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Saturday, 21 December, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावबिहार: राजनीति पर चढ़ा भोजपुरी पॉप का बुख़ार, लेकिन क्या इतना दुहराव 'ठीक है?'

बिहार: राजनीति पर चढ़ा भोजपुरी पॉप का बुख़ार, लेकिन क्या इतना दुहराव ‘ठीक है?’

खेसारी लाल का गाना 'ठीक है' पहले तो आम गाने के तौर पर आया. जब ये लोगों की ज़ुबान पर चढ़ा तो इसे छठ का गाना बना दिया. अब ये चुनाव में इस्तेमाल हो रहा है.

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कटिहार/बेगुसराय: देश भर में आम चुनाव का बुख़ार सिर चढ़कर बोल रहा है. तीन चरणों का मतदान हो चुका है, राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए देशभर में स्टार प्रचारकों के साथ मौजूद हैं. लेकिन इन प्रचारकों के बीच कई और तरह की प्रचार सामग्रियां भी मतदाताओं के दिलोदिमाग में पहुंचने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं. राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले बिहार में चुनाव प्रचार भी अलग तरीके से किया जा रहा है. लगभग सभी पार्टियां अपने चुनाव प्रचार में भोजपुरी में बीते दिनों में मशहूर रहे गानों का इस्तेमाल कर रही हैं. इनमें भोजपुरी के ‘गोरी तोरी चुनारी बा लाल लाल रे’ और हाल ही देश का सबसे जबरदस्त हिट हुआ गाना ‘ठीक है’ भी शामिल हैं. पार्टियों ने इन गानों में अपने बोल दिए हैं, लेकिन संगीत ओरिजिनल गाने का ही है.

राज्य के खगड़िया और बेगुसराय जैसे ज़िलों में दिप्रिंट को चुनाव प्रचार की कवरेज के दौरान ये गाने सुनने को मिले. इस बारे में जब दिप्रिंट ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के स्टार कैंपेनर आरिफ कमाल से बात की तो उन्होंने कहा, ‘कैंपेन में हमने रोड शो के अलावा म्युज़िक का भी इस्तेमाल किया है.’ वो आगे कहते हैं कि इसकी वजह से उनके कार्यकर्ताओं में जोश का माहौल है और कार्यकर्ता कैंपेन को एंजॉय करते हैं.


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भोजपुरी पॉप के जिन दो गानों का कैंपेन में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हो रहा है उसे लेकर आरिफ का दावा है, ‘गाना’ठीक है’ का कॉन्सेप्ट वीआईपी पार्टी ने ही निकाला था.’ वो आगे कहते हैं कि उसी तर्ज पर बाकी के गानों को विकसित किया गया है. फिर वो ये गाना गाकर भी सुनाते हैं जिसके बोल हैं, ‘हबड़ा से चलके आएंगे, मुकेश सहनी को जितवाएंगे!’ यही गाना कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) के बेगुसराय से उम्मीदवार कन्हैया की रैली में भी बज रहा था, बस उनके गाने में मुकेश साहनी की जगह कन्हैया का नाम था.

इस पर जब हमारी बात कन्हैया की टीम के एक सदस्य वीर से हुई तो उन्होंने बताया कि इन गानों को इस वजह से बनावाया गया कि आम लोगों तक उम्मीदवार की अपील को सीधे तौर पर पहुंचाई जा सके. टीम का फोकस इस बात पर था कि इन गानों के सहारे मोदी सरकार के उन वादों पर हमला किया जा सके जिन्हें करके वो मुकर गए. कन्हैया की रैली में एक गाना ये भी बज रहा है- ‘कन्हैया के झंडा बा लाल-लाल रे!’ गाने का मतलब है ‘कन्हैया का झंडा है लाल-लाल रे!’ ये पिछले दिनों मशहूर हुए भोजपुरी के एक गाने ‘गोरी तोरी चुनरी बा लाल-लाल रे’ की तर्ज पर बनाया गया है.

‘गोरी तोरी चुनरी बा लाल-लाल रे’ गाना कई जगहों पर नारी विरोधी बोले हैं. जैसा कि क्षेत्रिय गानों में नारी विरोध और अश्लीलता होती है, इस गाने में भी लड़कियों के लिए ‘माल’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इस पर जब दिप्रिंट की बात वीर से हुई तो वो कहते हैं कि जो फ़ोक सॉन्ग होते हैं उन्हें हमेशा शील और अश्लील के नज़रिए से देखा जाता है. वीर सवाल करते हैं, ‘हम जब असम के बीहू गीत सुनते हैं तो असम के युवक-युवतियों को इसी तरह से दिखाया जाता है. इसमें अश्लीलता क्या है?’


