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KCR बनाम मोदी? कैसे पार्षदों के साथ PM की बैठक BJP के 2023 के तेलंगाना गेमप्लान के अनुकूल है

विधानसभा उपचुनाव और ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन से उत्साहित मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता 2023 में तेलंगाना राष्ट्र समिति को हराने के लिए अब पूरी ताकत झोंक देंगे.

7 जून को दिल्ली में तेलंगाना के भाजपा पार्षदों और पार्टी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | Twitter | @narendramodi

नई दिल्ली: तेलंगाना में व्यापक जन अपील वाले किसी नेता के अभाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दक्षिणी राज्य में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खड़ा करने की अपनी आजमाई हुई रणनीति अपनाने की तैयारी में है.

तेलंगाना में अगले साल दिसंबर में चुनाव होना है.

बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के भाजपा पार्षदों के साथ मोदी की बातचीत इसी दिशा में उठाया गया पहला कदम थी.

भाजपा के एक केंद्रीय पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि प्रधानमंत्री ने बैठक के लिए अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर दिखाया कि वह तेलंगाना से कितने ज्यादा जुड़े रहेंगे और राज्य पर पार्टी और केंद्र सरकार की तरफ से कितना ध्यान दिया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री पूरा देश चलाते हैं…फिर भी जिस तरह उन्होंने पार्षदों के साथ बातचीत की पहल की—जिन्हें पार्टी का आधार मजबूत करने में जमीनी स्तर का महत्वपूर्ण कार्यकर्ता माना जाता है—यह राज्य के प्रति पार्टी और सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’

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राज्य में भाजपा के एक नेता ने कहा कि मंगलवार की बैठक का उद्देश्य यह दिखाना था कि केसीआर की ‘अनुपलब्धता’ के विपरीत प्रधानमंत्री किस तरह ‘पहुंच’ के भीतर होते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी पद पर मौजूद कोई भी कार्यकर्ता पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है और उनके साथ जुड़ना जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘संपर्क के लिए केसीआर के अनुपलब्ध होने का तथ्य इससे भी उजागर होता है कि पीएम तक नगरसेवकों से मिलने के लिए समय निकाल रहे हैं. यह ऐसा मुद्दा है जिसे हम मतदाताओं के सामने उठाने जा रहे हैं.’

कभी तेलंगाना की राजनीति में मामूली खिलाड़ी मानी जाने वाली भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में तेजी से पैठ बनाई है. नवंबर 2020 में, दुब्बाका विधानसभा उपचुनाव में केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को हराकर तो पार्टी ने राजनीतिक हलकों को हैरानी में ही डाल दिया था.

इसके एक महीने बाद जीएचएमसी चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया जहां पार्टी ने 48 वार्ड जीतने के साथ अपनी टैली 10 गुना बढ़ा ली. 55 वार्डों पर जीत के साथ सत्तारूढ़ टीआरएस 150-वार्ड वाले निगम में आधे का आंकड़ा पार करने से चूक गई.

पिछले साल नवंबर में भाजपा ने हुजूराबाद विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की, जिसे ‘महा-मुकाबला’ माना जा रहा था क्योंकि टीआरएस के पूर्व मंत्री एटाला राजेंदर उसके उम्मीदवार थे. भाजपा उम्मीदवार ने टीआरएस के किला में 23,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की.


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केसीआर की ‘नींद टूटी’

माना जाता है कि इन नतीजों ने टीआरएस नेतृत्व को हिलाकर रख दिया है क्योंकि केसीआर—जो पहले सार्वजनिक रूप से ज्यादा नहीं दिखाई देते थे—ने भाजपा के मुकाबले के लिए जमीनी स्तर की राजनीति में कदम रखना बेहतर समझा. वह धान खरीद को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं. केसीआर ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों को एक साथ लाने के प्रयास भी तेज कर दिए.

तेलंगाना पर खास ध्यान केंद्रित करते हुए भाजपा ने राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं. 2-3 जुलाई को हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तो प्रस्तावित है ही, केंद्रीय नेता, खासकर मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्य से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं.

भाजपा के केंद्रीय पदाधिकारी ने बताया, ‘पीएम मोदी ने नगरसेवकों से कहा—यदि आप अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो यह आपको सफलता की सीढ़ी पर आगे बढ़ाएगा क्योंकि भाजपा वंशवाद की राजनीति नहीं करती है. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की निजी सफलता सीधे तौर पर पार्टी की प्रगति से जुड़ी हुई है. उन्होंने उनसे केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों की नजरों में लाने के लिए भी कहा. उन्होंने नगरसेवकों से कहा कि उनके प्रदर्शन से राज्य के साथ-साथ संसद में भी बीजेपी को मदद मिलेगी और इसलिए, उन्हें पहले अपना बूथ जीतने पर ध्यान देना चाहिए—मेरा बूथ, सबसे मजबूत (भाजपा का एक अभियान).’

पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि यह समझना मुश्किल नहीं है कि इस पूरे प्रकरण का क्या असर होगा. साथ ही जोड़ा कि यह तेलंगाना के लोगों को यह संदेश देगा कि प्रधानमंत्री उनके साथ उसी तरह जुड़े हैं जैसा किसी अन्य राज्य के साथ जुड़े रहते हैं.

नेता ने कहा, ‘बैठक में, प्रधानमंत्री ने नगरसेवकों से कहा कि उन्हें न केवल पार्टी का राजनीतिक चेहरा बल्कि सामाजिक चेहरा भी होना चाहिए. ताकि जरूरत पड़ने पर लोग सबसे पहले उन तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि लोगों को किसी कारण भाजपा के बारे में शंकाएं हो सकती है; इसलिए, ‘एक बार जब वे आपको जान लेंगे, तो वे पार्टी को भी बेहतर ढंग से समझ पाएंगे.’

मंगलवार की बैठक में शामिल नेताओं में से एक ने दिप्रिंट को बताया कि मोदी ने समूह को सेवा पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी. इस पर सहमति जताते हुए एक अन्य नेता ने कहा कि पीएम ने जोर देकर कहा कि सेवा और जनसेवा ही भाजपा पार्षदों को दूसरों से अलग दर्शा सकती है.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (मोदी ने) कहा कि चूंकि नगरसेवक निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं, उन पर हमेशा लोगों का ध्यान जाता है. वे अपने काम और सेवा के जरिये पार्टी के छवि निर्माता बन सकते हैं, और अपनी गतिविधियों के बलबूते भाजपा को मजबूत करने का साधन बन सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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