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लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के खिलाफ अभिनेत्री संध्या मृदुल ने उठाई आवाज, कहा- चुप ना रहिए, फोन लगाइए

साथिया, पेज थ्री, रागिनी एमएमएस-2 जैसी हिन्दी फिल्मों में काम कर चुकी प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या मृदुल ने एक वीडियो जारी कर घरेलू हिंसा से निपटने के लिए एकजुट होने की अपील की है.

घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठातीं अभिनेत्री संध्या मृदुल | वीडियो का स्क्रीनशॉट

नई दिल्ली: कोरोनावायरस से लोगों की सुरक्षा के लिए लगाया लाकडाउन महिलाओं के लिए असुरक्षा की वजह बन रहा है. देशभर में उनके खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गए हैं. इसके खिलाफ महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, सिने जगत के कलाकारों, स्वयंसेवी संस्थाओं ने अब आवाज उठानी शुरू कर दी है.

इस कड़ी में साथिया, पेज थ्री, रागिनी एमएमएस-2 जैसी हिन्दी फिल्मों में काम कर चुकी प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या मृदुल ने एक वीडियो जारी कर घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई है. एक प्रेस विज्ञपप्ति के जरिए इससे निपटने की अपील की है.

हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के जारी आंकड़े के अनुसार केवल मार्च महीने में उसके हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पोर्टल पर घरेलू हिंसा संबंधित 587 शिकायतें दर्ज की गई हैं.

अभिनेत्री का कहना है कि घरेलू हिंसा को होते चुपचाप देखने वाला भी उतना ही दोषी हैं, जितना कि हिंसा करने वाला. वह कहती हैं कि लॉकडाउन लोगों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए लाया गया है लेकिन यह महिलाओं की असुरक्षा की वजह बन रहा है.

अभिनेत्री संध्या मृदुल इसे समुदाय की समस्या समझकर निपटने की अपील करती हैं.

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वीडियो देखने की अपील करते हुए अभिनेत्री ने सुझाव दिया है कि जो भी महिलाएं घरेलू हिंसा से गुजर रही हैं उन्हें राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 181/100 पर कॉल करना चाहिए. जिनके घर में, आसपास ऐसी घटनाएं घट रही हैं, उन्हें व्हाट्सएप नंबर 7217735372 पर मैसेज कर अलर्ट करना चाहिए.

मुंबई स्थित वातवरन फाउंडेशन, बेंगलुरु स्थित झटका.डॉट ओआरजी और बिहार स्थित सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड
एनर्जी डेवलपमेंट (सीईईडी) ने कोरोनावायरस के बाद उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए एक जन जागरूकता संबंधी
वीडियो सीरीज शुरू किया है. ये नई वीडियो उसी कड़ी का हिस्सा है.

इस मसले पर जागोरी संस्था के संस्थापकों में से एक और जेंडर एक्सपर्ट आभा भैया का कहना है कि लड़कियों और महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा वैश्विक महामारी नहीं तो महामारी से कम भी नहीं है.

वो कहती हैं, ‘लॉकडाउन का मतलब भौतिक दूरी के साथ सुरक्षा सुनिश्चित करना है. हालांकि, कई महिलाओं के लिए घर
कभी भी एक सुरक्षित स्थान था ही नहीं. इस कारण घरों के अंदर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बढ़ गई है.’

उनके मुताबिक, राज्य को जहां इस तरह कि घटनाएं हो रही हैं वहां से महिलाओं को निकालने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त उपाय और उसके लिए आधारभूत संरचना होना चाहिए.

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