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अफ्रीका के दुर्लभ ग्लेशियर अगले दो दशक में हो सकते हैं समाप्त: जलवायु रिपोर्ट

नयी रिपोर्ट में माउंट किलिमंजारो, माउंट केन्या और युगांडा के वेन्जोरी पर्वतों पर ग्लेशियरों का आकार कम होने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो आने वाले व्यापक बदलावों का संकेत देते हैं.

जलवायु परिवर्तन | प्रतीकात्मक तस्वीर

नैरोबी: जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका महाद्वीप के दुर्लभ ग्लेशियर अगले दो दशक में लुप्त हो सकते हैं. मंगलवार को एक नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट स्कॉटलैंड में 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले जारी की गयी. इसमें आगाह किया गया है कि महाद्वीप के वैश्विक औसत से अधिक तेजी से गर्म होने के कारण अफ्रीका की 1.3 अरब आबादी अत्यंत नाजुक स्थिति में होगी, जबकि अफ्रीका के 54 देश 4 प्रतिशत से कम वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.

नयी रिपोर्ट में माउंट किलिमंजारो, माउंट केन्या और युगांडा के वेन्जोरी पर्वतों पर ग्लेशियरों का आकार कम होने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो आने वाले व्यापक बदलावों का संकेत देते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उनके पिघलने की मौजूदा दर वैश्विक औसत से अधिक बनी हुई है. यदि ऐसा जारी रहा तो 2040 के दशक तक ग्लेशियर पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे.’

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भविष्य में बड़े स्तर पर विस्थापन, भूख और सूखे तथा बाढ़ जैसी बढ़ती जलवायु आपदाओं का खतरा है और ऐसे में भी अफ्रीका के हिस्सों में जलवायु संबंधी आंकड़ों की कमी लाखों लोगों को आपदा संबंधी चेतावनी देने पर बड़ा असर डाल रही है.


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