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इस शख्स ने की मेघालय में एक हजार गुफाओं की खोज, मौवम्लुह को दुनिया के सामने लेकर आया

मेघालय में एक एनजीओ, गुफाओं की खोज और उनके दस्तावेज़ीकरण के मिशन पर है. जबकि वे गुफाओं को 'प्राचीन' रखना चाहते हैं, खनन गतिविधियों से उनके ध्वस्त होने का डर है.

मावम्लुह गुफा, चेरापूंजी के पास स्थित है | फोटो: मोनामी गोगोई | दिप्रिंट

मावम्लुह: मेघालय को बादलों का घर या ‘पूर्व का स्कॉटलैंड’ कहा जाता है. लेकिन पूर्वोत्तर के इस राज्य में सिर्फ लुभावने दृश्य ही नहीं हैं बल्कि; जमीन ने अपनी गोद में तमाम प्राकृतिक चमत्कार भी छिपा रखे हैं.

मेघालय में 1750 पंजीकृत गुफाओं में से एक, 7.2 किमी लंबी ऊबड़-खाबड़ और जंगली ग्रोटे डे मावम्लुह, 4200 वर्षों में बनी एक समानांतर अंडरग्राउंड दुनिया है.

जैसे ही कोई फिसलन भरी चट्टानों पर चलकर, घुटनों तक गहरे पानी में पेट के बल रेंगता हुआ और घुमावदार संकरी गलियों की भूलभुलैया को पार करता हुआ गुफा में गहराई तक पहुंचता है तो वहां शानदार ‘हैंगिंग गार्डन’ उसे देखने को मिलता है. यहां गुफा की छत से लटके स्टैलेक्टाइट्स या आइसिकिल/हिमवर्तिका (चूने या बर्फ से बनी एक तरह की आकृति) के आकार की संरचनाएं भी उसे दिखती हैं.

मावम्लुह गुफा के अंदर ‘हैंगिंग गार्डन’ क्षेत्र जहां गुफा की छत से लटकने वाले कई स्टैलेक्टाइट है | फोटो: मोनामी गोगोई | दिप्रिंट

मेघालय में भारत में सबसे अधिक गुफाएं हैं, जिनमें दुनिया की सबसे लंबी – लिआट प्राह चूना पत्थर केव सिस्टम भी शामिल है. इस तरह की संरचनाओं के रूप लेने के लिए राज्य में सभी आदर्श स्थितियां हैं: गर्म और आर्द्र जलवायु के साथ उच्च श्रेणी का चूना पत्थर, वर्षा और ऊंचाई. यह मेघालय एडवेंचरर्स एसोसिएशन की बदौलत है कि राज्य की अधिकांश गुफाओं की खोज की जा चुकी है.

एमएए के 76 वर्षीय संस्थापक-सचिव ब्रायन डी. खारप्रान कहते हैं, “हम न केवल और गुफाओं की खोज कर रहे हैं बल्कि मास्टर केव सिस्टम की भी खोज कर रहे हैं.”

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अक्टूबर 2022 में, मावम्लुह गुफा की पहचान इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज द्वारा एक भूवैज्ञानिक विरासत स्थल के रूप में की गई थी, जो कि एक परिषद है और जो यूनेस्को के साथ मिलकर गहनता से काम करती है. IUGS ने 100 भूवैज्ञानिक स्थलों की एक सूची तैयार की जो “पृथ्वी और उसके इतिहास को समझने में उनके प्रभाव के लिए प्रतिष्ठित और भूविज्ञान समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त हैं.”

2018 में गुफा के अंदर पाए गए स्टैलेग्माइट के कारण ही मेघालय भूगर्भीय इतिहास का हिस्सा बना. स्ट्रेटीग्राफी पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग ने ग्रह के 4.54 बिलियन वर्ष के इतिहास में वर्तमान युग को ‘मेघालय युग’ कहा है.

केविंग का ग्रैंड ओल्ड मैन

खारप्रान याद करते हैं कि कैसे उन्होंने 1992 में “गुफाओं की भूमिगत दुनिया के अंधेरे में प्रवेश किया”.

एक पूर्व बैंकर खारप्रान कहते हैं, “मैं [तब] इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता था. मुझे नहीं पता था कि हमारे [मेघालय राज्य] में गुफाएं थीं – बस कुछ ही के बारे में जानकारी थी जिनके बारे में किताबों जिक्र किया गया था. लेकिन मैंने सोचा कि गुफाएं होनी चाहिए क्योंकि हमारे पास चूना पत्थर है”. खारप्रान ने जब गुफाओं की खोज शुरू की, तो उन्हें मानचित्रण की कला के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. कोई नेशनल ज्योग्राफिक या डिस्कवरी चैनल नहीं था जिसे कोई बुनियादी ज्ञान के लिए इस्तेमाल कर सके.

खरप्रान कहते हैं, “मैंने सेना से एक कंपास उधार लिया था और इस तरह हमने मार्च 1992 में शुरुआत की.”

