होम राजनीति कृषि मंत्री तोमर से ‘सम्मान’ पाने वाला निहंग सिख 1971 के वॉर...

कृषि मंत्री तोमर से ‘सम्मान’ पाने वाला निहंग सिख 1971 के वॉर हीरो की हत्या के प्रयास के मामले में वांटेड

बाबा अमन के खिलाफ दो मामलों में एक कथित तौर पर ब्रिगेडियर जसवाल पर हमले से जुड़ा है, जिसमें उन पर कहीं अधिक गंभीर आरोप लगे हैं.

निहंग बाबा अमन | विशेष प्रबंध

चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने जिस निहंग सिख बाबा अमन सिंह को सरोपा (सिखों को सम्मान के तौर पर भेंट की जाने वाली एक पोशाक) भेंट करके सम्मानित किया है, वो न केवल एक युद्ध नायक पर हमले को लेकर हत्या के प्रयास के मामले में भगोड़ा अपराधी है, बल्कि नशीली दवाओं के मामले में एक प्राथमिकी में भी उसका नाम बतौर आरोपी दर्ज है.

दिप्रिंट को मिले दस्तावेजों के मुताबिक, बाबा अमन उर्फ अमना को 2017 में चार अन्य लोगों के साथ मिलकर संपत्ति विवाद के बाद 75 वर्षीय ब्रिगेडियर जोगिंदर सिंह जसवाल (सेवानिवृत्त) पर जानलेवा हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिखाई गई जांबाजी के लिए ब्रिगेडियर जसवाल को वीर चक्र और सेना पदक से सम्मानित किया गया था.

मुकदमे के दौरान बाबा अमन ने दो बार जमानत का उल्लंघन किया और जुलाई 2018 में जालंधर की एक कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया.

एफआईआर के अनुसार, निहंग सिख ने कथित तौर पर चार अन्य लोगों के साथ ब्रिगेडियर जसवाल पर उस समय हमला किया, जब 30 मई 2017 को वह जालंधर में अपने घर जा रहे थे. हमलावरों ने उन पर धारदार हथियारों और रॉड से हमला किया और उन्हें खून से लथपथ हालत में वहीं सड़क पर छोड़ दिया. ब्रिगेडियर जसवाल को इस हमले में कई फ्रैक्चर और गंभीर घाव हुए लेकिन उनकी जान बच गई.

जालंधर के डीसीपी (अपराध) जसकरण सिंह तेजा ने बताया कि वे बाबा अमन के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. उन्होंने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, ‘हम सिंघू बॉर्डर पर बाबा अमन के बारे में सभी तथ्यों को सत्यापित करने की प्रक्रिया में हैं. एक बार यह काम पूरा हो जाने पर उपयुक्त कार्रवाई शुरू की जाएगी.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

बाबा अमन जनवरी 2018 में मादक पदार्थों की बरामदगी के लिए बरनाला पुलिस की तरफ से चलाए गए बड़े अभियान में भी आरोपी है, जिसमें एक ट्रक में पांच बैग में भरा 900 किलोग्राम से अधिक गांजा बरामद किया गया था. पांच लोगों को मौके से ही गिरफ्तार किया गया था, जबकि बाबा अमन और दो अन्य को बाद में इस मामले में नामजद किया गया था. उन्हें 2018 में इस केस में भी भगोड़ा घोषित किया गया था लेकिन पिछले साल पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह जांच में शामिल हुए थे.

बरनाला की एसएसपी अलका मीणा ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, ‘अन्य गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश किया जा चुका है जबकि बाबा अमन के खिलाफ चालान तैयार किया जा रहा है और जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा.’


यह भी पढ़ें: कब तक अंबानी और अडानी का वर्चस्व बना रहेगा? दक्षिण कोरिया और जापान से मिल सकता है जवाब


मंत्री के साथ मौजूद निहंग

बाबा अमन ने सिंघू बॉर्डर, जहां किसान मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, पर एक दलित लखबीर सिंह की नृशंस हत्या के बाद बिगड़ी निहंगों की छवि को और खराब ही किया है.

लखबीर की हत्या के मुख्य आरोपियों में एक सरबजीत सिंह, बाबा अमन के निहंग संप्रदाय से ही आता है और पिछले हफ्ते हरियाणा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. लखबीर की हत्या के मामले में बाबा अमन भी हरियाणा पुलिस की जांच के घेरे में है, हालांकि उन्हें अभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है.

सिर्फ यही काफी नहीं था. एक तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें बाबा अमन जुलाई में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ नजर आ रहे हैं.

उसी तस्वीर में पंजाब के पूर्व पुलिसकर्मी गुरमीत सिंह पिंकी भी दिख रहे हैं, जिन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया था लेकिन वह अपनी सजा पूरी कर चुके हैं.

