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तमिलनाडु के पत्रकार को अन्नाद्रमुक सरकार में हुए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना पड़ा भारी, हुआ गिरफ्तार

वी. अंबालगन एक मक्कल सैइथी मइय्यम नामक वर्नकुलर पब्लिशिंग हाउस चलाते हैं. देखा जा रहा है कि पत्रकार अन्नाद्रमुक सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं.

43 वां चेन्नई पुस्तक मेला नौ जनवरी को शुरू हुआ है/ट्विटर

चेन्नई: तमिलनाडु के एक वरिष्ठ पत्रकार को अन्नाद्रमुक सरकार का कटु आलोचक होना भारी पड़ गया है. उसे रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया है. 43 वें चेन्नई पुस्तक मेले के आयोजक को मौत की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, इस बुक फेयर में पत्रकार ने एक स्टॉल लगाया है.

गिरफ्तार किए गए वी. अंबालगन एक मक्कल सैइथी मइय्यम नामक वर्नकुलर पब्लिशिंग हाउस चलाते हैं. देखा जा रहा है कि पत्रकार अन्नाद्रमुक सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं.

अंबालगन 24 जनवरी तक न्यायायिक हिरासत में भेजा गया है, उनकी बेल आज के लिए लिस्टेड है. अंबालगन चेन्नई प्रेस क्लब में पदाधिकारी भी हैं. 9 जनवरी से चल रहे पुस्तक मेले में उन्होंने अपना स्टॉल लगाया था. उनके स्टॉल पर अन्नाद्रमुक सरकार में फैले हुए भ्रष्टाचार पर किताबों की श्रृंखला को प्रदर्शित किया है. पत्रकार ने सारी किताबें आरटीआई में मिली सूचना के आधार पर ये किताबें लिखी हैं.

पुस्तक मेले के आयोजक, किताब विक्रेता और पब्लिशर एसोसिएशन ऑफ साउथ एशिया (बीएपीएएसआई) ने उनपर दबाव बनाया कि वह स्टॉल को खाली करें. उन्होंने लिखित में कारण लेने के बाद ऐसा ही किया.

बीएपीएएसआई के अध्यक्ष आर एस शनमुगम द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार वह सरकार के खिलाफ लिखी ‘विवादास्पद किताबें’ बेच रहे थे जो इस मेले और नियम के खिलाफ है.

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शनमुगम ने दिप्रिंट को बताया, ‘अंबालगन की गिरफ्तारी का संस्थान से कोई लेना देना नहीं है. उनका हमसे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने जिसे धमकी दी उनकी शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है.’

मामले में शिकायतकर्ता, हालांकि, बीएपीएएसआई सचिव एस मुरुगन भी हैं. मुरुगन ने दिप्रिंट को बताया, ‘शुरुआत में हमने उनके प्रकाशन को मेले में किताब रखने की अनुमति नहीं दी थी, चूंकी वह एक मीडिया में कार्य करते हैं और पब्लिकेशन भी चलाते हैं तो हम आखिरकार स्टॉल के लिए स्थान देने को तैयार हो गए.’

‘फिर भी वह ऑफिस आए और असंसदीय भाषा में हमलोगों पर चिल्लाए. उसके द्वारा किए गए हंगामें की वजह से हम अपने पहले लिए गए निर्णय पर पहुंचे और हमलोगों ने स्टॉल खाली करने को कहा. पुलिस इस मामले में तब आई जब उसने हमारे निर्णय को मानने से इनकार कर दिया. पुलिस ने हमें सलाह दी कि हम उनके खिलाफ शिकायत करें, और हमने ऐसा किया.’

‘हमने इस मामले में पुलिस ने भी बात करने की कोशिश की लेकिन गिरफ्तारी के मामले में उन्होंने कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया है.’

विवादास्पद किताबें

अंबालगन ने अन्नाद्रमुक सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ किताबों की श्रृंखला लिखी हैं जिसमें ऊझल सामराज्यम (करप्ट अंपायर), अन्नाद्रमुक के कथित भ्रष्टाचार पर अम्मा उन्नाबगम ने 300 करोड़ रुपये(अमामा कैंटीन योजना में 300 करोड़ रुपये का नुकसान) को अंजाम दिया था.

अंबालगन के प्रकाशन ने पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह को भी रिपोर्ट किया था. जिसे मुख्यमंत्री इडाप्पडी पलानीसामी ने शुरू किया था.

हालांकि, यह अन्नाद्रमुक सरकार के खिलाफ लिखे जाने पर उनको गिरफ्तार किए जाने की यह पहली घटना नहीं है. 2017 में भी उन्हें गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था जब उन्होंने नगर निगम प्रशासन मंत्री एस.पी. वेलुमनी और उनके सहयोगियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई को पत्र लिख दिया था.

उनकी हालिया गिरफ्तारी की काफी आलोचना की जा रही है.

चेन्नई प्रेस क्लब ने एक बयान जारी किया है, जिसमें अंबालगन गिरफ्तारी ‘गैर-जमानती धाराओं के तहत झूठे मुकदमे दर्ज करने’ की निंदा की गई है. ‘यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक चुनौती है’, पत्रकारों ने उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की है.

डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने भी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा, ‘एडीएमके सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली पुस्तक के कारण, स्टाल के लाइसेंस को रद्द करना और पत्रकार / प्रकाशक को गिरफ्तार करना निंदनीय है,’ उन्होंने कहा, पुस्तक मेले में अपने स्टाल का लाइसेंस बहाल करने के साथ ही अंबालागन की तत्काल रिहाई की मांग की है.

एमडीएमके नेता वाइको ने एक प्रेस विज्ञप्ति में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ इस तरह के फासीवादी दमन की कड़ी निंदा की.’ यहां तक कि समाजवादी पार्टी की राज्य शाखा ने भी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया.

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