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जर्नलिस्टों के खिलाफ उपयोग हो रहे ‘कठोर कानूनों’ पर पत्रकार संगठन हुए एकजुट, राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग

पत्रकार संगठनों ने कहा, हमारे समुदाय को अधिक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादातर लोग काम करने के दौरान खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हैं लेकिन पत्रकारों के खिलाफ कठोर कानूनों का प्रयोग काफी बढ़ गया है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकार संगठन के लोग मीडिया से बातचीत करते हुए/सोशल मीडिया

नई दिल्ली: लगातार पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के खिलाफ सरकार द्वारा उपयोग किए जा रहे कठोर कानून का पत्रकार संगठनों ने कड़ा विरोध किया है. इसी कड़ी में नौ पत्रकार संगठनों ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मीडिया कर्मियों के खिलाफ ‘‘कठोर कानूनों’’ का उपयोग करने के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वुमेन प्रेस कोर्प, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट, डिजिपब, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट्स क्लब, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, वेटरन जर्नलिस्ट ग्रुप और ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने ‘‘भारत में स्वतंत्र मीडिया की अभूतपूर्व स्थिति’’ को लेकर एक प्रदर्शन भी किया.

उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमारे समुदाय को अधिक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. हमारे पेशे में ज्यादातर लोग काम करने की खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हैं लेकिन पत्रकारों के खिलाफ कठोर कानूनों का प्रयोग काफी बढ़ गया है.’’

पत्रकार संगठनों ने कहा, ‘‘हम सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी होने के नाते आपसे हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि हमारे संविधान में स्वतंत्रता की सुरक्षा दी गयी है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आजीविका की स्वतंत्रता शामिल है.’’

यह पत्र तब लिखा गया है जब कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस ने चीन समर्थक प्रचार के लिए कथित तौर पर धन प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े कई पत्रकारों के परिसरों में छापे मारे.


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