सूत्रों ने जहां यह कहा कि बाबा अमन ने भाजपा नेता सुखमिंदर पाल सिंह ग्रेवाल के नेतृत्व वाले एक अनौपचारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने के तौर पर किसान आंदोलन के कारण जारी गतिरोध दूर करने के सिलसिले में तोमर से मुलाकात की थी, वहीं निहंग सिख की तरफ से बाद में दावा किया गया था कि वह पंजाब में बेअदबी के मामलों के लिए न्याय की मांग को लेकर तोमर से मिले थे.

जबसे तोमर के साथ उनकी तस्वीर सार्वजनिक हुई है बाबा अमन आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें भाजपा नेताओं ने सिंघू छोड़ने के लिए कहा था और सिंघू प्रदर्शन स्थल पर मारे गए उनके घोड़ों के लिए पैसे की पेशकश की थी.

लेकिन धरना स्थल पर भी वह विवादों से बचे नहीं हैं. गुरुवार को सिंघू में तैनात नौ निहंग जत्थों या समूहों में से अधिकांश ने बाबा अमन सिंह का बहिष्कार कर दिया, जब उनके जत्थे के एक सदस्य नवीन संधू ने कथित तौर पर बिहार के एक कामगार की उस समय पिटाई कर दी, जब उसने उसे मुफ्त में चिकन देने से इनकार कर दिया था. घटना के बाद हंगामा मचने पर बाबा अमन ने कहा कि संधू जत्थे में शामिल एक नया सदस्य था और उस घटना से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

निहंग राजा राज सिंह ने गुरुवार को सिंघू बॉर्डर पर कहा, ‘पहले उन्होंने भाजपा नेताओं से मिलने जाकर सिंघू बॉर्डर पर सभी निहंग सिखों को बदनाम किया. उसने यहां किसी से सलाह नहीं ली और न ही हमें बताया कि वह क्या कर रहा है. अब वह अपने जत्थे में तमाम अनजान लोगों को शामिल कर रहा है. हमने उसके बहिष्कार का फैसला किया है.’

दिप्रिंट ने बाबा अमन से टेलीफोन पर संपर्क करने के कई प्रयास किए लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उन्हें भेजे गए टेक्स्ट मैसेज का भी कोई जवाब नहीं आया.

केंद्रीय मंत्री तोमर के निजी सचिव मुकेश कुमार को भी बाबा अमन के साथ तस्वीर के मामले में प्रतिक्रिया के लिए शुक्रवार को एक ई-मेल भेजा गया था, लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं आया. शुक्रवार को जब इसी तस्वीर के संदर्भ पर तोमर के निजी सचिव अभिषेक से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह थोड़ी देर में कॉल करेंगे और फिर रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.


यह भी पढ़ें: क्रिप्टोकरेंसी में है करप्शन, निवेश का रास्ता या पैसा छुपाने का माध्यम


कौन हैं बाबा अमन?

बाबा अमन निहंगों के समूह शहीद प्यारे हिम्मत सिंह, चमकौर साहिब का प्रमुख होने का दावा करता है लेकिन सिंघू बॉर्डर पर अन्य निहंगों का कहना है कि वह केवल बुद्ध दल के बाबा मान सिंह का ‘सेवादार’ है.

उन्होंने कहा कि बाबा मान सिंह महाराष्ट्र के नांदेड़ में हजूर साहिब गए हुए हैं और इसलिए उनकी अनुपस्थिति में बाबा अमन बुद्ध दल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

करीब 32-33 साल के बाबा अमन संगरूर के बब्बनपुर गांव के रहने वाले हैं. उनके माता-पिता- मां करमजीत कौर और पिता ज्ञान सिंह गरीब मजदूर हैं. उनके पिता कैंसर से पीड़ित हैं.

उसके माता-पिता ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि बाबा अमन कई सालों से उनसे मिलने नहीं आए हैं और उन्होंने कुछ साल पहले उनसे नाता तोड़ लिया था क्योंकि पुलिस उनसे ठिकाने के बारे में लगातार पूछताछ कर रही थी.

पंजाब पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बाबा अमन ने प्राथमिक कक्षा में गांव के ही स्कूल में ही पढ़ाई की थी. उसके एक भाई और दो बहनें हैं.

स्कूली पढ़ाई के बाद वह अपने पिता और भाई के साथ गांव के खेतों में नलकूप लगाने का काम करने लगा. 20 साल की उम्र में वह अमृतधारी सिख (बपतिस्मा) बन गए और निहंगों के बुद्ध दल में शामिल होने के लिए घर छोड़ दिया.

