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Thursday, 25 April, 2024
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फतेहपुर सीकरी में केवल भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला नहीं, राज बब्बर का भविष्य भी होगा तय

प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद ये लोकसभा चुनाव कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का यूपी की सियासत में भविष्य तय करेगा. इसमें सबसे अहम नाम राज बब्बर का है.

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आगरा: फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का गडसानी गांव…दोपहर के दो बजे..कड़ी धूप में खड़े कुछ ग्रामीण यहां राज बब्बर के आने का इंतजार कर रहे थे, जब उनसे पूछा कि वह यहां किसका इंतजार कर रहे हैं तो जवाब था -‘राज गब्बर’ . दरअसल यहां राज बब्बर के कई नाम सुनने को मिलेंगे. कोई उन्हें राज गब्बर कहता है कोई बब्बर साहब तो कोई राज सर. इस सीट पर राज बब्बर कांग्रेस से ज्यादा अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं और ताक पर है यूपी की सियासत में उनका भविष्य.

यूपी में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद ये लोकसभा चुनाव कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का यूपी की सियासत में भविष्य तय करेगा. इसमें सबसे अहम नाम उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर का. इस बार वह फतेहपुर सीकरी से चुनाव मैदान में हैं. उनकी जीत या हार के कई मायने होने वाले हैं.

कांग्रेस- भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला

सहारनपुर के बाद फतेहपुर सीकरी ऐसी लोकसभा सीट है जिस पर कांग्रेस अपना पूरा दम लगाती दिख रही है. राज बब्बर का पूरा परिवार भी उनके लिए जुट गया है. यहां राज बब्बर का मुकाबला भाजपा के राज कुमार चाहर और गठबंधन के गुड्डू पंडित से है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाबू लाल ने बसपा की सीमा उपाध्याय को हराया था. इस बार सीमा उपाध्याय के न लड़ने के कारण जानकार इसे राज बनाम राज (राज बब्बर बनाम राज कुमार चहर) की टक्कर के तौर पर देख रहे हैं.

फतेहपुर सीकरी सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा. लोकसभा चुनाव 2014 में फतेहपुर सीकरी से भाजपा के बाबूलाल ने बसपा को सीमा उपाध्याय को करीब 1,73,106 वोट से हराया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने राजकुमार चाहर को टिकट दिया है. बाबूलाल के कई समर्थक अब राज बब्बर के साथ आ गए हैं. वहीं पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय के चुनाव न लड़ने से बसपा के कई नाराज नेताओं को भी राज बब्बर ने अपने साथ जोड़ लिया. इसके बावजूद राज बब्बर की राह इतनी आसान नहीं दिख रही. यहां मोदी फैक्टर भी अहम है. राज बब्बर के चुनाव प्रचार के दौरान ही कई जगह उनके सामने ही कुछ युवाओं मोदी-मोदी के नारे लगाए. राज बब्बर उनसे बिना कुछ बोले वहां से आगे बढ़ गए.

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जारी किया लोकल मुद्दों पर घोषणा पत्र

कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने फतेहपुर सीकरी के लिए अपना अलग घोषणा पत्र जारी किया है. इसमें आलू किसानों को समर्थन मूल्य देने के लिए एक व्यापक योजना लाने को कहा है. इसके अलावा बाह, फतेहाबाद, आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी और खेरागढ़ क्षेत्र में फसलों और सब्जियों के लिए लिए कोल्ड स्टोरेज इकाइयों का निर्माण करेंगे.
फतेहपुरसीकरी क्षेत्र में मौजूद लेदर फुटवियर इंडस्ट्री के विकास हेतु योजना बनाएंगे. साथ ही क्षेत्र में महिला विवि स्थापित करने का प्रयास करने को भी वादा किया है.

राज बब्बर का जनता दल से कांग्रेस तक का सफर

1989 में जनता दल से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले राज बब्बर 1994 में सपा में, शामिल हुए फिर 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में आगरा से चुनाव जीता, लेकिन तब वह सपा के टिकट से चुनाव लड़े थे. साल 2006 में सपा छोड़ने के बाद राज बब्बर 2008 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद 2009 में उन्होंने फिरोजाबाद सीट का उपचुनाव जीता. 2014 में वह गाजियाबाद से चुनाव लड़े और बुरी तरह हार गए.

जीत -हार के क्या हैं मायने

2015 में राज बब्बर को यूपी कांग्रेस का चीफ बनाया गया.उनके नेतृत्व में कांग्रेस यूपी में 2017 विधानसभा चुनाव में महज 7 सीटें जीत पाई. नगर निकाय चुनाव में भी प्रदर्शन खराब रहा. राज बब्बर पर तमाम सवाल उठे. इस बीच यूपी में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद कहा जाने लगा कि राज बब्बर को उनके पद से मुक्त किया जा सकता है. लेकिन लोकसभा चुनाव तक इस पर फैसला टाल दिया. अब राज बब्बर की जीत -हार काफी मायने रखती है. कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो अगर वह जीतते हैं तो उनकी गद्दी बरकरार रहेगी. अगर हारते हैं तो यूपी की राजनीति में ये उनका आखिरी चुनाव भी हो सकता है.

क्योंकि प्रियंका गांधी चुनाव के बाद संगठन में बड़े परिवर्तन के मूड में हैं.

क्या है जनता के बीच माहौल

फतेहपुर सीकरी के नगला सांवला गांव के दिनेश कहते हैं, कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर जीतेंगे. ब्राह्मण वोट बंट रहा है पर वहीं एक दुकान पर बैठे चाय पी रहे आनंद दावा करते हैं कि ब्राह्मण वोट बंटने वाला नहीं है. उनका मानना है कि ब्राह्मण मोदी के पीछे खड़ा है. ज्यादातर लोगों का यहां कहना था कि प्रत्याशी नहीं ज्यादातर वोट यहां मोदी के नाम पर पड़ना है. वहीं राज बब्बर समर्थक कहते हैं कि कांग्रेस भले ही कमजोर हो लेकिन राज बब्बर बड़ा नाम है.

इस इलाके को भी समझते हैं, वही जीतेंगे. ज्यादातर ग्रामीण इलाके की महिलाएं राज बब्बर को जानती हैं. फिल्मों में भी देखा है और हकीकत में भी. वोट किसे करेंगी ये बताने से बचती हैं. राज बब्बर का नाम सबकी जुबां पर है यहां कांग्रेस इसको सबसे बड़ा फैक्टर मान रही है. अब इंतजार 23 मई का है.

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