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Saturday, 21 December, 2024
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उपसंहार ने दिखाई सत्ता की सच्चाई : पीडीपी-भाजपा की तलाक़ के वक्त दिख रही थी नोकझोंक

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पीडीपी का कहना है कि राम माधव ने मुख्यमंत्री को भी फोन नहीं किया। बीजेपी के सूत्रों का दावा है कि राजनाथ ने रविवार को निर्णय के बारे में मेहबूबा को सूचित कर दिया था।

नई दिल्ली: बीजेपी के जम्मू-कश्मीर सरकार से बाहर निकलने के साथ ही पार्टी और उसके राज्य में एक बार की गठबंधन सहयोगी, पीडीपी ने मंगलवार को तीखे अलगाव की घटनाओं के अनुक्रम पर एक-दूसरे का विरोध किया।

पीडीपी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा के प्रमुख नेता राम माधव ने गठबंधन समाप्त होने से पहले मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से बात तक नहीं की।

वरिष्ठ पीडीपी नेता नईम अख्तर ने दिप्रिंट को बताया, “राम माधव ने आज सुबह मुख्यमंत्री को फोन किया लेकिन वह उपलब्ध नहीं थीं और उनकी कॉल नहीं ले सकीं। इसलिए, हमारे पास कोई औपचारिक संकेत नहीं था कि भाजपा सरकार से गठबंधन तोड़ रही थी।”

हालांकि भाजपा के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को महबूबा मुफ्ती से सम्पर्क किया था और गठबंधन को तोड़ने के अपनी पार्टी के फैसले से उन्हें अवगत कराया था। “मुफ्ती ने सिंह को बताया था कि भाजपा को वही करना चाहिए जो उसे सही लगे, लेकिन अगर पार्टी इस निर्णय के साथ आगे बढ़ती है, तो भाजपा के साथ कोई भी राजनीतिक गठबंधन भविष्य में संभव नहीं होगा।”

पीडीपी का कहना है कि इसकी औपचारिक रूप से सूचना नहीं दी गयी थी, हालांकि, पीडीपी स्वीकार करती है कि वह भाजपा के इस फैसले से हैरान बिलकुल भी नहीं है।

अख्तर ने कहा, “कुछ महीनों से इसके संकेत थे”, खासकर जब भाजपा ने पीडीपी पर घाटी में आतंकवाद पर कड़ी कार्यवाही के लिए “पर्याप्त कार्य नहीं करने” का आरोप लगाया था।

उन्होंने कहा, “इसलिए हाँ, हमें औपचारिक रूप से नहीं बताया गया था, लेकिन हम इस बात से चौंके नहीं हैं। उत्तरी ध्रुव (नॉर्थ पोल)और दक्षिण ध्रुव (साउथ पोल) के बीच गठबंधन के अंत से किसी को भी झटका नहीं लगना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “कोई पछतावा नहीं है। हम सत्ता उन्नति के साथ छोड़ रहे हैं। राजनीति में कोई भावना नहीं होती। हम अपनी कार्यवाही करेंगे। फ़िलहाल, हम इस्तीफा दे रहे हैं।”

दोनों तरफ अविश्वास

हालांकि, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उनके बीच अविश्वास था।

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी में डर बढ़ रहा था कि पीडीपी कथित तौर पर राज्य में आतंकवाद को बढ़ाने की इजाजत दे रही थी। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी के जम्मू-कश्मीर नेता गठबंधन से परेशान थे। नेता ने कहा, “कैडर दुखी था और साथ ही पीडीपी की विचारधारा भाजपा के अनुरूप नहीं थी।”

भाजपा नेता ने कहा कि, केंद्र को राज्य के बारे में जानकारी दी गयी कि भाजपा के लिए ही नहीं  बल्कि पीडीपी के लिए भी राज्य में समर्थन का नुकसान हुआ है। नेता ने कहा कि, “लोग दोनों पक्षों पर भरोसा नहीं करते हैं और लोकसभा चुनावों में सीटें जीतना असंभव लगता है। यह जानते हुए कि पार्टी के पास अन्य कोई मौका नहीं है, समय से पहले ही गठबंधन से बाहर निकलना और कश्मीर को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना बेहतर था।

पीडीपी का कहना है कि कई मौकों पर जब वह भी गठबंधन सरकार से बाहर निकलना चाहती थी, तो उसने इसके खिलाफ फैसला किया क्योंकि वह “गठबंधन से बाहर निकलने के लिए पहल” नहीं करना चाहती थी।

पीडीपी के एक स्रोत, जिसने नाम न छापने की शर्त पर बात की, ने कहा कि पार्टी ने गठबंधन का निर्णय तब लिया था, जब महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने दिसंबर 2014 के चुनावों के बाद भाजपा के साथ गठबंधन के लिए दबाव डाला था।

पीडीपी के एक सूत्र ने कहा, ” मुझ पर भरोसा करिए, अगर हमने गठबंधन तोड़ा होता तो पिछले ढाई सालों में कई मौकों पर हम बहुत दुखी हुए, लेकिन हमने अपने क्रोध को निगल लिया, यदि हमने ऐसा किया होता तो हमें ‘अविश्वसनीय’ या ‘असभ्य’ होने का लेबल दिया जाता , उन्होंने आगे कहा कि पार्टी ने फैसला किया था कि वह विपक्ष को इस मुद्दे पर पार्टी को दोष देने का अवसर कभी नहीं देगी।

पीडीपी के वरिष्ठ नेता अख्तर ने कहा, “हम संतुष्ट हैं कि हमने जम्मू-कश्मीर मामले को सुलह के माध्यम से राजनीतिक रूप से हल करने के लिए एक प्रणाली तैयार कर ली थी। हमने वार्तालाप से लेकर युद्धविराम तक सबकुछ किया … आखिरकार, भाजपा कुछ ऐसा मिल गया जो उससे अभी ऊपर था ।”

युद्धविराम की समस्या

पीडीपी के साथ भाजपा के विभाजन के तरीकों सहित केंद्र ने घोषणा की कि वह रमजान युद्धविराम का विस्तार नहीं करेगी।

बाहर जाने वाली मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसका संकेत दिया।

उन्होंने कहा, “हम राज्य के क्षेत्रों – जम्मू, लद्दाख और कश्मीर घाटी को एकीकृत करना चाहते थे – और हमने ऐसा किया। हमने 11,000 कश्मीरी युवाओं को छुड़ाने में अहम भूमिका निभायी जिनके खिलाफ अनावश्यक एफआईआर दर्ज की गई थी। हम मानते हैं कि वार्ता ही एकमात्र जवाब है इसलिए हमने रमजान के दौरान युद्धविराम के लिए दबाव डाला।”

उन्होंने आगे कहा, “लेकिन अगर भाजपा शक्तिपीर्ण नीति चाहती है, तो यह उसका हल नहीं है।”

कुछ घंटे पहले, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा था, “कोई “विराम” नहीं है, राज्य में केवल आग सुलग रही है।” वह रमजान के दौरान “संचालन के विराम” के समय राज्य में निरंतर आतंकवाद का जिक्र कर रहे थे।

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि एनएसए प्रमुख अजित डोवाल, भाजपा के मंत्रियों और जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ शाह की बैठक से पहले, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे।

भाजपा ने समर्थन वापस लेने के बाद कहा कि डोवाल-शाह की बैठक राज्य में प्रचालन-तन्त्र को तैयार करने के लिए थी।

राहिबा परवीन से प्राप्त इनपुट के साथ

Read in English : Post-script mirrors tenure: BJP, PDP contradict each other on events before separation

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