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#MeToo एम जे अकबर मामले में अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी को समन जारी किया

वकील गीता लूथरा व वकील संदीप कपूर ने अदालत से कहा कि रमानी ने अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, जिसे बनाने के लिए उन्होंने वर्षो तक कड़ी मेहनत की थी.

Prime Minister Narendra Modi Holds Bilateral Talks With Seychelles President Danny Antoine Rollen Faure
एमजे अकबर (फाइल फोटो: Getty Images)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर द्वारा दाखिल मानहानि के एक मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को समन जारी किया. अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने रमानी से 25 फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है.

अकबर की वकील गीता लूथरा व वकील संदीप कपूर ने अदालत से कहा कि रमानी ने अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, जिसे बनाने के लिए उन्होंने वर्षो तक कड़ी मेहनत की थी. रमानी उन महिला पत्रकारों की लंबी सूची में पहली हैं, जिन्होंने विदेश राज्य मंत्री व पत्रकार से राजनेता बने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अकबर अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं.


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अकबर सहित सात गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. राज्यसभा सदस्य ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को झूठा और निराधार बताया है.

वरिष्ठ पत्रकार और केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए खुद को निर्दोष और आरोपों को निराधार बताया था. अपनी दलील में उन्होंने कहा था कि उनके आरोप जो कि उनकी पहली मुलाकात के बारे में हैं, उनकी ‘कल्पना की उपज हैं और मनगढ़ंत हैं.’


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पिछले साल वोग पत्रिका में अपने एक लेख में रमानी ने एक संपादक के बारे में लिखा था कि उन्होंने दो दशक पहले नौकरी के लिए साक्षात्कार के लिए एक होटल के कमरे में बुलाया, उन्हें ड्रिंक्स ऑफर की, उन्हें पलंग पर अपने पास बैठने को कहा और उनके लिए गाना गाया. अक्टूबर 2017 में जब दुनिया भर में मीटू मुहिम शुरू हुई थी तब लिखे गए उस लेख में उन्होंने उस संपादक का नाम नहीं लिया था.

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8 अक्टूबर 2018 को उन्होंने अकबर का नाम लिया. साथ ही सोशल मीडिया में मीटू मुहिम के नए दौर में कई महिलाओं ने पत्रकारिता और मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों पर आरोप लगाए हैं. अपने ट्वीट में रमानी ने कहा था कि उन्होंने पहले उनका नाम इसलिए नहीं लिया था क्योंकि ‘उन्होंने कुछ किया नहीं था’. उनके दावे के साथ ही कई महिलाओं ने आरोप लगाए कि उनको भी कथित रूप से अकबर के हाथों प्रताड़ित होना पड़ा था.

अकबर ने पटियाला हाउस ज़िला अदालत में आपराधिक मानहानि का केस दायर किया था.

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