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‘शादी, रोजगार की तलाश, शिक्षा, परिवार’: कोविड लॉकडाउन के दौरान भारत में कैसा रहा माइग्रेशन पैटर्न

भारत में प्रवसन: 2020-21 रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 26.5% और शहरी क्षेत्रों में 34.9% प्रवास हुआ है.

कोविड-19 के कारण हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने की कोशिश करते प्रवासी मजदूर | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

नई दिल्ली: मार्च 2020 में कोविड महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोगों का प्रवास (माइग्रेशन) हुआ और इसकी तस्वीरें टीवी से लेकर अखबार और सोशल मीडिया पर काफी देखने को मिली थी. लेकिन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 2020-21 के दौरान भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच प्रवास की दर 28.9% थी.

रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 26.5% और शहरी क्षेत्रों में 34.9% प्रवास हुआ है. इस रिपोर्ट में संकेतक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की जुलाई 2020-21 के लिए जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है.

भारत में प्रवसन: 2020-21 शीर्षक से आई रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में प्रवास दर 10.7% है. ग्रामीण क्षेत्र में 5.9% और शहरी क्षेत्र में 22.5% पुरुषों ने प्रवास किया. वहीं महिलाओं में इस दौरान प्रवास दर 47.9% है यानी ग्रामीण महिलाओं में 48% और शहरी महिलाओं में 47.8% है. यानी की महिला आबादी के बीच प्रवास सबसे ज्यादा हुआ.

क्रेडिट: https://www.mospi.gov.in/

इस रिपोर्ट में प्रवासी और अस्थायी आगंतुक (विसिटर्स) को अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है.

अस्थायी आगंतुक (विसिटर्स) वे व्यक्ति हैं जो मार्च 2020 के बाद लौट कर आए और लगातार 15 दिनों या उससे अधिक लेकिन छह महीने से कम के लिए परिवार के बीच रहे.

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वहीं प्रवासी (माइग्रेशन) उन्हें बताया गया है जिनकी अतीत में रहने की जगह और वर्तमान में रहने की जगह अलग है.

वहीं रिपोर्ट के अनुसार एक समूह के बीच प्रवास करने वाले व्यक्तियों के प्रतिशत को प्रवास दर बताया गया है.

बता दें कि भारत में प्रवसन, 2020-21 रिपोर्ट के लिए 59,019 ग्रामीण क्षेत्रों और 54,979 शहरी क्षेत्रों के प्रवासियों को शामिल किया गया है. वहीं 2401 अस्थायी विसिटर्स (ऐसे लोग जो अपने स्थायी जगह के अलावा मार्च 2020 के बाद कुछ दिन के लिए कहीं रहने गए हों) को शामिल किया गया है जिसमें 1550 ग्रामीण और 851 प्रवासी शहरी क्षेत्रों के हैं.

प्रवासी मजदूर दिल्ली एनसीआर छोड़ कर जाते हुए, यमुना एक्सप्रेस वे की एक तस्वीर/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

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किन कारणों से हुआ माइग्रेशन

रिपोर्ट के मुताबिक बेहतर रोजगार, परिवार का प्रवास, नौकरी छूटना, इकाई बंद होना, रोजगार के अवसरों की कमी, शादी, आवास की समस्या, प्राकृतिक आपदा, रिटायरमेंट, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, सामाजिक और राजनीतिक दिक्कतें (दंगा, आतंकवाद, खराब कानून व्यवस्था), शिक्षा ऐसे कुछ कारण हैं जिनकी वजह से पुरुषों और महिलाओं ने प्रवास किया.

आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 के दौरान पुरुषों की 22.8% आबादी ने बेहतर रोजगार की खोज में प्रवास किया है वहीं 20.1% ने कार्यस्थल से निकटता, 17.5% ने परिवार के कमाने वाले सदस्य के प्रवसन के कारण अपना स्थान बदला है.

वहीं पुरुषों की 6.7% आबादी ऐसी भी है जिसने नौकरी छूटने, रोजगार के अवसरों की कमी के चलते भी प्रवास किया है.