एक साल बाद, जब वह फिर से गुफा का पता लगाने गए, तो ग्रामीणों ने उन्हें चार ब्रिटिश गुफाओं द्वारा पहले की गई यात्राओं के बारे में बताया. खारप्रान ने मेघालय के पर्यटन विभाग से उन लोगों के बारे में पता लगाने के लिए संपर्क किया जिनसे वह 1994 में मिले थे.

एमएए के बारे में संक्षिप्त में बताते हुए खारप्रान कहते हैं, “और 1995 से, हम ‘बादलों के देश में केविंग’ परियोजना के तहत मेघालय में इन गुफाओं के अभियानों को चला रहे हैं. ये [कैवर्स] यूरोप से उपकरण और विशेषज्ञता ला सके, जिसकी वजह से 30 साल बाद हम यहां हैं. हम अभी भी गुफाओं की खोज कर रहे हैं.” एनजीओ ने अकेले ही राज्य को केवर्स के लिए दुनिया के नक्शे पर ला खड़ा किया है.

एमएए के सालाना केविंग अभियान में भाग लेने वाले संस्थापक-सचिव ने कहा, “मुख्य उद्देश्य गुफाओं की खोज, उनका दस्तावेज़ीकरण और नक्शा बनाना है, जो उनकी पूरी तरह से व्याख्या करते हैं.”


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पर्यटन से लेकर एडवेंचर तक

MAA ने 2017 में मावम्लुह में स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक पर्यटन सोसायटी बनाई. खारप्रान ने कहा, “हमने आठ गाइड्स को प्रशिक्षित किया. वे पर्यटकों को अंदर [मावम्लुह गुफा] ले जाते हैं जहां सभी उपकरण रखे जाते हैं.” गाइड के बिना आगंतुकों को गुफा का पता लगाने की अनुमति नहीं है.

वह कहते हैं, “अगर गाइड हैं, तो पर्यटक इधर-उधर जाने जैसी शरारत नहीं कर सकते हैं.”

MAA के अलावा, दुइया ट्रेलब्लेजर्स एक लोकप्रिय टूर एजेंसी है जो उचित उपकरण और अनुभवी गाइड के साथ केविंग ट्रिप प्रदान करती है. संस्थापक गेराल्ड सैमुअल डुइया का कहना है कि मेघालय में धीरे-धीरे ही सही साहसिक गतिविधियों में लगातार तेजी आई है. लेकिन वह कहते हैं कि अधिकांश पर्यटक एक खेल और इसकी तकनीकी के रूप में केविंग से अनजान हैं, जबकि कुछ अंधेरे और भूमिगत दुनिया से डरते हैं.

डुइया ने कहा, “केविंग कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. इसमें गुफा में प्रवेश करने से कहीं अधिक है. यह इतिहास सीखने, संरचनाओं और गुफा प्रणाली को देखने के बारे में है. खुदाई का एक और पहलू भूमिगत दुनिया में इन खूबसूरत खजानों की सुरक्षा है.”

टूर ऑपरेटर एक्सप्लोर मेघालय का कहना है कि राज्य में आने वाले यात्रियों की पसंद में बदलाव आया है.” संस्थापक दापुरा च्यने कहते हैं, “पिछले कुछ सालों में, मेघालय में पर्यटन बहुत बदल गया है.” जबकि पहले राज्य में आने वाले टूरिस्ट साहसिक खेलों में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते थे लेकिन अब वह इनकी पसंद बनता जा रहा है.

वह आगे कहते हैं, “एमएमए ने मेघालय में प्राकृतिक गुफाओं की खोज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसने एडवेंचर की तलाश करने वालों के लिए दरवाजा खोल दिया है. गुफाओं की खोज की जा रही है, और जब वे आश्वस्त हो जाते हैं कि यह सुरक्षित है, तो वे इसे पर्यटकों के लिए खोल देते हैं.”


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सौंदर्यीकरण, खनन की चिंता

जुलाई 2022 में, सोहरा में चेरापूंजी की अरवाह गुफा के अंदर राज्य पर्यटन विभाग द्वारा एक संगीत शो “कि सुर न पुबोन” (गुफा से संदेश) का आयोजन किया गया था. जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध गुफा में, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसकी छत पर साल भर के लिए लाइट्स लगाकर जगमग किया गया था. यहां तक कि गुफा के चूना पत्थर की दीवारों में क्रस्टेशियन शेल और मछली के कंकाल भी देखे जा सकते हैं. पर्यटन विभाग अरवाह गुफा के प्रवेश द्वार को “सीधे अरेबियन नाइट्स से बाहर” के रूप में वर्णित करता है.

हालांकि, इस बदलाव से हर कोई खुश नहीं है.

इस बात पर जोर देते हुए कि ‘शो गुफाओं’ को सजाने का एक उचित तरीका है खारप्रान ने कहा, “लोगों के मन में गुफा में जाने को लेकर जो ख्याल उभरता है वह यह है कि किसी अंधेरी जगह में अंदर जाना होगा. आप छत पर रोशनी नहीं देखना चाहते हैं.” संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘कॉमर्शियल केव’ कही जाने वाली शो केव एक ऐसी गुफा है जो गाइडेड तरीके से जनता के लिए खुली है.

