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माल ढुलाई हुई महंगी— लाल सागर में हूतियों के हमलों से हरियाणा के बासमती और कपड़ा निर्यातकों को नुकसान

यमन के हूती विद्रोहियों के हमले के तहत स्वेज़ नहर में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए महत्वपूर्ण लाल सागर के साथ निर्यातकों को मध्य पूर्व, यूरोप और अमेरिका में माल भेजने के लिए दोगुने से अधिक भुगतान करना पड़ रहा है.

20 नवंबर को जारी एक तस्वीर में गैलेक्सी लीडर मालवाहक जहाज को लाल सागर में हूती विद्रोहियों से बचाया जा रहा है | फोटोः रॉयटर्स

गुरुग्राम: गाजा पर इज़रायल के हमलों के बाद यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में इज़रायल की ओर या वहां से आने वाले संदिग्ध वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाए जाने से हरियाणा के कपड़ा केंद्र पानीपत और बासमती चावल के निर्यातकों पर बुरा असर पड़ा है. इसके चलते माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि और अधिक समय लगने के चलते राज्य के निर्यातकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

स्वेज नहर में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए लाल सागर जरूरी है, जो एशिया और यूरोप-अमेरिका को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण समुद्री लिंक है. स्वेज नहर को बायपास करने के लिए जहाजों को पूरे अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ता है. इसके चलते लागत और समय में भारी बढ़ोतरी हो जाती है.

पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए जनवरी में जर्मनी में दो एक्सपो में भाग लेने वाले पानीपत के निर्यातक दोहरे संकट की स्थिति में हैं. उन्हें माल ढुलाई के लिए अधिक भुगतान करने के अलावा, शिपिंग कंपनियों से पता चला है कि जो उत्पाद उन्होंने भेजे हैं उसकी डिलिवरी लेट से होगी. उनका माल एक्सपो के खत्म हो जाने के बाद पहुंचेगा.

दिप्रिंट से बात करते हुए, ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि हरियाणा से 80 प्रतिशत चावल निर्यात मध्य पूर्व में जाता है जबकि बाकी यूरोप और अमेरिका में जाता है.

उन्होंने कहा, “जब से लाल सागर में गड़बड़ी शुरू हुई है और यमन के हूती विद्रोहियों ने मालवाहक जहाजों पर हमले शुरू किए हैं, मध्य पूर्व के लिए प्रति कंटेनर माल ढुलाई 600 डॉलर से बढ़कर 2,000 डॉलर हो गई है. इसी तरह, यूरोप और अमेरिका के लिए शिपमेंट जो स्वेज नहर से होकर गुजरते थे, अब लंबा रास्ता अपना रहे हैं और जहाज दक्षिण अफ्रीका के निचले भाग केप ऑफ गुड होप के आसपास से होकर जा रहे हैं.”

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सेतिया ने कहा, “इससे न केवल कार्गो में देरी हो रही है, बल्कि जो मालभाड़ा 2,000 डॉलर से 2,500 डॉलर के बीच होता था, वह बढ़कर 5,500 डॉलर और यहां तक ​​कि कुछ मामलों में 6,000 डॉलर तक पहुंच गया है.”

हूती एक विद्रोही समूह है जिसका युद्धग्रस्त यमन के अधिकांश उत्तरी भाग पर नियंत्रण है. यह समूह बड़े पैमाने पर शिया इस्लाम के ज़ायदी संप्रदाय का पालन करता है. कथित तौर पर ईरान द्वारा समर्थित, हूती विद्रोहियों ने चल रहे इज़रायल-हमास संघर्ष में फिलिस्तीनी संगठन हमास के लिए समर्थन की बात की है और लाल सागर को पार करने की कोशिश कर रहे जहाजों पर हमला कर रहे हैं.


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देरी और लागत में बढ़ोतरी

ललित गोयल के अनुसार, स्नान मैट, फर्श कवर, दरी, कालीन, कंबल, तौलिये, पर्दे, टेबल कवर जैसी वस्तुओं का निर्यात करने वाले पानीपत के निर्यातक हूती विद्रोहियों के हमले के चलते बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.

उन्होंने कहा, “हमारे पास 11 से 14 जनवरी तक हनोवर में फ़्लोरिंग उत्पादों पर एक अंतर्राष्ट्रीय एक्सपो डोमोटेक्स 2024 है. इसी तरह, कपड़ा पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला हेमटेक्स्टिल, 9 से 11 जनवरी तक फ्रैंकफर्ट में आयोजित किया जाना है. हमारे कई सदस्य हर साल इन एक्सपो में भाग लेते हैं और दुनिया भर के व्यापारियों से अच्छा ऑर्डर लेते हैं.”

आगे बताते हुए उन्होंने कहा: “यह एक प्रथा है कि एक्सपो में अपने एजेंटों को उत्पाद समुद्र के रास्ते पहले ही भेज दिए जाते हैं और निर्यातक मेले के समय हवाई मार्ग से वहां पहुंचते हैं. इस बार, जहाजों के मार्ग बदलने के कारण हमारे कार्गो में देरी हुई है और अब शिपमेंट की ऑनलाइन ट्रैकिंग से पता चल रहा है कि उन्हें 14 जनवरी तक जर्मनी में डिलिवर किया जाएगा, तबतक दोनों प्रदर्शनियां खत्म हो जाएंगी.”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे सदस्य असमंजस में हैं. अब हमारे पास हवाई जहाज से माल भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जबकि समुद्र के माध्यम से भेजे जाने वाले माल की लागत पहले से ही बहुत अधिक है, अब हमें हवाई मार्ग से भेजे जाने वाले माल के लिए अतिरिक्त भाड़ा देना होगा.”

गोयल ने कहा कि जिन देशों के लिए निर्यातक प्रति कंटेनर 1,400 से 1,500 डॉलर का भुगतान कर रहे थे, अब उनकी कीमत 2,500 से 3,000 डॉलर हो रही है.

गोयल ने कहा, “शिपिंग कंपनियां हमें बताती हैं कि उनके जहाजों को यूरोप और अमेरिका तक पहुंचने के लिए 9,000 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी.”

सेतिया, जो करनाल से अपना बासमती निर्यात व्यवसाय चलाते हैं, ने कहा कि हरियाणा के चावल निर्यातक 140 देशों में अपने उत्पाद भेजते हैं. उन्होंने बताया, “पिछले साल भारत से 38,500 करोड़ रुपये का 45 लाख टन चावल निर्यात किया गया था, जिसमें हरियाणा की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी.”

चावल निर्यातकों की परेशानियों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि शनिवार को दक्षिणी लाल सागर में 25 भारतीयों से भरे जहाज को निशाना बनाने से संकट और गहराने की संभावना है.

सेतिया ने बताया कि इस हमले से पहले भी, कुछ शिपिंग लाइनें मध्य पूर्व के लिए ऑर्डर ले रही थीं और लेकिन अब यह और भी मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने कहा, “हालांकि, जिस तरह से भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है और भारतीय नौसेना तुरंत कार्रवाई में जुट गई है, हमें उम्मीद है कि चीजें बेहतर होंगी.”

(संपादन : ऋषभ राज)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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