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रिट्रीट, स्टार्ट-अप और डाइट- मेनोपॉज पर चुप्पी तोड़ रही हैं भारतीय महिलाएं

बॉम्बे बेगम से लेकर महीप कपूर तक, छोटे पर्दे की ये अभिव्यक्तियां मेनोपॉज को लेकर बनी दीवारों के दरखने की गवाह हैं. ये सिनेमाई दुनिया हमें बता रही है कि जमीन पर क्या बदलाव आ रहा है.

प्रज्ञा घोष का चित्रण | दिप्रिंट

डेस्टिनेशन वेडिंग अब पुरानी बात हो चुकी है. मेनोपॉज से जूझ रही भारत की महिलाएं अब एलीट मेनोपॉज रिट्रीट की दुनिया में अपने कदम बढ़ा रही हैं. वो उस चुप्पी और कलंक पर वार कर रही हैं, जिसके बारे में बंद कमरों में बात करना भी कभी सहज नहीं था. उनका ध्यान हिमालय की तलहटी में घने साल के जंगलों से घिरे गंगा के तटों, हठ योग, कपिंग थेरेपी और वेदांत दर्शन की तरफ बढ़ा है.

अमेरिकी कॉमेडियन वांडा साइक्स, राजनीति से जुड़ी हस्ती हिलेरी क्लिंटन, इंस्टाग्राम पर मोनिका गेलर और पूजा भट्ट जैसे सितारों के ‘बॉम्बे बेगम’ से लेकर ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ और ‘फैबुलस लाइव्स ऑफ बॉलीवुड वाइव्स’ शो, महिलाओं की मेनोपॉज की बंद दुनिया को अचानक से बाहर लेकर आने लगे हैं. जाहिर है, जब किसी बात पर एक बार चर्चा शुरू हो जाए तो उसे वापस ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता है. खासतौर पर एक ऐसे विषय को, जिसे सदियों से दबाया जाता रहा और जिस पर महिलाओं को भी अपनी चुप्पी तोड़ने की इजाजत नहीं थी.

‘अगर मेरा मूड खराब है और मैं अपने बच्चों पर चिल्लाने लगती हूं, तो वे कहेंगे, ‘ओह, मॉम इज मेनोपॉजिंग टुडे.’ यह ठीक नहीं है. आपके लिए यह एक मजाक है, लेकिन मेरे लिए इसके बारे में सोचें, सब कुछ दूसरी ओर जा रहा है.’ ये लाइन अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की बेटी श्वेता बच्चन नंदा ने अपनी बेटी नव्या नवेली नंदा के पॉडकास्ट ‘व्हाट द हेल नव्या’ के हाल के एपिसोड के दौरान कहीं थी.

उत्तराखंड में टिहरी-गढ़वाल के महाराजा का विशाल पैलेस ‘आनंदा’ ऐसे पारंपरिक वेलनेस कार्यक्रमों के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन बन गया है. यहां हॉट फ्लैशेज, अनिद्रा, अवसाद, चिंता, वजन बढ़ना, ब्रेन फॉग से जूझ रहीं महिलाओं को ‘इनर हारमॉनी’ ऑफर की जाती हैं. ये सिर्फ ‘आनंदा’ में किया जा रहा हो, ऐसा नहीं है. देशभर में रिट्रीट और वेलनेस सेंटर महिलाओं की इस अनसुलझी समस्या के प्रति जाग रहे हैं.

नेटफ्लिक्स के शो ‘फैबुलस लाइव्स ऑफ बॉलीवुड वाइव्स’ में महीप कपूर अपने दोस्तों को एक नए मेनोपॉज पिल एंडोर्समेंट के बारे में बताती हैं जो महिलाओं को मेनोपॉज से आसानी से निकलने में मदद करती है. उसके दोस्त तुरंत डर से पीछे हट जाते हैं और इसे अपनाने से इनकार कर देते हैं. लेकिन कपूर की सलाह से जुड़ा ये सवाल दर्शकों के जेहन में काफी लंबे समय तक यूं ही बरकरार रहता है. अगले सीजन के साथ इसे फिर से जगह मिलती है. हम कह सकते हैं कि जिस तरह 4 साल पहले ‘वीरे दि वेडिंग’ और ‘लस्ट स्टोरीज’ के साथ मास्टरबेशन ने एक क्रांतिकारी सफलता हासिल की थी, उसी तरह नेटफ्लिक्स शो ने मेनोपॉज को लिविंग रूम की चहल-पहल में ला खड़ा किया है.

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महिलाओं की सेक्सुअल और मैनस्ट्रुअल हेल्थ को लेकर काम कर रहे बैंगलोर के स्टार्ट-अप ‘प्रोएक्टिव फॉर हर’ की संस्थापक और सीईओ अचिथा जैकब कहती हैं, ‘आज रजोनिवृत्ति या अन्य ‘महिलाओं की समस्याओं’ पर चर्चा करने से जुड़ी सामाजिक चुप्पी और अजीब-सा व्यवहार 20वीं सदी या 21वीं सदी के पहले दशक की तुलना में काफी कम हो गया है.’


