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76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- भारत में लैंगिक असमानता कम हो रही है

ओडिशा की रहने वाली 64 वर्षीय मुर्मू ने 25 जुलाई को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. वह शीर्ष संवैधानिक पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की और पहली आदिवासी हैं.

द्रौपदी मुर्मू | @rashtrapatibhvn

नई दिल्ली: राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई दी.

राष्ट्रपति ने 1947 के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वालों को भी श्रद्धांजलि दी. उन्होंने 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मरण दिवस बताया, जिसकी घोषणा पिछले साल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई. मुझे इस अहम मौके पर आपको संबोधित करते हुए खुशी हो रही है. भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 75 साल पूरे कर रहा है. सामाजिक समरसता, एकता और लोगों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए 14 अगस्त को ‘विभाजन भयावह स्मरण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. कल वह दिन है जब हमने अपने आप को औपनिवेशिक शासकों की बेड़ियों से मुक्त कर लिया था और अपने भाग्य को नया रूप देने का फैसला किया था. जैसा कि हम सभी उस दिन की वर्षगांठ मनाते हैं, हम उन सभी पुरुषों और महिलाओं को नमन करते हैं जिन्होंने हमारे लिए एक स्वतंत्र भारत में रहना संभव बनाने के लिए भारी बलिदान दिया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था. लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया.’

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत में लैंगिक असमानता कम हो रही है और महिलाएं कई बेड़ियां तोड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से निपटने में देश की उपलब्धियां कई विकसित देशों से बेहतर रही हैं.

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मुर्मू ने अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू हुआ. उस आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया. उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई. यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत में आज संवेदनशीलता और करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है. इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के कल्याण और कार्य करना है.

राष्ट्रपति ने पर्यावरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए. जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है.’

गौरतलब है कि ओडिशा की रहने वाली 64 वर्षीय मुर्मू ने 25 जुलाई को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. वह शीर्ष संवैधानिक पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की और पहली आदिवासी हैं. वह आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं.


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