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सुरिंदर सोनिया ने चमकीला को मशहूर बनाया, लेकिन इम्तियाज़ अली की फिल्म ने उन्हें फुटनोट में समेट दिया

अमर सिंह चमकीला ने इस तथ्य को नज़रअंदाज किया कि सुरिंदर सोनिया 1980 के दशक में पंजाब के पॉप कल्चर में एक शक्तिशाली महिला थीं.

मुंबई में एक शो के दौरान अभिनेत्री सुलोचना लाटकर के साथ पोज देते सुरिंदर सोनिया और कश्मीरी लाल सोनी | क्रेडिट: आकाश सोनी
मुंबई में एक शो के दौरान अभिनेत्री सुलोचना लाटकर के साथ पोज देते सुरिंदर सोनिया और कश्मीरी लाल सोनी | क्रेडिट: आकाश सोनी

डुगरी: इम्तियाज अली की अमर सिंह चमकीला में पंजाबी गायिका सुरिंदर सोनिया को बमुश्किल आठ से 10 मिनट का स्क्रीन टाइम मिलता है, वे तीन ब्लिंक-एंड-मिस सीन और एक गाने में दिखाई देती हैं. यह उस व्यक्ति के साथ न्याय नहीं था जिसने पक्का किया कि “पंजाब के एल्विस” की विरासत ज़िंदा रहे, जिसे 8 मार्च 1988 को मेहसामपुर गांव में गोली मार दी गई थी.

15 साल तक जब तक कि बीमारी से उनकी मृत्यु नहीं हो गई, सोनिया ने यह सुनिश्चित किया कि चमकीला की स्मृति में मनाया जाने वाला वार्षिक उत्सव सफल रहे. वे गांव के सरपंच से मिलतीं, धन इकट्ठा करतीं और गायकों को समर्पित डुगरी के उस मंदिर के पास प्रोग्राम के लिए गायकों और कलाकारों को आमंत्रित करतीं, लेकिन पंजाब के सबसे मशहूर गायक के उत्थान और निधन की उस कहानी में सोनिया खुद एक फुटनोट में सिमट कर रह गईं.

वे सोनिया ही थीं जिन्होंने 1980 के दशक में अज्ञात धनी राम को इतना बड़ा मौका दिया था. प्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका, ने उनके साथ चार गाने किए, जिसमें हिट सॉन्ग ‘टकुए ते टकुआ’ भी शामिल है, जिसने उन्हें रातोंरात सनसनी बना दिया और उन्हें अपना लकी नाम ‘चमकीला’ मिला, लेकिन जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी, उन्होंने तीन साल बाद सोनिया को छोड़ दिया और अमरजोत से शादी कर ली.

स्कूल में पढ़ रहे आकाश सोनी के किसी भी दोस्त ने उन पर यकीन नहीं किया जब उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने चमकीला के साथ ‘टकुए ते टकुआ’ गाया था. सोनी, जो कि अब 20 साल के हैं, डुगरी में परिवार के दो मंजिला घर की दूसरी मंजिल पर अपने कमरे में अपनी दादी को गाते हुए सुनकर बड़ा हुए हैं.

सोनी जो कि एक कवि, गायक हैं और अपनी दादी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं, ने कहा, “मेरे बहुत से जट्ट सिख दोस्त चमकीला और सुरिंदर सोनिया के लोकप्रिय गाने सुनते थे. जब मैं उन्हें बताता था कि वे मेरी दादी हैं, तो वे मेरा मज़ाक बनाते थे और कहते थे, ‘वे अमरजोत है, सोनिया नहीं’.”

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नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ में सोनिया, जिसका किरदार निशा बानो ने निभाया है, एक धूर्त, छोटे शहर की लड़की की तरह पर्दे पर आती हैं — एक कुकी-कटर स्टीरियोटाइप. हालांकि, यह उनकी सशक्त आवाज़ और लोक गीत ही थे जिन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. फिल्म इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि सोनिया 1980 के दशक में पंजाब के पॉप कल्चर में एक शक्तिशाली महिला थीं. उस उम्र में जब महिलाओं से पारंपरिक भूमिकाएं निभाने और पुरुषों की छाया में रहने की अपेक्षा की जाती थी, सोनिया ‘विंग्ड आई-लाइनर और लाल रंग की लिपस्टिक’ के साथ मंच पर आती थीं और अपने पति और प्रबंधक, कश्मीरी लाल सोनी द्वारा बुक किए गए अखाड़ों में शो करती थीं.


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हिट जोड़ी

सोनिया आधुनिकता और परंपरा का एक विरोधाभासी मिश्रण थीं — उनका प्रदर्शन कमाल का था, लेकिन उनके पति ने उनकी आवाज़ की कच्ची शक्ति को महसूस करते हुए उनके करियर को लॉन्च किया और मैनेज किया.