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मेनोपॉज रिट्रीट के पार्ट के तौर पर कपिंग थेरेपी की प्रक्रिया | credit: Ananda in the Himalayas

मेनोपॉज रिट्रीट की दुनिया- योग, डाइट थेरेपी और फूड फिलॉस्पी

फरवरी में 51 साल की रीना के पैर में फ्रैक्चर हुआ था. इलाज के दौरान उन्होंने महसूस किया कि अभी तक लगी किसी भी चोट से यह चोट काफी अलग थी. उन्होंने कहा ‘मुझे असहनीय गर्मी महसूस हो रही थी.’ कुछ मिनट ठहरने के बाद उन्होंने बताया कि उस समय वह जो महसूस कर रही थी, शायद वह रजोनिवृत्ति की शुरुआत थी. पीरियड्स अब उनके लिए हर महीने आने वाला ‘सिरदर्द’ नहीं है, जो पहले हुआ करता था.

लेकिन किसी ने भी उन्हें इस बारे में चेतावनी नहीं दी थी कि आगे क्या होगा. किसी ने नहीं बताया कि हर महीने होने वाली ऐंठन की जगह हॉट फ्लैशेज, माइग्रेन, चिंता, जोड़ों का दर्द और ब्रेन फॉग ले लेगा. उन्होंने ऑनलाइन भी बहुत कुछ खोजने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं मिला. रीना ने याद करते हुए बताया, ‘सिर्फ फर्जी खबरें भरी पड़ी हैं. यह खाओ या वह खाओ. मैंने अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ली. उन्होंने मुझसे इन सबसे निपटने के लिए ध्यान और व्यायाम करने की सलाह दी.’ सप्ताहों बाद, काफी कुछ ट्राई करने के बाद उन्हें योग और होम्योपैथी से आराम मिला.

रीना जैसी महिलाओं को अकेले इन परेशानियों से जूझने की जरूरत नहीं है. पारंपरिक ईस्ट एशियन थेरेपी के विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र उनियाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोई व्यक्ति जो अपने जीवन में मेनोपॉज के परेशान करने वाले लक्षणों से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा है या मौजूदा लक्षणों जैसे हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग को दूर करना चाहता है, वो आनंदा के ‘रीबैलेंस’ प्रोग्राम के लिए नामांकन कर सकता है.’ डॉ. उनियाल फिलहाल ‘आनंदा’ में पारंपरिक चीनी चिकित्सा विभाग के प्रमुख हैं.

इस प्रोग्राम से जुड़ने से पहले किसी भी व्यक्ति को डॉक्टरों और वेलनेस विशेषज्ञों के साथ गहन परामर्श से गुजरना पड़ता है. उनकी जीवन शैली, उसकी आदतों, भोजन की प्राथमिकताओं, संक्रमणों और पिछली सर्जरी को ध्यान में रखते हुए, उपचार का कोर्स निर्धारित किया जाता है.

‘वाना’ भी एक ऐसा ही हेल्थ रिट्रीट है. देहरादून में 21 एकड़ जमीन पर फैले इस सेंटर से जुड़ने के लिए भी मेनोपॉज से जूझ रही महिलाओं को ठीक उसी तरह के समान रोडमैप का पालन करना होता है, जैसा ‘आनंदा’ में किया जाता है. वाना के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘यह प्रोग्राम शरीर को स्फूर्तिदायक बनाने और मन एवं शरीर में संतुलन को फिर से स्थापित करने के लिए हार्मोन को पुनर्संतुलित करने पर केंद्रित है.’

दिन की शुरुआत आमतौर पर योग या लंबी पैदल यात्रा के साथ होती है. इसके बाद स्थानीय बौद्ध भिक्षुओं के साथ मेडिटेशन सत्र, आयुर्वेदिक मालिश और एक पर्सनल डाइट प्रोग्राम के साथ 2 घंटे का उपचार किया जाता है.

‘आनंदा’ में मेनोपॉज से जुड़ी समस्याओं के लिए सबसे पहले पारंपरिक चीनी थेरेपी आजमाई जाती है. इसमें निरीक्षण, श्रवण (सुनना), घ्राण (गंध), पूछना और स्पर्श करना शामिल है. इसके बाद तिब्बती कू नी, कुंडलिनी, जापानी शियात्सू और अरोमाथेरेपी जैसी गहन चिकित्साएं दी जाती हैं.

