लखनऊः आखिरी चरण के चुनाव करीब आते ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. पिछले दिनों से वह लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर सीधे निशाना साध रही हैं. वह मोदी पर निजी हमले करने से भी नहीं चूक रही हैं. ये हमले केवल रैली के मंच पर ही नहीं बल्कि प्रेस काॅन्फ्रेंस व सोशल मीडिया के जरिए भी हो रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अचानक मोदी पर इतने तीखे वार करने की वजह क्या है-
क्या बोला मायावती ने
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘वह गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर लंबे समय तक काबिज रहे हैं. उनका कार्यकाल मेरे यूपी के सीएम के कार्यकाल से अधिक लंबा रहा है. मैं उन्हें कहना चाहती हूं कि उनके कार्यकाल पर भाजपा और देश में सांप्रदायिकता का काला धब्बा लगा है जबकि मेरे कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में न तो दंगा हुआ और न फसाद.’
इससे पहले मंगलवार को भी उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा था कि आरएसएस भी मोदी का साथ छोड़ चुका है. सोमवार को तो उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया था कि राजनीतिक स्वार्थ की वजह से उन्होंने पत्नी को छोड़ दिया. प्रेस कांफ्रेंस कर मायावती ने कहा, ‘ये दूसरों की बहन-बेटियों की इज़्ज़त करना क्या जानें, जब ये अपने राजनीतिक स्वार्थ में ख़ुद की बेकसूर पत्नी तक को भी छोड़ चुके हैं.’ बीएसपी सुप्रीमो ने पूरे देश की महिलाओं से अपील की कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वोट न करें.
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जनता को वरगलाने के लिए देश ने अबतक कई नेताओं को सेवक, मुख्य सेवक, चायवाला व चौकीदार आदि के रूप में देखा है। अब देश को संविधान की सही कल्याणकारी मंशा के हिसाब से चलाने वाला शुद्ध पीएम चाहिए। जनता ने ऐसे दोहरे चरित्रों आदि से बहुत धोखा खा लिया है अब आगे धोखा खाने वाली नहीं है।
— Mayawati (@Mayawati) May 14, 2019
खुद को मोदी के टक्कर में लाने की होड़
बसपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती को त्रिशंकु नतीजे की उम्मीद है. ऐसे में वह खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार के तौर पर पेश करना चाहती हैं. वहीं दूसरी ओर जानकारों का ये भी कहना है कि आखिरी चरण की नजदीकी लड़ाई में मायावती की चिंता कोर वोटों में सेंध लगने से बचाने की है.
2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दलित वोटों में भी काफी सेंधमारी की थी. अब एक बार फिर पूर्वांचल में बीजेपी की ऐसी ही प्लानिंग है जिसे मायावती सफल नहीं होने देना चाहती हैं
इसके अलावा वह महिला होने के नाते महिला वोटरों को भी साध रही हैं. इसी कारण मोदी पर निजी हमले भी किए.
पीएम श्री मोदी सरकार की नैया डूब रही है, इसका जीता-जागता प्रमाण यह भी है कि आरएसएस ने भी इनका साथ छोड़ दिया है व इनकी घोर वादाखिलाफी के कारण भारी जनविरोध को देखते हुए संघी स्वंयसेवक झोला लेकर चुनाव में कहीं मेहनत करते नहीं नजर आ रहे हैं जिससे श्री मोदी के पसीने छूट रहे हैं।
— Mayawati (@Mayawati) May 14, 2019
जाटव-गैर जाटव दोनों को साधने की कोशिश
बीएसपी से जुड़े सूत्रों का ये भी कहना है कि मोदी पर निजी हमला बोलकर मायावती की रणनीति अपने वोटरों को यह संदेश देने की है कि वह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और बीजेपी चुनाव हार रही है. कोर वोटरों को जोड़े रखने और जमीन पर गठबंधन के गणित को और मजबूत करने के लिए यह संदेश जरूरी भी है. यूपी में बीजेपी ये परसेप्शन बनाने में कामयाब रही है कि गैर जाटव वोट मायावती से छिटक कर बीजेपी की ओर आया है. मायावती इस धारणा को बदलना चाहती हैं.
बीजेपी राहुल-अखिलेश पर अधिक हमलावर
एक तरफ मायावती तो मोदी पर जमकर निशाना साध रही हैं लेकिन उनको लेकर बीजेपी की ओर से वैसी प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. पीएम मोदी ने भी अपनी रैलियों में राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा लेकिन मायावती पर निजी हमले करने से बचते दिखे. जानकारों की मानें तो बीजेपी को इस बात का अंदाजा है कि तीखे हमले करने से दलित वोट छिटक सकते हैं इसलिए बीजेपी मायावती पर उतनी आक्रामक नहीं है.
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तीसरे मोर्चे के सहारे सत्ता तक पहुंचने की जंग
बसपा सुप्रीमो मायावती व तेलंगाना सीएम केसीआर गैर कांग्रेस-गैर भाजपा सरकार के पक्षधर हैं. दोनों पीएम की रेस में भी शामिल हैं. दोनों का मानना है कि अगर भाजपा बहुमत नहीं ला पाती तो कांग्रेस भी अकेले बहुमत नहीं ला रही. नतीजे त्रिशंकु ही आएंगे. इसी कारण दोनों अपने-अपने तरीके से रणनीति बनाने में लगे हैं. दूसरे क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले मायावती का पलड़ा भारी भी दिखाई देता है. इसका कारण है कि यूपी में 80 लोकसभा सीटे हैं. राजनीति में जानकार भी कहते हैं कि केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है.