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Friday, 13 December, 2024
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असम के मतदाताओं की नजर में ‘बालाकोट एयर स्ट्राइक’ चुनावी मुद्दा नहीं

दिप्रिंट ने तेजपुर से गोलाघाट और जोरहाट की यात्रा की, यह पाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रत्यक्ष रूप से मुद्दा नहीं है, लेकिन मतदाता इसके प्रति उदासीन नहीं हैं.

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तेजपुर, गोलाघाट, जोरहाट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों के भाषणों में बार-बार बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र कर भारतीय जनता पार्टी चाह रही है कि (भाजपा) लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्रित हो जाय.

हालांकि, जमीनी तौर पर असम में राष्ट्रीय सुरक्षा और बालाकोट हमलों का मुद्दा जटिल तरीके से चल रहा है. राज्य में कई मतदाताओं के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा नहीं है और वे कहते हैं कि यह होना भी नहीं चाहिए, लेकिन साथ ही, कुछ लोग इसके प्रति उदासीन हैं, लेकिन कुछ लोग जवाबी कार्रवाई की सराहना करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ही नियमित रूप से असम के विभिन्न हिस्सों में रैलियां की हैं, बालाकोट हमले का जिक्र बार-बार करते हैं पिछले सप्ताह असम के ऊपरी हिस्से डिब्रूगढ़ की एक रैली में प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पूरे देश ने बालाकोट हमले की सराहना की, लेकिन कांग्रेस ने नहीं. हालांकि इसी बीच, शाह ने कलियाबोर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ‘केवल मोदी और भाजपा ही देश की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं.’

लेकिन जब दिप्रिंट ने मध्य असम के तेजपुर से गोलघाट और जोरहाट तक राज्य के ऊपरी हिस्से में यात्रा की तो पाया कि यहां ज्यादातर लोगों में चुनाव को लेकर बालाकोट या राष्ट्रीय सुरक्षा पहला मुद्दा नहीं था.

जब बालाकोट के बारे में पूछा गया, तो वे उत्साहपूर्वक इसकी सराहना कर रहे थे और कहा कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद प्रतिक्रिया ‘उचित’ थी.

भाजपा का मानना है कि मतदाताओं के दिमाग में शीर्ष पर नहीं है. यह मुद्दा अलग स्तर पर वोटिंग प्राथमिकताओं को आकार दे सकता है और मोदी सरकार के कार्यों की सराहना करता है.

बालाकोट अच्छा है लेकिन चुनाव मुद्दा नहीं

मोदी सरकार की पाकिस्तान के लिए मज़बूत नीति, बालाकोट में आतंकी कैंपों पर जवाबी हमला और राष्ट्रीय सुरक्षा सहित कई मुद्दे मतदाताओं के लिए मुख्य मुद्दे नहीं हैं. यह वो लोग भी मान रहे हैं जो फिर से मोदी को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं.

तेजपुर के नबोजित डेका ने कहा, ‘मोदी ने बहुत कुछ किया है. उन्होंने हमें सड़कें, गैस कनेक्शन, मकान दिए हैं. यहां पर चहुंमुखी विकास हुआ है. लगातार भाषणों में बालाकोट संदर्भ के बारे में पूछे जाने पर डेका ने कहा कि ‘बदला लेने की जरूरत है’ लेकिन यह चुनावों में एक प्रभावशाली कारक नहीं है.

डेका ने कहा, ‘हमला एक अच्छी बात थी. हमें पाकिस्तान के खिलाफ बदला लेने की जरूरत थी और सरकार ने सही काम किया है. ‘लेकिन यह चुनावी मुद्दा नहीं है.’ ऐसा क्यों होना चाहिए? यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है. मतदाता के रूप में, मैं मतदान करते समय इसके बारे में नहीं सोचूंगा.’

डेका यहां मतदाता के भावनात्मक जटिलता और बारीकियों को बताते हैं. जोरहाट के पुलिबोर गांव के प्रांजल दत्ता भी इस बात से सहमत थे.

प्रांजल दत्ता कहते हैं कि यह एक चुनावी मुद्दा नहीं हो सकता है. चुनावों में आवश्यक वस्तुओं, सड़कों आदि जैसे मुद्दे मायने रखते हैं. हालांकि, वे कहते हैं कि वह भाजपा को वोट देंगे और भारत ने पाकिस्तान को कैसे करारा जवाब दिया.

दिप्रिंट ने ज्यादातर मतदाताओं से बात की उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया.

गोलघाट के बाहरी इलाके में रहने वाले बीजू प्रधान कहते हैं कि मैं बीजेपी का समर्थन करता हूं क्योंकि मैं विकास के मोर्चे पर उनके द्वारा किये गए काम से संतुष्ट हूं. क्योंकि कांग्रेस ने इतने सालों में कुछ नहीं किया.’