उनके बारे में पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि 2018 में कथित तौर पर धूरी में एक खाली बंजर भूमि हथियाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें वहां से खदेड़ दिया गया क्योंकि वह जमीन वन विभाग की थी. पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबा अमन चमकौर साहिब में श्री जोहरा साहिब गुरुद्वारे में कार्यवाहक गुरनाम सिंह से मिलने के लिए नियमित रूप से आता है, उन्हें वह ‘बापू’ कहता है. पुलिस ने दावा किया कि बाबा अमन गुरनाम सिंह के बाद इस गुरुद्वारे पर कब्जे की फिराक में है.


यह भी पढ़ें: आर्यन खान को देख इतने खुश न हों, NDPS हथियार से सरकार आपके बच्चों को भी शिकंजे में ले सकती है


ब्रिगेडियर को मरने के लिए छोड़ दिया

बाबा अमन के खिलाफ दो मामलों में एक कथित तौर पर ब्रिगेडियर जसवाल पर हमले से जुड़ा है, जिसमें उन पर कहीं अधिक गंभीर आरोप लगे हैं.

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर ने दिप्रिंट को बताया कि समस्या तब शुरू हुई जब उनकी दोमंजिला इमारत पर सेवा सिंह नामक एक व्यक्ति ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया, जिसे 2017 में अदालती लड़ाई के बाद यह जगह छोड़ने को कहा गया.

ब्रिगेडियर जसवाल ने कहा, ‘पहली मंजिल 19 मई को खाली कर दी गई थी लेकिन तत्कालीन एसएचओ की मिलीभगत से सेवा सिंह को बाकी जगह खाली करने के लिए और समय मिल गया.’

उन्होंने बताया, ‘सेवा सिंह और अमना (बाबा अमन) का एक गिरोह था जो इस तरह की गतिविधियां चलाता था. मैंने संपत्ति खाली कराने के लिए पुलिस सुरक्षा मांगी थी. संपत्ति खाली कराने के लिए आखिरी तारीख 30 मई तय हुई थी.’

उन्होंने कहा, ‘इस बीच, उस दिन सुबह-सुबह मैं मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपने फार्महाउस से पंजाब एन्क्लेव स्थित अपने घर लौट रहा था. मैं अपने घर से बमुश्किल 150 मीटर की दूरी पर था, जब सेवा सिंह ने अपनी कार, जिसमें अमना और पांच अन्य लोग मौजूद थे, से मेरी बाइक को टक्कर मार दी और मैं नीचे गिर गया.’

उन्होंने बताया, ‘हथियारों से लैस इन लोगों ने इसके बाद कार से निकलकर मुझ पर हमला कर दिया. मेरे बेटे ने ये सब देखा तो दौड़ता हुआ आया लेकिन उनमें से दो ने उसे पकड़ लिया ताकि वो मेरी मदद न कर सके. अमना के पास तलवार थी और सेवा सिंह के पास दराती (फसल काटने में इस्तेमाल होने वाला एक कृषि उपकरण) और एक अन्य हमलावर ने रॉड ले रखा था. हमले के बाद उन्होंने मुझे मरने के लिए वहीं छोड़ दिया. मेरे बेटे ने मुझे अस्पताल पहुंचाया और मैं बच गया.’

जसवाल ने कहा, ‘मुझे तो जीना ही था. मैं तीन बार युद्ध के घाव झेल लेने वाला इंसान हूं. मुझे मार देना इतना आसान काम नहीं था. यहां तक कि जब ये पांच लोग मुझ पर वार कर रहे थे, तब भी मेरी आंख से एक आंसू नहीं निकला.’

जसवाल दो बार 1971 के युद्ध के दौरान और एक बार 2000 में कश्मीर घाटी में ब्रिगेड कमांडर के तौर पर घायल हो चुके हैं. 1971 के युद्ध में सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर अमृतसर सेक्टर में सेवाएं देने के दौरान उन्हें मशीन गन फटने का सामना करना पड़ा और जिससे उनकी गर्दन में चोट आई. घायल होने के बावजूद वह एक घायल नायक को अपने साथ लेकर वापस लौटे थे.

उन्होंने बताया, ‘उसी ऑपरेशन के समय एक बार मैं बारूदी सुरंगों का पता लगाने के दौरान घायल हो गया था. जब बारूदी सुरंग हटाते समय एक विस्फोट हुआ, जिससे मेरे शरीर के अन्य हिस्सों के अलावा आंखों में भी चोट लगी थी.

ब्रिगेडियर को अब उम्मीद है कि चूंकि पुलिस को अब उसके ठिकाने की जानकारी है, इसलिए वह उपयुक्त कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि पुलिस अब बाबा अमन को पकड़ने में सक्षम होगी क्योंकि वह सिंघू बॉर्डर पर नजर आया था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: सुरक्षा को लेकर कश्मीरी पंडितों को पुलिस-सरकार की जिम्मेदारी न होने की देनी पड़ रही ‘अंडरटेकिंग’


 

Exit mobile version