्ली और वेस्ट दिल्ली में भी भाजपा के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा अपने प्रतिद्वंद्वी क्रमश: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के महाबल मिश्रा से आगे चल रहे हैं.


सुबह 11 बजे तक के रुझानों में भाजपा आगे


 

देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव शुरू होने तक जो एक मुद्दा छाया रहा वो था कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के गठबंधन का. आप का ज़ोर अंतिम क्षण तक इसके ऊपर रहा कि किसी भी तरह से कांग्रेस संग गठबंधन हो जाए. लेकिन दोनों पार्टियों की खींचातानी की वजह से ये संभव नहीं हो पाया. गठबंधन नहीं होने की वजह से वोट बंटने का डर था और ये डर भी था कि इससे भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा.

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गठबंधन असफल रहने के बाद भाजपा के ख़िलाफ़ कांग्रेस और आप दोनों ही ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों से अपने उम्मीदवार उतारे. एग्ज़िट पोल्स ने तो भाजपा को सातों सीटों पर सफलता का दावा किया है. और दिल्ली के बारे में ये कहते हैं कि जिसे यहां सातों सीटें मिलती हैं वो देश पर राज करता है. ये सच भी है.

क्या है 2014 और 2004 का इतिहास

इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल की थी और केंद्र में पांच सालों तक उसी की सरकार रही. यही बात 10 साल तक यूपीए का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस के लिए भी ठीक बैठती है. 2009 में कांग्रेस ने दिल्ली की सातों सीटें जीती थीं. वहीं 2004 में कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी.

अंतिम क्षण तक आप और कांग्रस के बीच गठबंधन की कोशिशों की चर्चा बनी रही और भाजपा के प्रत्याशियों की सूचि भी काफी देर से आई. यहां नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से  दलित नेता उदित राज की जगह गायक हंस राज हंस को भाजपा ने  खड़ा कर बगावत के स्वर पैदा किए. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित ने कांग्रेस में उम्मीदवार के रुप में खड़े हो कर चुनाव में रुचि पैदा कर दी. आप की आतिशी, राघव चड्डा और दिलीप पांडे जैसे उम्मीदवार मीडिया में बने रहे और इनके लिए बॉलीवुड अदाकारा स्वरा भास्कार और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी जैसे लोग कैंपेन करने आए. चुनावों के नतीजे काफी हद तक राष्ट्रीय राजनीति में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की स्थिति तय करेगी. वहीं, भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत दिल्ली के बाकी के सात भाजपा सांसदों ने पीएम मोदी और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगा.

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