संगीत हमेशा से सोनिया की ज़िंदगी का हिस्सा था. बचपन में उन्हें उनके पिता ने स्थानीय गुरुद्वारे में हारमोनियम बजाने की ट्रेनिंग दिलाई. जब उनकी शादी हुई, तो कश्मीरी लाल ने सावधानीपूर्वक उनके करियर की योजना बनाई, पंजाब के सबसे लोकप्रिय गायकों में से शुमार सुरिंदर शिंदा के साथ उनकी साझेदारी और शो की बुकिंग की देखरेख की.

उन्होंने सोनिया का उस समय भी समर्थन किया जब उन्होंने शिंदा को उनकी मंडली में एक अज्ञात गायक-चमकीला के साथ काम करने के लिए मना किया.

जब शिंदा ने उनके साथ पांच साल तक काम करने के बाद उन्हें ठुकरा दिया और अकेले कनाडा चले गए, तो सोनिया और कश्मीरी लाल ने चमकीला को अपने गाने लिखने के लिए प्रेरित किया. 1979 में वे ‘टकुए ते टकुआ’ एल्बम लेकर आए, जिसमें आठ गीत थे. दो गानों के लोकप्रिय ट्रैक बनने के बाद, एक नई हिट जोड़ी का जन्म हुआ.

जबकि चमकीला एक शूटिंग स्टार रहे होंगे, जिन्होंने 1980 के दशक में पंजाब के संगीत परिदृश्य को हिलाकर रख दिया था, सोनिया सितारों की इस आकाशगंगा में एक अमिट स्थिरता थीं.

अपने पूरे करियर में वे अपने समय के लोकप्रिय गायकों, जैसे निर्मल भड़कीला और परमजीत सलारिया के साथ काम करती रहीं. बॉम्बे (अब मुंबई) की अपनी यात्राओं के दौरान, वे बॉलीवुड अभिनेताओं से मिलती थीं. 29 अक्टूबर 2019 को उनकी मृत्यु तक उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई. पंजाब में उनके सभी शो लगातार हाउसफुल रहे.

मुंबई में अभिनेता ओम प्रकाश के साथ सुरिंदर सोनिया और कश्मीरी लाल सोनी | क्रेडिट: आकाश सोनी

गायक नज़ीर मोहम्मद जो उस समय सोनिया और चमकीला के साथ शो करते थे, ने कहा, “उस समय हम पंजाब के हर कोने — फिरोज़पुर, फाज़िल्का, भटिंडा में हर दिन उनके दो से तीन शो होते थे. हमने राजस्थान में भी शो किए. किया.”

मोहम्मद ने कहा कि जब सोनिया और उनके परिवार ने उनका अपनी मंडली में स्वागत किया तब वे इंडस्ट्री में नए थे. उनके कुछ और लोकप्रिय गीतों में ‘करदा सी भाभी, नज़रां न खलाई मित्रा और साडे नाल’ शामिल हैं.

अपने शो के लिए सोनिया पंजाबी सलवार-कुर्ता, सोने की बालियां और कलाई में घड़ी पहनती थीं, लेकिन बाद की पार्टियों के लिए गायिका के पास पश्चिमी परिधानों की भी एक अलमारी थी. उनका पोता फैमिली एल्बम पलटते हुए अपनी दादी की ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीरों की ओर इशारा करते हैं.

सोनी कहते हैं, “पंजाबी पॉप गायक मनमोहन वारिस 2017 में उनके आखिरी शो में थे और वे उनकी इस उम्र के बावजूद इतने उत्साह के साथ उन्हें देखकर दंग रह गए थे.”

मेहसामपुर, उग्रवाद और संगीत

सोनी अपनी दादी की प्रसिद्ध कहानियों के साथ बड़े हुए हैं. किशोर रहते हुए वे उनके साथ उनके शो में भी जाते थे. परिवार के सदस्यों के अनुसार, सोनिया अपने मेकअप को लेकर बेहद सतर्क थीं और वे अपने शो से पहले रात को सोती नहीं थीं.

70 की उम्र में भी जब सोनिया स्थानीय कार्यक्रमों में अकेले शो करती थीं, तो तैयार होने के लिए सुबह 4 बजे उठ जाती थीं. अक्सर, घर की ज़िम्मेदारियां उनकी बहू, सोनी की मां, मीना के कंधों पर आ जाती थीं.

आकाश और मीना सोनी, डुगरी, लुधियाना में अपने घर पर | फोटो: टीना दास/दिप्रिंट

सोनी ने कहा, “मैं अपनी दादी से पूछता था कि क्या उन्होंने कभी भी अपने शो के लिए सिक्योरिटी रखने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन वे कहती थीं कि उन्हें जिस सुरक्षा की ज़रूरत थी, वे मेरे दादाजी थे.”

सोनी मेहसामपुर (2018) नामक एक फिल्म का भी हिस्सा थे, जहां उन्होंने बच्चे का किरदार निभाया जो कि मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस कर रहा था और निर्देशक कबीर चौधरी सोनिया का इंटरव्यू ले रहे थे.