एमएए का काम करने का तरीका अलग है. वे गुफा संरचनाओं को बरकरार रखते हैं, और पर्यटकों को निकट के जंगली परिवेश में ले जाया जाता है. गुफा की खोज में रुचि रखने वालों को उपकरण प्रदान किए जाते हैं. एमएए के संस्थापक ने कहा, “आपको रोशनी और बूटों के साथ केवर होने का अहसास होता है.”

मावम्लुह गुफा के करीब मावम्लुह चेरा सीमेंट्स लिमिटेड (एमसीसीएल) संयंत्र है. सीमेंट फर्म राज्य का सबसे पुराना सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो अब घाटे के कारण निष्क्रिय पड़ा है. हालांकि, संयंत्र को पुनर्जीवित करने के प्रयास जारी हैं.

मेघालय में, अवैध खनन, विशेष रूप से कोयले का, दशकों से चिंता का विषय रहा है. अब यह बढ़ गया है और इसकी वजह से गुफा निर्माण का खतरा है.

खरप्रान दुखी होकर कहते हैं, “[केवर्स के बीच] सबसे बड़ा डर चूना पत्थर और कोयले का खनन है. बेशक, जहां आपके पास चूना पत्थर है, वहां आपको हमेशा कोयला मिलेगा. दुर्भाग्य से मेघालय में दोनों चल रहे हैं. वे बस गुफाओं को नष्ट कर देंगे.” उनका कहना है कि पिछले साल मेघालय में चार गुफाएं- क्रेम मालो, क्रेम उमकेश, क्रेम उमखांग-खरसनियांग और क्रेम उमलावन चूना पत्थर खनन गतिविधियों के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गईं.

बढ़ती रुचि और खतरे

सोशल मीडिया के आगमन के साथ केविंग में रुचि बढ़ी है. 27 वर्षीय टूर गाइड फर्डिनेंड खोंगटिम को एमएए द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और उन्होंने 2018 में गुफा पर्यटन (केव टूरिज़म) आयोजित करना शुरू किया. उनका कहना है कि यूट्यूबर्स कंटेंट के लिए गुफाओं का पता लगाने के लिए आ रहे हैं. आईयूजीएस द्वारा पिछले वर्ष अपनी सूची में मौमलुह गुफा को शामिल किए जाने के बाद से आगंतुकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है.

वे बताते हैं, “हम सप्ताह में अधिकतम चार दौरे कर सकते हैं. छुट्टियों के मौसम (नवंबर-जनवरी) के दौरान, हम हर दिन पांच गुफा अभियान चला सकते हैं.” प्रत्येक अभियान में 20 आगंतुक शामिल हैं.

लोगों की रुचि बढ़ने के साथ ही खारप्रान काफी सावधान भी दिखते हैं. “हमें बहुत सावधान रहना होगा क्योंकि लोग किसी भी गुफा में चले जाएंगे. अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो क्या होगा? वह और बेहतर सरकारी नियम चाहते हैं ताकि लोगों को बेतरतीब ढंग से जंगली गुफाओं में जाने से रोका जा सके, जिनके आसपास कोई घेराबंदी या बाड़ा नहीं है.

दुआ ट्रेलब्लेज़र के गेराल्ड ने “गुफाओं को प्राचीन” रखने और अमेरिका में 2009 में न्यूट्टी पुट्टी गुफा त्रासदी और थाईलैंड में 2018 थाम लुआंग गुफा रेस्क्यू जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचने के बारे में समान विचार साझा किए.

गेराल्ड चेतावनी देते हैं, “मैं नहीं चाहता कि प्राचीन गुफाओं को बड़े पैमाने पर विज्ञापित किया जाए. गुफा का अपना पारिस्थितिकी तंत्र, जीव और उसकी विभिन्न जीवित प्रजातियां हैं. अगर लोग (बड़ी संख्या में) इन गुफाओं में जाना शुरू करते हैं, तो यह निश्चित रूप से व्यवस्था को प्रभावित करेगा और प्रदूषित हो जाएगा.”

गुफा पर्यटन को लेकर सबसे बड़ी चुनौती होती है कि प्रकृति की के नए आयामों को देखने के साथ-साथ उसकी रक्षा भी कैसे की जाए. दरअसल, खारप्रान का कहना है कि वह गुफाओं के व्यावसायिक पहलू से दूर रहते हैं और इसकी खोज और वैज्ञानिक पक्ष में रुचि रखते हैं.

एमएए ने मेघालय में अब तक कुल 531 किमी गुफा मार्ग की मैपिंग की है. छोटे राज्य के लिए यह बहुत बड़ी संख्या है. उन्हें उम्मीद है कि यह आंकड़ा 1,000 किमी तक पहुंच जाएगा.

खरप्रान मुस्कराते हुए कहते हैं, “अज्ञात (अंधेरा) का आकर्षण होता है. आप नहीं जानते कि आपको गुफा के अंदर क्या मिलने वाला है. और यहां आप एक के बाद एक नई चीजें देखते हैं.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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