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दिल्ली ने स्कूलों को फिर से खोलने में क्यों की देरी? बिना टीका लगे बच्चे, यात्री और योजना में बदलाव इसकी वजह

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुमति दे दी है कि 9वीं क्लास और उससे ऊपर के लिए फिज़िकल कक्षाएं 7 फरवरी से और 9वीं से नीचे की कक्षाएं 14 फरवरी से शुरू हो जाएंगी.

दिल्ली के स्कूली छात्र | प्रतीकात्मक तस्वीर | एएनआई

नई दिल्ली: डेल्टा लहर के बाद बने ग्रेडेड एक्शन प्लान में ओमीक्रॉन के लिए किए गए बदलाव, बिना टीका लगे बच्चों से जुड़े खतरे और उन राज्यों से आने वालों का सिलसिला, जहां कोविड-19 में उछाल देखा जा रहा था- वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार मोटे तौर पर यही वो कारण हैं, जिनके चलते दिल्ली में स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला देर से लिया गया.

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने अनुमति दे दी है कि राजधानी के स्कूलों में 9वीं क्लास और उससे ऊपर के लिए फिज़िकल कक्षाएं 7 फरवरी से और 9वीं से नीचे की कक्षाएं 14 फरवरी से शुरू हो जाएंगी.

ये फैसला ऐसे समय आया है जब कई राज्यों में स्कूल पूरी तरह या आंशिक रूप से खुल गए हैं, जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और हरियाणा.

शुक्रवार को हुई डीडीएमए की बैठक की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘फैसला लेने में कोविड-19 प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से अधिसूचित, एक ग्रेडेड एक्शन प्लान के खिलाफ जाने की ज़रूरत थी, इसलिए विशेषज्ञों के हस्तक्षेप के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था- क्योंकि ये जोखिम कौन लेता कि अगर कहीं कुछ गड़बड़ हो गई तो क्या होगा? डीडीएमए कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी’.

महामारी के दौरान ओमीक्रॉन-चालित तीसरी लहर के चलते, दिल्ली के स्कूलों में 28 दिसंबर से नियमित कक्षाएं स्थगित चल रही हैं.

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सरकारी रिकॉर्ड्स के अनुसार, मार्च 2020 से जब भारत में कोविड मामले फैलने शुरू हुए, दिल्ली के स्कूल करीब 94 हफ्तों के लिए पूरी तरह स्थगित रहे हैं. अभी तक, कम से कम आठ मौके ऐसे रहे हैं, जब सरकार ने कुछ कक्षाएं शुरू कराईं, लेकिन उन्हें फिर से स्थगित कर दिया गया और इसमें दो अवसर तो ऐसे थे जब 2021 के अंत में गंभीर वायु प्रदूषण के चलते उसे ऐसा करना पड़ा.


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कार्य योजना

दिल्ली में कोविड प्रबंधन के लिए एक ग्रेडेड एक्शन प्लान है, जिसे डेल्टा वेरिएंट से उत्पन्न पिछली लहर के बाद, डीडीएमए ने जुलाई 2021 में अधिसूचित किया था. उस लहर ने हेल्थकेयर सिस्टम पर बहुत अधिक बोझ डाल दिया था, और काफी संख्या में मौतें हुईं थीं.

इस योजना में ऐसी स्थिति में स्कूलों को स्थगित कर दिया जाता है, अगर लगातार दो दिन दिल्ली में सकारात्मकता दर 0.5 प्रतिशत दर्ज हो जाए या अगर एक सप्ताह तक रोज़ाना के औसत मामले 1,500 से अधिक हो जाएं या फिर सात दिन तक औसतन 500 ऑक्सीजन बिस्तर भरे रहें.

सरकारी रिकॉर्ड्स से पता चला कि फिलहाल दिल्ली में सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत के आसपास चल रही है और पिछले एक सप्ताह में हर रोज़ 2,200 से अधिक मामले सामने आए हैं. अधिकारी ने कहा कि ये आंकड़े इस समय पर, ग्रेडेड एक्शन प्लान के तहत दिल्ली को अनिवार्य रूप से स्कूलों को स्थगित करने का पात्र बना देते हैं- जब तक कि उसे छूट न दी जाए.

एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘ये कार्य योजना डेल्टा लहर के मद्देनज़र बनाई गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में मामले ज़्यादा गंभीर थे, जबकि उसके विपरीत आजकल चल रही ओमीक्रॉन लहर में, मामले अपेक्षाकृत हल्के हैं’. उन्होंने आगे कहा कि चूंकि सरकार को ओमीक्रॉन के लिए अलग से कार्य योजना तैयार करने का समय नहीं मिला, इसलिए अगर स्कूलों को फिर से खोलना था, तो मौजूदा योजना में ही बदलाव करने थे.

अधिकारी ने कहा, ‘ये ऐसे ही नहीं किया जा सकता था क्योंकि 15 साल से कम के बच्चे अभी भी टीकाकरण के पात्र नहीं हैं. इसमें जोखिम बना रहता है. दिल्ली में बड़ी संख्या में लोग ऐसे राज्यों से आ रहे हैं, जहां फिलहाल कोविड-19 मामलों में उछाल देखा जा रहा है. इसलिए, विशिष्ट सिफारिशों के मामले में एक्सपर्ट कमेटी का हस्तक्षेप ज़रूरी था’.


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डीडीएमए बैठक

डीडीएमए की अध्यक्षता दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल करते हैं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरावाल इसके उपाध्यक्ष हैं. कोविड-19 प्रबंधन के मार्गदर्शन के लिए इसमें विशेषज्ञों की एक कमेटी होती है. शुक्रवार की बैठक में कथित रूप से कमेटी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्कूलों को जितना जल्दी हो सके फिर से खुल जाना चाहिए.

डीडीएमए द्वारा नियुक्त कमेटी में नीति आयोग (स्वास्थ्य) सदस्य डॉ वीके पॉल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) प्रमुख डॉ बलराम भार्गव बतौर विशेषज्ञ शामिल हैं. ये सब केंद्र सरकार की विशेषज्ञ कमेटियों के भी सदस्य हैं.

ऊपर हवाला दिए गए पहले अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को कमेटी ने अपने निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले, दूसरे राज्यों में खासकर जिन्होंने अपने स्कूल फिर से खोल लिए हैं, कोविड की प्रवृत्तियों पर चर्चा की. उसने इस पर भी बल दिया कि केवल पूरी तरह टीका लगे हुए शिक्षकों को ही कक्षा में आने की अनुमति दी जाए.

अधिकारी के अनुसार स्कूलों को फिर से खोलने की अहमियत पर पिछली बैठकों में भी चर्चा हुई थी लेकिन ऐसा करने के लिए विशिष्ट प्रस्ताव शुक्रवार को ही रखा गया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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