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रूस से लड़ने के लिए सैनिकों की मदद को लेकर यूक्रेन के वालंटियर ने क्रिप्टो के जरिए $4 मिलियन से ज्यादा जुटाए

ब्लॉकचेन एनालिस्ट फॉर्म ने कहा है कि ये ग्रुप आठ साल पहले हुए डोनबास विवाद के बाद से ही यूक्रेन को पैसे, हथियार और मेडिकल सहायता उपलब्ध करवा रहे हैं.

यूक्रेनियन सुरक्षा बल, प्रतीकात्मक तस्वीर | कॉमन्स

नई दिल्ली: संकट में फंसे यूक्रेन की मदद के लिए एनजीओ और वालंटियर 4 मिलियन डॉलर से ज्यादा रकम क्राउडफंडिंग के जरिए जुटाने में कामयाब रहे हैं. रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण को दिन हो गए हैं.

यूक्रेन की सेना को मदद पहुंचाने के लिए ये दान क्रिप्टोकरेंसी में किया गया है.

लंदन स्थित ब्लॉकचेन एनालिसिस फॉर्म इलिप्टिक की ओर से शुक्रवार को सार्वजनिक किए गए डेटा से पता चला है कि गुरुवार को आक्रमण से क्राउडफंडिंग में जबरदस्त उछाल आया है.

इलिप्टिक के मुताबिक, ‘24 फरवरी को सिर्फ एक एनजीओ को 675,000 डॉलर बिटक्वाइन दान में मिले. 25 फरवरी की सुबह साढ़े नौ बजे तक यह राशि बढ़कर 3.4 मिलियन डॉलर बिटक्वाइन हो गई थी. यानी सिर्फ एक एनजीओ को ही तीन मिलियन से ज्यादा धनराशी दान में मिली. आक्रमण के बाद से इन समूहों को कुल मिलाकर चार मिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम मिल चुकी है.’

दान में यह वृद्धि, यूक्रेन के वॉलंटियर और एनजीओ के उस व्यापक कवायद का हिस्सा है जिसमें उन्होंने पहली पंक्ति के संगठन के तौर पर तब भी काम किया था जब आठ साल पहले डोनबास रिपब्लिक के लिए संघर्ष शुरू हुआ था.

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इलिप्टिक की ओर से आठ फरवरी को प्रकाशित एक रिसर्च ब्लॉग में कहा गया है कि वालंटियर के समूहों ने उस समय कीव में हुए यूरोमैडेन प्रोटेस्ट के दौरान घायल प्रदर्शनकारियों को मेडिकल सहायता उपलब्ध करवाई थी. इतना ही नहीं, इन समूहों ने डोनबास में लड़ाई के दौरान हथियार, सैन्य और मेडिकल सहायता भी उपलब्ध करवाया था.

आठ साल बाद, इन वॉलंटियर समूह ने यूक्रेन की सेना की मदद के लिए एक और तकनीक को अपनाया है.

उदाहरण के लिए, इलिप्टिक के मुताबिक, साल 2014 में स्थापित, सेना का समर्थन करने वाले एनजीओ कम बैक अलाइव ने साल 2018 में क्रिप्टोकरेंसी में दान लेना शुरू किया. एनजीओ ने ऑनलाइन पेमेंट गेटवे प्लैटफॉर्म पर बिटक्वाइन से दान देने का विकल्प रखा है.

इलिप्टिक के मुताबिक, साल 2016 में बनी यूक्रेनियन साइबर अलाइंस बिटक्वाइन, इथेरम, लिटकॉइन के रूप में क्रिटोकरेंसी दान में लेती है. यह अलाइंस रूस में साइबर अटैक के लिए जानी जाती है.

इलिप्टिक ने जिन एनजीओ का जिक्र किया है उनमें एक नाम माइरोत्वोरेट्स सेंटर का भी है. यह एनजीओ यूक्रेन सरकार से जुड़ा हुआ है. इलिप्टिक के मुताबिक यह एनजीओ 2016 से क्रिप्टो-असेट स्वीकार करती है. ‘इस ट्रेंड में एक और नाम जुड़ गया है जो फंड इकट्ठा करने के लिए क्रिप्टों एसेट का इस्तेमाल करते है.’

यूक्रेन की जनता रूस से मोर्चा लेने के लिए जरूरी फंड इकट्ठा करने के वास्ते क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल व्यापक रूप से कर रही है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि यूक्रेन की जनता नई तकनीक का इस तरह से व्यापक इस्तेमाल कर रही है.

फोर्ब्स यूक्रेन के टेक जर्नलिस्ट माइक सैपिटन ने ट्वीट किय कि यूक्रेन के लोगों और यहां के प्रवासियों ने कई बड़ी कंपनियों को स्थापित किया है.

इनमें कीव में जन्मे जेन कूम का नाम शामिल है जिन्होंने व्हाट्सएप बनाया था. इसके अलावा पे-पाल के सह-संस्थापक मैक्स लेवचिन, ग्रामरली के संस्थापक मैक्स लिटविन, एलेक्स शेवचेनको और डाइमित्रो लिडर भी यूक्रेन से संबंध रखते हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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