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राफेल डील बिल्कुल साफ सुथरी, पीएमओ ने नहीं दिया दखल- पूर्व डिफेंस सचिव

मोहन कुमार का कहना है कि पीएमओ राफेल सौदे को तेजी से निपटाना चाहता था, और उसकी सोच 'स्वतंत्र और स्पष्ट' थी, जैसा कि तत्कालीन मंत्री मनोहर पर्रिकर चाहते थे.

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राफेल लैंड करते हुए/ जसपर जुनैन- ब्लूमबर्ग

 नई दिल्ली: पूर्व डिफेंस सचिव ने दिप्रिंट को बताया कि 7.878 बिलियन यूरो का राफेल फाइटर जेट सौदा पूरी तरह से साफ है और इसकी प्राइसिंग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं की है. उन्होंने द हिंदू में लिखी खबर और यह लिखे जाने को कि फ्रांस सरकार के राफेल डील मामले में पीएमओ नेगोसिएशन कर रहा था उसे सिरे से खारिज कर दिया है.


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रिटायर होने के बाद केरल में बस चुके अधिकारी ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि मैं यह देख रहा हूं और मेरी नजर में यह अति-प्रतिक्रिया है. यह दुखद है कि मंत्रालय के भीतर होने वाली एक स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा को इस स्तर तक उड़ाया जा रहा है और इस अंजाम तक पहुंचा दिया गया है.

रक्षा मंत्रालय अलग प्रणाली पर काम करता है

कुमार ने नोट लिखे जाने वाली बात से इनकार नहीं किया है लेकिन उन्होंने यह भी साफ कहा है कि मेरा कमेंट बैंक गारंटी को लेकर था न कि राफेल की प्राइसिंग को लेकर. उन्होंने कहा कि हां, यह सच है कि मैंने एक नोट लिखा था और इसमें मैंने अपने स्पष्ट और स्वतंत्र विचारों को रखा था, और इसे तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को भेजा था. मुद्दा फ्रांस सरकार द्वारा गारंटी दिए जाने को लेकर था. रक्षा मंत्रालय का काम करने का एक अलग तरीका है जिसमें वह सबकुछ अपने अंदर रखता है और हम नहीं चाहते कि इस मामले में कोई और बात करे.

उस नोट में कुमार बताते हैं: आरएम (रक्षा मंत्री) प्लीज देखिये, इस तरह बातों और डील में चर्चा करने से पीएमओ बचना चाहिए, क्योंकि यह हमारी बातचीत और स्थिति की गंभीरता को कम करता है. कुमार इस बात को मानते हैं कि उस नोट को लिखने के दौरान वह कठोर थे.

कुमार ने कहा कि जैसा कि मैं आपसे कह रहा हूं कि रक्षा मंत्रालय जरा अलग तरीके से काम करता रहा है तो मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि यह शुरुआती दिनों की बात है जब राफेल की डील शुरुआती चरण में थी.

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डील पूरी तरह से सही है

यह पूछने पर कि क्या उनकी नजर में यह राफेल डील पूरी तरह से साफ थी? उन्होंने लगभग चिल्लाते हुए कहा,’इसमें शक कहां है? उन्होंने कहा कि पूरी डील पूरी तरह से साफ है. पूरी डील की प्राइसिंग नेगोसिएशन रक्षा मंत्रालय और एयर फोर्स के अधिकारियों ने की है. वह यह कह कर चले गए कि पीएमओ ने प्राइसिंग के मामले में कोई नेगोसिएशन नहीं की, लेकिन उन्होंने यह माना कि हां पीएमओ यह चाहता था कि डील जल्दी हो.

उन्होंने कहा की यह पीएमओ की कार्यप्रणाली है जिसमें वह काम तेज गति से करना चाहता है.

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