तेजपुर के हृदय बरुआ ने कहा कि बालाकोट चुनावी मुद्दा नहीं होना चाहिए. अगर उन्होंने (सरकार) केवल चुनावी मुद्दा बनाने के लिए ऐसा किया है, तो यह अलग बात है. अगर उन्होंने देश के लिए किया है, तो लोग सराहना करेंगे. ‘हालांकि, चुनावों में मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण चीजें मायने रखती हैं. जैसे कि मेरे पास नौकरी है या नहीं, महंगाई, अच्छी सड़के और यहां नागरिकता विधेयक भी एक बड़ा मुद्दा रहा है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस का समर्थन करते हैं ‘ क्योंकि मोदी बातें बहुत करते हैं लेकिन काम कम करते हैं. उन्हें यह समझने की जरूरत है कि मतदाता बहुत समझदार हो गए हैं

जोरहाट के एराटोली गांव के साहिर हुसैन ने कहा, ‘पाकिस्तान के खिलाफ हमला जायज है. इसकी जरूरत थी ‘लेकिन मुझे नहीं लगता कि असम के मतदाता इसे चुनाव से जोड़कर देखेंगे, वे कहीं अधिक जागरूक हैं और चुनाव में मुद्दों को जानते हैं’.

बीजेपी का हिसाब

हालांकि, भाजपा को लगता है कि ‘यह लोगों के जेहन में निर्णायक और मजबूत नेता के रूप में मोदी की छवि को मजबूत करने में मदद करेगा और इसलिए भाजपा सिर्फ बड़े नेताओं की बात कर रही है छुटभैये नेता और ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे नेताओं को कोई पूछ भी नहीं रहा है.

असम में भाजपा एक अपेक्षाकृत नई पार्टी है. जो 2016 के विधानसभा चुनावों में पहली बार राज्य की सत्ता में आयी. असम के 14 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास सात सीटें हैं. लेकिन उम्मीद है कि वह इस बार अपनी बढ़त बनाएगी
हालांकि, पिछले कुछ महीनों से विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के कड़े प्रतिरोध को देखते हुए पार्टी की स्थिति बहुत ख़राब हो गयी थी पार्टी को मूल रूप से आसामी लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था.

पार्टी ने असम में सावधानीपूर्वक तैयार की गई रणनीति को अपनाया है- शीर्ष नेताओं के भाषणों में कट्टर राष्ट्रवाद की बौछार करना लेकिन इसका जमीनी अभियान में उपयोग नहीं करने के फॉर्मूले को अपनाया है.

असम भाजपा में अच्छे पद पर काबिज एक सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ‘भाजपा ने पहले ही बता दिया है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया गया इसलिए हम इसका दोबारा उपयोग नहीं करेंगे. यह देखते हुए कि शायद असम मतदाता में इसका उपयोग नहीं हो सकता है. यही कारण है कि हम अपने डोर-टू-डोर अभियान में इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं और स्थानीय स्तर पर मतदाताओं से जुड़ते हैं. यहां हम विकास कार्य, कल्याणकारी पहल और स्थानीय उम्मीदवार के बारे में बात करते हैं’.

जोरहाट के एक भाजपा कार्यकर्ता गोहिन सेनापति ने कहा, ‘जब हम जमीनी स्तर पर अभियान करते हैं, तो हम ग्रामीण सड़कों, आवास, गैस कनेक्शन, बैंक खातों आदि की बात करते हैं’. ‘हम इस बारे में भी बात करते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी लोगों की दयनीय स्थिति को दूर करने में विफल रही है. हम वास्तव में पाकिस्तान या बालाकोट का जिक्र नहीं करते हैं. यह हमारे नेताओं के भाषणों के लिए छोड़ दिया गया है.’

हालांकि, पार्टी का मानना है कि यह किसी स्तर पर ब्रांड मोदी ’को जोड़ने में मदद करता है जोकि राज्य में सबसे बड़ा ट्रम्प कार्ड हैं.

सूत्रों का कहना है कि ‘भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है. असम में राष्ट्रीय नेताओं के लिए असम के अविश्वास को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना एक बहादुरी भरा निर्णय है. इसका मतलब यह है कि भाजपा यहां मोदी की छवि के लेकर आश्वस्त है और अपने ब्रांडिंग में अकेले मोदी का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही बालाकोट हमला असम में चुनावी मुद्दा नहीं है लेकिन बालाकोट की वजह से प्रधानमंत्री की छवि को और मज़बूती मिली है.

वास्तव में, कुछ मतदाता हैं जो मानते हैं कि यह पार्टी की मदद कर सकता है.

तेजपुर के कल्लोल सैकिया ने कहा यह मुद्दा निश्चित रूप से भाजपा की मदद कर रहा है. इससे पहले भले ही मुंबई में आतंकी हमले हुए थे, लेकिन कांग्रेस ने कुछ नहीं किया. लेकिन भाजपा चुप नहीं बैठी और कदम उठाया, जिसकी सभी ने सराहना की मोदी सरकार ने एक अच्छा काम किया है. इसलिए जो लोग पहले इसका समर्थन नहीं करते थे, वे भी अब भी ऐसा ही करेंगे.

सैकिया ने कहा, ‘मैं अभी भी नागरिकता विधेयक को लेकर नाराज हूं लेकिन मैं भाजपा का समर्थन करूंगा क्योंकि भाजपा ही हमारे देश की रक्षा कर सकती है.’

इससे पहले नागांव में, दिप्रिंट ने कुछ मतदाताओं को पाया जिन्होंने पाकिस्तान को “जवाब देने” के लिए मोदी की प्रशंसा की. भाजपा का मानना है कि इस मुद्दे पर राज्य की शहरी आबादी, विशेषकर युवाओं में अधिक स्पष्ट प्रतिध्वनि होगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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