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वो ये भी कहते हैं कि उनका कॉन्टेंट बिल्कुल साफ़ है. तनवीर हसन और गिरिराज सिंह की टीम ने बताया कि उनकी रैलियों में भी गाने का इस्तेमाल किया जा रहा है. गिरिराज की रैलियों में बजने वाले गानों के बारे में जानकारी मिली कि वो सीधे मुंबई से बनवाकर मंगवाए गए हैं. वहीं, तनवीर हसन की टीम से जुड़े जयंत कहते हैं कि महागठबंधन के इस उम्मीदवार की रैलियों में सिर्फ गाने ही नहीं बजाए जा रहे बल्कि लोकगायकों को भी बुलाया जा रहा है. उदाहरण देते हुए वो कहते हैं कि अभी तेजस्वी यादव एक रैली में आए थे और इसमें क्षेत्र के गायकों को भी बुलाया गया था.

तनवीर हसन की रैली में जो गाने बज रहे हैं उनके बोल कुछ इस प्रकार हैं- ‘बेगूसराय का सांसद देखो तनवीर हसन बनेगा’ और ‘तनवीर भैया के जिता द हो’. ये गाने ऐसे नए पुराने गानों पर आधारित हैं जिनके बोल लोगों के ज़ुबान पर चढ़ गये थे.

वीर से जब ये पूछा गया कि जब कोई पार्टी किसी फॉक सॉन्ग का पूरा म्युज़िक कॉपी कर लेती है तो कॉपीराइट का मसला नहीं होता, इस पर वो कहते हैं कि फॉक म्युज़िक के धुन पर कॉपीराइट का केस कौन करेगा? आर्ट एंड स्टूडेंट कल्चर फेडरेशन से जुड़े वीर कहते हैं, क्या भोजपुरी में दोहराव की समस्या है यानी एक ही गाने को होली, छठ से लेकर चुनाव तक में कई बार अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है तो वो कहते हैं ये एक दिक्कत तो है ही.

वहीं, खगड़िया में एक बेहद असमान्य बात दिखी. एक तरफ जहां महागठबंधन के उम्मीदवार साहनी की रैलियों में भोजपुरी पॉप का इस्तेमाल किया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार महबूब अली कैसर की रैली में पुराने ज़माने से चली आ रही रिकॉर्डेड अपील बज रही थी. ये वैसी ही अपील थी जिसमें आवाज़ आती है- ‘अपने योग्य, कर्मठ और जुझारु उम्मीदवार को वोट दें.’ इसे सुनने के बाद एक बात का एहसास हुआ कि कैसर अपने कैंपेन से जुड़े इस मामले में ज़्यादा ज़हमत नहीं उठा रहे थे.

पटना, आरा और बक्सर जैसी जगहों पर अभी चुनाव अभियान ठीक तरह से शुरू नहीं हुआ है. इन जगहों पर अभी रैलियां या रोड शोज़ नहीं हो रहे क्योंकि अभी इन जगहों पर सभी दिग्गज उम्मीदवारों ने अपना नामांकन नहीं भरा. लेकिन जब इन जगहों पर दिप्रिंट ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से बात की तो उन्होंने कहा कि भोजपुरी पॉप का कैंपेन में इस्तेमाल उनके दिमाग़ में भी है.


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आपको बता दें कि बिहार में सिर्फ चुनावों में ही नहीं बल्कि पर्व-त्योहारों में भी भोजपुरी पॉप के गानों को धार्मिक गानों में बदल दिया जाता है. मान लीजिए कि कोई गाना अगर होली के लिहाज़ से बनाया गया है और वो लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया तो फुहड़ होने के बावजूद उसे छठ के गाने में बदल दिया जाता है. बदलाव गाने के बोल में किया जाता है, संगीत वही रहता है और चूंकि गाना पहले से लोगों के दिमाग में रहता है. ऐसे में इन गानों की वजह से कई बार छठ में होली की अनुभूति हो रही होती है.

यही हाल चुनाव के दौरान भी रहा. ‘ठीक है’ गाना पहले तो आम भोजपुरी गाने के तौर पर आया था. जब ये लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया तो बाद में इसका इस्तेमाल छठ के गाने के तौर पर किया गया और अब इसी गाने को चुनाव में इस्तेमाल किया जा रहा है.इन गानों की वजह से एक सवाल ये खड़ा होता है कि क्या बिहार का संगीत संकट काल से गुज़र रहा है और ये भी कि क्या राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार-प्रसार के लिए इन्हीं गीतों पर आश्रित हैं?

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