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प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए 1.5 से 2 लाख का लोन देगी योगी सरकार

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 25 लाख से अधिक श्रमिक यूपी लौटे हैं. 18 लाख श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम पूरा हो चुका है.

परिवार के साथ जाता एक मजदूर/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

लखनऊ : लॉकडाउन के कारण यूपी लौटे लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव में ही स्वरोजगार के लिए योगी सरकार 1.5 से 2 लाख तक का लोन देगी. ये लोन ‘बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना‘ के तहत मिलेगा, जिसमें 35 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी. इस योजना के तहत 50 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जाति व जनजाति के होंगे.

ग्राम विकास आयुक्त के रवीन्द्र नायक ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि इस योजना का सरकारी आदेश जारी हो चुका है. योजना के तहत सरकार का 50 करोड़ रुपए का प्रावधान है. 60 प्रतिशत फंड इसके लिए जारी भी कर दिया गया है. इस योजना का उद्देश्य मजदूरों को स्वरोजगार (सेल्फ एंपलॉयमेंट) उपलब्ध कराना है. इस योजना में 5 प्रतिशत आरक्षण दिव्यांगों के लिए भी किया गया है. के रवींद्र नायक के मुताबिक, योजना का लाभ उठाने के लिए मजदूरों को बीडीओ (ब्लॉक डेवलेप्मेंट ऑफिसर) से संपर्क करना पड़ेगा. सभी बीडीओ को इस बारे में जानकारी दे दी गई है. पहले चरण में दस हजार प्रवासी मजदूरों को स्व-रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. अगले चरण में इसे एक लाख मजदूरों तक ले जाने का प्रयास सरकार का रहेगा.


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ग्राम विकास विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस योजना का लक्ष्य मजदूरों को ‘आत्मनिर्भर’ बनाना है. इसके तहत रोजगार में गांव में मोबाइल रिपेयरिंग, कम्प्यूटर व टीवी रिपेयर, किराना स्टोर, दूध डेयरी, पोल्ट्री व्यवसाय, ब्यूटी पार्लर, मछली पालन और फर्नीचर कार्य सहित तमाम तरह के व्यवसाय के लिए 1.5 से 2 लाख तक का लोन मिल सकेगा. खास बात ये है कि ये सभी व्यवसाय स्थानीय स्तर पर ही करने संभव हैं.

एक सूत्र के मुताबिक, मीडिया में लगातार ये खबरें आ रही हैं कि कई प्रवासी मजदूर अब वापस दूसरे प्रदेश नहीं जाना चाहते, ऐसे में उनके लिए इस तरह की तमाम योजनाएं शरू करने का प्रयास सरकार कर रही है.

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स्किल मैपिंग का अहम रोल

सरकार से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक स्किल मैपिंग के जरिए सरकार ये पता करने में जुटी है कि तमाम श्रमिक किन-किन कामों को जानते हैं. सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हमारा प्रयास है कि इत्र, धूप बत्ती, अगरबत्ती, एग्री प्रोडक्ट्स, फूड पैकेजिंग और गौ आधारित कृषि के उत्पादों, फूल आधारित उत्पादों, कंपोस्ट खाद आदि के कारोबार पर रणनीति बना कर इन्हें रोजगार प्रदान किए जाएं.

अब तक 18 लाख श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम पूरा हो चुका है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 25 लाख से अधिक श्रमिक यूपी लौटे हैं. बता दें कि पिछले दिनों माइग्रेंट कमीशन बनाने की घोषणा भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने की थी जिसके तहत श्रमिकों के हितों का ध्यान रखते हुए उन्हें यूपी में रोजगार उपलब्ध कराना लक्ष्य था.


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यूपी सरकार एमएसएमई के तहत भी श्रमिकों को रोजगार देने का प्रयास कर रही है. सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार देने की भी कोशिश जारी है. इसके तहत महिला स्वयंसेवी समूहों को विभिन्न गतिविधियों जैसे सिलाई, कढ़ाई, अचार, मसाला बनाना इत्यादि के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाए.

महिलाओं द्वारा निर्मित सामग्रियों की मार्केटिंग ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) स्कीम के माध्यम से की जाए. इस स्कीम में हर जिले के मशहूर प्रोडक्ट (जैसे लखनऊ का चिकनारी वर्क, मुरादाबाद का पीतल आदि) को बढ़ावा दिया जाता है. सरकार ने ‘एक जिला, एक उत्पाद योजना’ (ओडीओपी) के तहत रोजगार देने के लिए बैंक के माध्यम से लोन मेले आयोजित करने की योजना बनाई है.

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