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सभी नागरिकों के लिए अधिकतम दो बच्चों का कानून लागू करें

गिरिराज सिंह कहते हैं, 'पूरी दुनिया के मुस्लिम देशों में जनसंख्या नियंत्रण कानून बने तब वहां उसे धर्म से नहीं जोड़ा जाता है. ऐसा केवल भारत में क्यों.'

News On Population Control
जनसंख्या समाधान कानून पर अपनी बात रखने के लिए मंच पर बैठे गिरिराज सिंह, इंद्रेश कुमार और सुरेश चौहान | फोटो / शुभम सिंह

नई दिल्ली: सुबह के ग्यारह बज रहे होंगे. जंतर मंतर पर दूर से ही लोग तिरंगा झंडा हाथों में लिए खड़े दिखाई दे रहे हैं. ज्यादातर लोग दिल्ली और हरियाणा से हैं. हम तिरंगे वाली भीड़ के नजदीक पहुंचते हैं, एक नेता की मंच से आवाज़ स्पष्ट होने लगती है.

‘122 करोड़ लोगों के पास खुद का आधार कार्ड है, 25 करोड़ लोग बिना आधार के हैं और 5 करोड़ बांग्लादेशी व रोहिंग्या हैं. तो जनसंख्या हमारी 152 करोड़ हो चुकी है. चीन की जनसंख्या 148 करोड़ और हमारी जनसंख्या 152 करोड़. हमारे पास खेती युक्त जमीन मात्र 4 परसेंट और हमारी जनसंख्या दुनिया की कुल आबादी का 20 परसेंट. अब आप ज़रा सोचिए अगले पांच दस साल बाद हमारी स्थिति क्या होगी.’

मंच से बीजेपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय यह आह्वान कर ही रहे थे कि भीड़ अचानक से ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने लगी. यह नारे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के स्वागत में लग रहे थे. और मंच के पास ही कुछ मीडिया कर्मी गिरिराज सिंह के सामने सवाल दागना शुरू कर देते हैं. वे बहुत ही शालीनता से हर एक के प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं.

‘सर, यह क्या कार्यक्रम है और इसकी जरूरत इस समय यानी चुनाव के नजदीक क्यों पड़ी ?’

‘देखिए ये एक दिन का काम नहीं है. जनसंख्या समाधन फाउंडेशन ने जनसंसद लगाया है. जो देश को बताना चाहता है कि अगर जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कड़ा कानून नहीं बना तो देश का समाजिक समरसता और देश का विकास दोनों नहीं रहेगा. जब सामाजिक समरसता नहीं रहेगा तो लोकतंत्र भी खतरे में आ जाएगा.’

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आपको बता दें, आज जंतर मंतर पर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर एक जन-संसद का आयोजन किया गया था.

जनसंख्या समाधान फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम | फोटो / शुभम सिंह

इसी बीच दिप्रिंट से हमारी सहयोगी प्रज्ञा कौशिक एक तीखा सवाल पूछती हैं, ‘सर, बहुत लोग मानते हैं कि जब भी भाजपा नेता इसकी बात करते हैं तो वे इसे एक समुदाय विशेष को टार्गेट करने के लिए करते हैं.’

गिरिराज सिंह इस सवाल का बड़ा माकूल जवाब देते हैं, ‘पूरी दुनिया में मुस्लिम देशों में जनसंख्या नियंत्रण कानून बने तब वहां उसे धर्म से नहीं जोड़ा जाता है. तो इसे भारत में ही क्यों जोड़ा जा रहा है. इस विषय पर जब पाकिस्तान में बात हो रही, बांगलादेश में बात हो रही, इंडोनेशिया में बात हो रही तो फिर हमारे देश के वोट के सौदागर इसे धर्म से क्यों जोड़ रहे हैं.’

इसके बाद गिरिराज सिंह मंच पर पहुंचते हैं. लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए, अपना भाषण शुरू करते हैं.

‘मैं यहां आए सभी लोगों का अभिनंदन करता हूं. क्योंकि आज न ये रिजर्वेशन का आंदोलन है, न कोटा का आंदोलन है और न ही नौकरी मिलने का आंदोलन है. यह भारत माता को बचाने का आंदोलन है.’ इसके बाद जंतर मंतर तालियों की गड़गड़ाहट और देश भक्ति नारों से गूंज उठता है.

गिरिराज सिंह जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी बात रखते हुए देश की समरसता को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ भी खुल कर बोले.

उनके बाद आए सुदर्शन टीवी के सुरेश चौहान. केरल में मरे एक कार्यकर्ता के लिए दो मिनट का मौन रखा के बाद, वे  एकदम स्पष्ट शब्दों और बुलंद आवाज़ में अपनी बात शुरू करते हैं,’जनसंख्या नियंत्रण कानून अब देश का अहम मुद्दा है. एक साल पहले इस मुद्दे को कोई नहीं जानता था. लेकिन अब ये महत्वपूर्ण हैं. मैं आज नियंत्रण पर नहीं बल्कि इसके असंतुलन पर बोलूंगा. अगर स्थिति कारण और परिणाम की बात करें तो, हमारे दादा ने पानी को नदियों में देखा था. हमारे पिता ने कुएं में देखा. हम बोतल में देख रहें. और ऐसा ही रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ी इसे केवल आंसूओं में ही देखेगी.’

सुरेश चौहान अब पूरे जोश खरोश के साथ आगे बोलना शुरू करते हैं, ‘जनसंख्या से भी बड़ा मुद्दा है, जनसंख्या का अंसुतलन. अर्थात हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जनसंख्या की संख्या में बढ़ता हुआ अनुपात का फर्क.’

सुरेश चौहान इसके बाद अपने पूरे भाषण को हिंदू मुसलमान के बीच बढ़ रहे जनसंख्या असंतुलन के बारे में विस्तार देकर समझाते हैं. सुरेश चौहान के भाषण के बाद भीड़ ‘भारत माता की जय’ के नारे की जगह ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने लगती है.

इसके अलावा अंत में संघ विचारक इंद्रेश कुमार अपने विचार प्रकट करते हैं, ‘हम सब यहां आए हैं अपनी डिमांड को लेकर और हमारी एक सूत्रीय मांग है कि हमारी भारत माता की ‘जय जय कार’ हो.’

उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती जनसंख्या का सबसे अहम कारण गरीबी है. लोग इस उम्मीद में होते हैं कि ज्यादा बच्चा पैदा करने से ज्यादा काम का हाथ बढ़ जाएगा. लेकिन यह गलत सोच है और हमें इस सोच को बदलने के लिए काम करना होगा.

कार्यक्रम में जनसंख्या समाधान संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चौधरी समेत अन्य प्रमुख वक्ताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर अपने विचार रखें.  और सबने ‘सभी नागरिकों के लिए अधिकतम दो बच्चों का कानून’ लागू करने की मांग रखी.

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