मोहम्मद ने कहा, “चमकीला की मौत के बाद लगभग पांच से छह साल तक चीज़ें काफी खराब रहीं.”

कलाकार उग्रवादियों द्वारा सताए जाने के डर में रहते थे जो यह तय करते थे कि लोगों को कैसे जीना चाहिए. कई लोगों ने लाइन में खड़े होकर अपने बोर्ड और होर्डिंग्स हटा दिए और कुछ ने शो की बुकिंग भी बंद कर दी.

मोहम्मद ने कहा, “हम कड़ी मेहनत करते थे, अच्छा पैसा कमाते थे और अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेजते थे, लेकिन बाद में हम अलग हो गए. आज, हम पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं.”

उन दिनों सोनिया ज्यादातर घर पर ही रहती थीं और हर शाम को केवल पास के गुरुद्वारे में जाने के लिए बाहर निकलती थीं. सोनिया की बहू मीना सोनी ने बताया, “वे रोज़ देर से जागतीं, अनगिनत कप चाय पीतीं, टीवी देखतीं और आकाश के साथ वक्त बिताया करतीं थीं, लेकिन जब वे घर पर रहतीं तब भी बिना मेकअप के अपने कमरे से बाहर नहीं आती थीं.”

वे शराब की लत से भी जूझती रहीं.

मेहसामपुर के निर्देशक चौधरी ने बताया, “जब मैं फिल्म बनाने के लिए सोनिया से मिलने जाता था तो वे बाहर जाने का सुझाव देतीं, ताकि वे अपने परिवार के हस्तक्षेप के बिना शराब पी सके.” चमकीला की मौत की कहानी को याद करते हुए फिल्म में कल्पना, डॉक्युमेंट्री फुटेज, इंटरव्यू और अपना किरदार निभाने वाले ‘अभिनेताओं’ के तत्वों को शामिल किया गया है. सोनिया, ढोलक वादक लाल चंद और चमकीला के मैनेजर केसर सिंह टिक्की सभी फिल्म में हैं.

कबीर चौधरी की मेहसामपुर ने कलाकारों को वो जगह दी जो इम्तियाज अली की 2024 की फिल्म में नहीं है.

इसने उन्हें वो जगह दी जो इम्तियाज अली की 2024 की फिल्म में नहीं है जिसमें सोनिया और यहां तक कि चमकीला की पहली पत्नी गुरमेल को हाशिए पर धकेल दिया गया है. उनके पोते का दावा है कि अली की टीम ने सोनिया के परिवार से संपर्क नहीं किया या उन्हें प्रोजेक्ट के बारे में नहीं बताया. सोनिया का किरदार निभाने वालीं निशा बानो ने एक इंटरव्यू में उल्लेख किया कि किरदार के लिए उनकी रिसर्च सोनिया के शो के वीडियो पर आधारित थी.

दूसरी ओर, मेहसामपुर सोनिया की ज़िंदगी के बारे में विस्तार से बात करती है, लेकिन केवल चमकीला के संबंध में. फिल्म में एक बिंदु पर, वे अपनी ज़िंदगी के बारे में बात शुरू करने से पहले नायक, देवरथ जोशी से अपनी बाईं प्रोफाइल की एक तस्वीर लेने के लिए कहती हैं, लेकिन जोशी को सिर्फ गपशप में दिलचस्पी है. 1980 के दशक में जो अफवाहें चल रही थीं, उन्हें देखते हुए वे उनसे पूछते रहते हैं कि क्या उन्होंने कभी चमकीला के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे.

अली की फिल्म में चमकीला द्वारा अपनी साझेदारी छोड़ने पर गुस्से और नाराज़गी के बारे में दिखाए जाने के बावजूद, सोनिया का परिवार और मोहम्मद दोनों अपने बीच किसी भी दुश्मनी से इनकार करते हैं.

नज़ीर मोहम्मद ने कहा, वे स्टारमेकर थीं.

उन्होंने कहा, “हमने (मंडली छोड़ने के बाद) चमकीला द्वारा लिखे कुछ गाने भी गाए थे. उन्होंने कहा था कि वे हमारे लिए और भी लिखेंगे. हमारे बीच एक-दूसरे के लिए बहुत प्यार और सम्मान था.”

सोनिया के चमकीला के बेटे, जैमन के साथ अच्छे रिश्ते थे और इंटरव्यू में, उन्होंने गायक की प्रतिभा और क्षमता की प्रशंसा की.

अगर कोई नाराज़गी थी भी, तो उसे सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं किया गया.

मोहम्मद ने कहा, “हर व्यक्ति में अलग-अलग गुण होते हैं. उसके पास भी एक थीं – वे एक स्टारमेकर थी. उन्होंने जिसके साथ भी जोड़ी बनाई वे सुपर डुपर हिट कलाकार बन गया.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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