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राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पेरारिवलन को रिहा करने का SC ने दिया आदेश

संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू न होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है.

एजी पेरारिवलन । एएनआई

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को छोड़ने का आदेश दे दिया है. बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश को रिजर्व रख लिया था जिसमें तमिलनाडु सरकार ने 28 सितंबर 2018 को पेरारिवलन को समय से पहले छोड़े जाने की सिफारिश दी थी.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.’

संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू न होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए.जी. पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.

शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था.

तमिलनाडु सरकार की सिफारिश के बाद इस साल सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को जमानत दे दी थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है जिन्होंने इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

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पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के इस सुझाव से असहमत दर्ज की थी कि दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला आने तक उसे अपना फैसला रोक के रखना चाहिए. शीर्ष अदालत ने राज्यपाल द्वारा इसे राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान के खिलाफ हो रहे किसी काम से आंखें मूंदी नहीं जा सकतीं.

एजी पेरारिवलन को रिलीज किए जाने के मु्द्दे पर अदालत ने कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था और यह भी कहा था कि अगर पेरारिवलन की दया याचिका पर एक हफ्ते के अंदर को फैसला नहीं लिया गया तो अदालत उसे छोड़ देगी.

दरअसल साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई थी. इसके बाद पेरारिवलन सहित कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पेरारिवलन के ऊपर आरोप था कि धमाके के लिए जिस बैटरी का इस्तेमाल किया गया था वह मास्टरमाइंड शिवरासन को पेरारिवलन ने ही दिया था.


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