एक 51 साल की महिला मेनोपॉज की वजह से होने वाले तनाव को ठीक करने के लिए स्विट्जरलैंड से भारत आई हैं. उन्होंने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘मैं ज्यादातर शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को थका हुआ महसूस करती थी. अगर मैं उसके लिए ‘पावरलेस’ शब्द का इस्तेमाल करूं तो ज्यादा सही रहेगा. मैंने भावनात्मक रूप से अपने आपको अस्थिर और थका हुआ महसूस किया था.’

उन्होंने यहां आने से पहले की कई तरह के डाइट प्लान और उपचारों से अपने आपको ठीक करने की कोशिश की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आनंदा में आठ दिन तक आयुर्वेद उपचारों, भावनात्मक उपचार सत्रों, एक्यूपंक्चर, मोक्सीबस्टन, कपिंग और प्राणायाम लेने के बाद उनकी सेहत में सुधार आ गया. आनंदा से जाते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं फ्री महसूस कर रही हूं, मेरा डिप्रेशन दूर हो गया है. मैं फिलहाल काफी सकारात्मक और खुश हूं.’

वाना और आनंदा में एक वेलनेस प्रोग्राम के लिए कम से कम सात दिन रहना होता है. आप इस समय को अपनी इच्छा के अनुसार बढ़ा सकते हैं. आनंदा के सीओओ महेश नटराजन ने कहा, ‘जब कभी समस्याएं काफी ज्यादा होती हैं, तो हम एक खास समय तक रुकने की सलाह देते हैं.’ फॉलोअप कंसल्टेंसी के साथ प्रोग्राम की एक दिन की लागत 42,000 रुपये है. इसमें टैक्स शामिल नहीं है.

गुजरात के मेहसाणा में स्थित ‘निंबा नेचर क्योर विलेज’ भी खुद को एक ऐसे केंद्र के रूप में पहचानता है जहां आधुनिक विज्ञान को आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिला दिया जाता है.

उत्तराखंड के आनंदा में मॉर्निंग योगा | credit: Ananda in the Himalayas

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भारत में मेनोपॉज की बदलती तस्वीर

नेटफ्लिक्स के ‘बॉम्बे बेगम्स’ में पूजा भट्ट ने रानी का किरदार निभाया है. रानी एक टॉप बैंक एक्ट्युकेटिव है. सीरीज के एक सीन में वह बोर्ड मीटिंग से बाहर निकलती हैं और हॉट फ्लैशेज से निपटने के लिए चेहरे पर पानी की छींटे मारने लगती हैं. हॉट फ्लैशेज यानी अचानक से चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्से का गर्म हो जाना मेनोपॉज के दौरान होने वाली एक सामान्य समस्या है.

लोकप्रिय सिनेमा में ये अभिव्यक्तियां सिर्फ इस बात का प्रतिबिंब हैं कि जमीन पर क्या बदल रहा है. कुछ सालों से महिलाएं स्पोर्टिंग ग्रुप बना रही हैं और चुप्पी की उन दीवारों को गिरा रही हैं जिन्होंने उन्हें लंबे समय तक रोके रखा था.

बेंगलोर स्थित स्टार्ट-अप Elda Health दो साल पहले शुरू हुआ था. यह मेनोपॉज के लक्षणों से निपटने वाली 50,000 महिलाओं का एक बड़ी कम्युनिटी है. 250 महिलाओं के एक व्हाट्सएप ग्रुप के साथ कभी शुरू हुआ यह ग्रुप आज समग्र स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम प्रदान करने वाली कंपनी के रूप में सामने आया है.

सबसे पहले मेनोपॉज स्पेशलिस्ट गायनोकोलोजिस्ट मामले को देखती हैं. इसके बाद न्यूट्रिशन और फिटनेस की ट्रेनिंग दी जाती है. एल्डा हेल्थ की सह-संस्थापक और सीईओ स्वाति कुलकर्णी कहती हैं, ‘रजोनिवृत्ति में विशेषज्ञ होने के लिए एक डॉक्टर को एक अलग कोर्स करना पड़ता है. यह सामान्य एमबीबीएस डिग्री के पाठ्यक्रम में पूरी तरह से शामिल नहीं है.’

महिलाओं के मैनस्ट्रुअल, सेक्सुअल और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर आमतौर पर सीमा आनंद, पल्लवी बरनवाल, डॉ. तान्या नरेंद्र (उर्फ डॉ. क्यूटरस), लीज़ा मंगलदास, जूही कपूर और कई अन्य लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर चर्चा की जाती है.

कुलकर्णी ने कहा, ‘हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां युवावस्था में खूब लाड प्यार किया जाता है, गर्भावस्था का जश्न मनाया जाता है, लेकिन उन महिलाओं के बारे में कुछ नहीं सोचा जाता जो अपनी प्रजनन उम्र से आगे निकल गई हैं. इस सोच और स्थिति को बदलने की जरूरत है.’

(अनुवाद : संघप्रिया |संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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