नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत देश में हो रहे आम चुनाव पर नजर रखने वालों ने देश के 400 मिलियन स्मार्टफोन उपभोक्ताओं को चुनाव में होने वाले भ्रष्टाचार और फेक न्यूज को लेकर अगाह किया है.
भारत का चुनाव आयोग एक दर्जन मोबाइल ऐप्लिकेशन सामने लाया है जिससे लोगों को चुनाव के दौरान बांटे जाने वाले रुपये, वोटरों को डराने के साथ ही सोशल मीडिया और चैट प्लैटफार्म पर फैलने वाली फर्जी खबरें जैसी घटनाओं पर आपत्ति दर्ज कराने में मदद मिले.
वॉचडॉग के नए आंकड़ों के अनुसार, विजिल ऐप ने 70,000 से अधिक चुनाव अभियान उल्लंघन की रिपोर्ट दे चुका है, जो कि आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, और जिसमें से दो-तिहाई से अधिक रिपोर्ट्स को वैध पाया गया है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि फर्जी खबरों की कितनी रिपोर्ट मिली है.
चुनाव की देखरेख करने वाले पर्मानेंट कर्मचारियों की संख्या केवल 400 है. जिनके ऊपर देश के लगभग 90 करोड़ लोगों के मतदान की जिम्मेदारी रहती है. आयोग कई सारे लोग जैसे शिक्षक और पुलिस अधिकारियों को भी इस काम में मदद लेने के लिए लगाता है. विश्व की सबसे बढ़ती हुई स्मार्टफोन मार्केट में जब भी चुनाव प्रचार को लेकर किसी तरह के उल्लंघन की खबरें आती हैं तो आयोग उससे निपटने के लिए तैयार नहीं है.
अभी तक सामने आई घटनाओं में 34.7 मिलियन रुपये से भरा एक बैग एक बस में पकड़ा गया. वहीं 18 मिलियन रुपये से भरा एक बैग सरकारी फार्म हाउस के पार्किंग में मिला.
बहुत सारे देशों की तरह, भारत भी फेक न्यूज से संघर्ष कर चुका है. लेकिन पीऊ रिसर्च सेंटर के एक सर्वे में ये सामने आया है कि 39 फीसदी लोगों ने बताया कि मोबाइल फोन से राजनीति पर सकरात्मक प्रभाव पड़ा है. वहीं 21 फीसदी लोगों को लगता है कि उन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है.
पिछले महीने चुनाव की निगरानी रखने वाले लोगों ने वाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया की प्रतिनिधि कंपनियाों से मुलाकात कर उन्हें अपने मंच का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सहित मानक स्थापित करने के लिए कहा.
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