गौरतलब है कि 2020-21 के दौरान कोविड महामारी के कारण भारत में दो बार लंबे समय तक लॉकडाउन भी लगाया गया था जिस वजह से बड़ी आबादी का प्रवास हुआ था. बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 45.6% करोड़ प्रवासी मजदूर हैं (यानी की आबादी का 38 प्रतिशत हिस्सा) जो कि 2001 में 31.5% थी.

लोकसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बताया था कि कोविड के दौरान 1.23 करोड़ प्रवासी मजदूर जो अपने घर वापस लौटे उनमें से 50 प्रतिशत लोग (61,34,943) उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से थे. मजदूरों की बड़ी संख्या राजस्थान और ओडिशा भी लौटकर गई थी.

कोविड के कारण लौटकर अपने राज्यों में गए प्रवासी मजदूरों के लिए जून 2020 में केंद्र सरकार ने बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा के 116 जिलों में 39,293 करोड़ रुपए के बजट के साथ गरीब कल्याण रोजगार अभियान भी चलाया था.

उत्तर प्रदेश में बस के ऊपर बैठे प्रवासी मज़दूर । फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

महिलाओं के नजरिए से स्थिति काफी भयानक है. आंकड़ों के अनुसार 86.8% महिलाओं के प्रवास का कारण उनकी शादी है वहीं 0.8% महिलाओं को आवास की समस्या भी झेलनी पड़ती है. 7.3% महिलाओं ने परिवार के कमाने वाले सदस्य के प्रवसन के कारण अपना स्थान बदला है.

क्रेडिट: https://www.mospi.gov.in/

रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 के दौरान भारत की 0.2% आबादी के प्रवास का कारण प्राकृतिक आपदाएं (सूखा, सुनामी, बाढ़) थी, 0.7% स्वास्थ्य कारणों, 0.2% विकास कार्यों, 0.2% सामाजिक और राजनीतिक कारण, 71.6% शादी, 4.8% ने बेहतर नौकरी की तलाश के कारण प्रवास किया.

2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 0.7% अस्थायी आगंतुक (2011 की जनगणना के आधार पर 121 करोड़ की आबादी के हिसाब से तकरीबन 85 लाख लोग) हैं जो अस्थायी रूप से उनके सामान्य निवास स्थल से अलग जगह पर रह रहे थे.

ग्रामीण क्षेत्रों में ये आंकड़ा पुरुषों के बीच 0.9% और महिलाओं के बीच 0.5% थी. वहीं शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा पुरुषों के बीच 0.6% और महिलाओं के बीच 0.6% है.


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अंतर्राज्यीय प्रवास: क्या है स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार देश की 87.5% आबादी ने अंतर्राज्यीय प्रवास किया वहीं सिर्फ 11.8% लोगों ने ही अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य का रुख किया.

ग्रामीण और शहरी भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर्राज्यीय प्रवास की स्थिति को देखकर पता चलता है कि राज्य के भीतर सबसे ज्यादा प्रवास शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में महिलाओं का हुआ है.

ग्रामीण क्षेत्रों में 95.8% तो शहरी क्षेत्रों में 84.7% महिलाओं का राज्य के भीतर प्रवास हुआ वहीं पुरुषों के बीच ये आंकड़ा ग्रामीण स्तर पर 62.5% और शहरी स्तर पर 67.9% है.

रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 के दौरान 44.6% पुरुषों ने ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ रुख किया वहीं 51.6% ने शहरों की तरफ. वहीं इस दौरान 88.8% महिलाएं गांवों की तरफ लौटीं तो सिर्फ 11% ही शहर गईं.

2020-21 में दूसरे मुल्कों में जाने वाले ग्रामीण पुरुषों की आबादी 3.9% है वहीं सिर्फ 0.2% महिलाएं ही विदेश गईं.

शहरी क्षेत्रों में भी ये आंकड़ा महिलाओं के लिए ज्यादा बेहतर नहीं है. सिर्फ 0.4% महिलाएं ही विदेश गईं जबकि 2.3% शहरी पुरुषों ने विदेश जाकर रहना पसंद किया.

क्रेडिट: https://www.mospi.gov.in/

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