नई दिल्ली: एग्ज़िट पोल के नतीजों की मानें तो इस बार फिर मोदी की सरकार बन रही है. एबीपी न्यूज के अनुसार 34 सीट भाजपा गठबंधन को 6 सीटें कांग्रेस गठबंधन को मिल सकती हैं. इस लिहाज से वहां एनडीए के खिलाफ महागठबंधन को बड़ा झटका लगने जा रहा है. वहीं आज तक-एक्सिस के पोल के अनुसार राजद को 38 से 40 सीटें मिल सकती हैं. इस पोल के अनुसार महागठबंधन को महा नुकसान हो सकता है.
बता दें कि 80 लोकसभा सीटों वाली यूपी की तरह 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार को भी राजनीतिक लिहाज़ से बेहद अहम माना जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत दिलाने में बिहार का अहम योगदान था. ऐसे में एग्ज़िट पोल से लेकर नतीज़ों तक सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि बिहार में किसे कितनी सीटें मिलती हैं.
पिछले चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने दम पर 22 सीटें मिली थीं. वहीं, एलजेपी (6) और आरएलएसपी (3) जैसी इसकी सहयोगियों पार्टियों को नौ सीटें मिली थीं. हालांकि, 2019 के चुनाव में तस्वीर बदल गई है और गठबंधन सहयोगियों ने पाले बदल लिए हैं जिसकी वजह से सीट बंटवारे के दौरान पार्टियों की सीटों की संख्या घटी बढ़ी है.
कौन किसके साथ लड़ था चुनाव, किस-किस ने बदला पाला
2014 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था. इस चुनाव में उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपने दम पर चुनाव लड़ी थी. हालांकि, 2017 में नीतीश एनडीए के पाले में वापस आ गए. इसकी वजह से पिछले चुनाव में दो सीटें जीतने वाले नीतीश को भाजपा को 17 सीटें देनी पड़ी. वहीं, 22 सीटें जीतने वाली भाजपा ने अपनी सीटें घटाकर 17 कर ली.
पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही आरएलएसपी अब महागठबंधन के साथ है और उपेंद्र कुशवाहा की ये पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है. नीचे देखें कि 2019 में कौन सी पार्टी किस गठबंधन का हिस्सा है और कौन सी पार्टी कितने सीटों पर लड़ रही है-
एनडीए सहयोगी और सीटों की संख्या महागठबंधन सहयोगी और सीटों की संख्या
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)- 17 सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 20 सीट
जेडीयू- 17 सीट कांग्रेस- 9 सीट
लोक जनशक्ति पार्टी- 6 सीट राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा)- 5 सीट
हिंदुस्तान आवाम मोर्चा- 3 सीट
विकासशील इंसान पार्टी- 3 सीट
2014 के आम चुनाव में किसे मिली थी कितनी सीटें
कुल सीटें 40
भाजपा 22
कांग्रेस 2
एनसीपी 1
जेडीयू 2
एलजेपी 6
आरजेडी 4
आरएलएसपी 3
अपनी सीटों की संख्या घटाने वाली भाजपा ने साफ संकेत दिया है की नीतीश कुमार इस बार एनडीए के बड़े खिलाड़ी हो सकते हैं. देखना होगा कि नतीजों के बाद भाजपा सही साबित होगी है या ग़लत. वहीं, राज्य की जिन अहम सीटों पर नज़र है उनमें बेगुसराय की सीट सबसे अहम है. सीपीआई के कन्हैया कुमार के इस सीट से लड़ने की वजह से ये वीआईपी सीट में तब्दील हो गई. इस सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
इसके अलावा पाटलीपुत्र सीट से लालू की बेटी मीसा भारती के लिए इस बार करो या मरो का मुकाबला है. मीसा पिछला चुनाव भाजपा के रामकृपाल यादव से हार गई थीं. महागठबंधन ने अपनी तीन सीटों पर दांव लगाया है. ये सीटें गठबंधन ने हाल ही में बनी मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को दी है. देखने वाली बात होगी कि ये फैसला कैसा साबित होता है.
नतीजों के लिए तो सबको 23 मई का इंतज़ार करना पड़ेगा. लेकिन तब तक के लिए एग्ज़िट पोल जो कह रहे हैं उनके हिसाब से सरकार का गणित बनना-बिगड़ना शुरू हो गया है.
झारखंड का मामला
2014 के चुनाव में झारखंड में भाजपा ने 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर विजय हासिल की थी. बाकी की दो सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा नाम की पार्टी को मिली थीं. ज़ाहिर सी बात है कि इनके अलावा कोई और पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.
यहां कांग्रेस ने एक गठबंधन बनाया है जिसमे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) जेवीएम (पी), आरजेडी और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं. कांग्रेस 9, जेएमएम 4, जेवीएम (पी) 2 और आरजेडी 1 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा 13 और ऑल झारखंड स्टू़डेंट यूनियन एक सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसा अनुमान है कि भाजपा के लिए झारखंड में 2014 वाला करिश्मा दोहराना संभव नहीं होगा.