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हाथरस मामले के बाद दलितों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर नज़र रख रहा है नेतृत्वहीन अनुसूचित जाति आयोग

एनसीएससी के अधिकारी उन मामलों की तलाश में हैं जिनमें अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों पर अत्याचार हुआ है ताकि आयोग द्वारा स्वत: संज्ञान लिया जा सके.

पीड़िता का उसके घर के नजदीक गेहूं के खेत में 30 सितंबर को दाह संस्कार किया गया था | फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) जो पिछले पांच महीनों से अपने प्रमुख की बाट जोह रहा है, इन दिनों हाथरस की घटना के बाद से दलितों पर हो रहे हमलों की ऑनलाइन निगरानी कर रहा है.

आयोग के सूत्रों के अनुसार, एनसीएससी के अधिकारी उन मामलों की तलाश में हैं जिनमें अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों पर अत्याचार हुआ है ताकि आयोग द्वारा स्वत: संज्ञान लिया जा सके.

आयोग के अधिकारी इन मामलों की जानकारी व्हाट्सग्रुप के जरिए अपने नेटवर्क में ले रहे हैं. व्हाट्सएप ग्रुप की एडमिनिस्ट्रेटर स्मिता चौधरी हैं जो कि आयोग में ज्वाइंट सेक्रेटरी हैं. एनसीएससी के 12 क्षेत्रीय दफ्तरों के अधिकारी इस ग्रुप के सदस्य हैं.

नाम न बताने की शर्त पर एनसीएससी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘ये ग्रुप पिछले दो साल से बना हुआ था लेकिन बीते दो हफ्तों में हाथरस रेप मामले के बाद ये ज्यादा सक्रिय हुआ है. अधिकारी स्थानीय अखबरों की क्लिपिंग्स को इस ग्रुप में शेयर करते हैं और मामले पर चर्चा करते हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘अगर मामला उचित लगता है तो आयोग की ज्वाइंट सेक्रेटरी स्मिता चौधरी मामले के संबंधित लोगों से बात करती हैं और इस पर कार्रवाई करने को कहती है.’

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क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक को एक मामले को सौंपने के बाद, वे संबंधित अधिकारियों को एक नोटिस भेजकर प्रथम कार्रवाई रिपोर्ट मांगते हैं. एनसीएससी इन नोटिसों को संबंधित क्षेत्र के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और राज्य के मुख्य सचिव को भेजता है. अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया जाता है.

देश में अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए एनसीएससी का गठन किया गया था जो कि एक संवैधानिक संस्था है. इसके क्षेत्रीय दफ्तर अगरतला, अहमदाबाद, पुणे, बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, हैदराबाद, गुवाहाटी, कोलकाता, लखनऊ, पटना और तिरुवनंतपुरम में है.

पैनल के दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी ही अभी महत्वपूर्ण मामलों को देख रहे हैं.’

एनसीएससी के पास बीते मई से अपना चेयरपर्सन नहीं है. अंतिम चेयरपर्सन की अवधि 31 मई को खत्म हो गई थी. भाजपा के नेता और पूर्व सांसद राम शंकर कठेरिया इस पद पर मौजूद थे. भूतपूर्व उपाध्यक्ष एल मुरुगन ने भाजपा की तमिलनाडु ईकाई का अध्यक्ष बनने के बाद मार्च में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इन दो पदों के अलावा भी आयोग में तीन सदस्यों के पद अभी खाली हैं.

दिप्रिंट ने एनसीएससी के सेक्रेटरी सुशील कुमार से इस पर फोन कर टिप्पणी लेने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.


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मामले

बीते एक हफ्ते में एनसीएससी के अधिकारियों ने ऑनलाइन ग्रुप के जरिए कई मुद्दों तक पहुंचने की कोशिश की है.

इसमें बिहार के पूर्णिया में दलित नेता शक्ति मलिक की गोली मार कर की गई हत्या, भोपाल में दलित महिला के साथ कथित यौण हिंसा, केरल स्थित डांसर आरएलवी रामाकृष्णन द्वारा आत्महत्या का किया गया प्रयास शामिल हैं. इस मामले में केरल के संगीत नाटक अकादमी पर जातिगत भेदभाव करने का आरोप है.

पिछले सप्ताह पैनल ने बलरामपुर और हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट, पुलीस अधीक्षक और राज्य के मुख्य सचिव से दो दलित महिला की कथित गैंगरेप के बाद मौत मामले पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी.

खासकर हाथरस मामले में राज्य प्रशासन का जिस रूप में रवैया सामने आया उसकी आलोचना की गई जिसमें रातोंरात पीड़िता का अंतिम संस्कार करना भी शामिल था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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