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ब्रिटेन की संसद के नेता ने साफ किया अपनी सरकार का रुख, कहा- कृषि सुधार भारत का घरेलू मुद्दा

कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ सांसद रेस-मॉग ने कहा, ‘चूंकि भारत हमारा मित्र देश है, ऐसे में सिर्फ यही सही होगा कि हम तभी अपनी आपत्ति प्रकट करें, जब यह लगे कि जो कुछ भी चीजें हो रही हैं वह हमारे मित्र देश की प्रतिष्ठा के हित में नहीं हैं.’

ब्रिटिश पार्लियामेंट, प्रतीकात्मक तस्वीर | विकीमीडिया कॉमन्स

लंदन: ब्रिटेन की संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ के नेता ने भारत में नये कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर अपनी सरकार के रुख को प्रदर्शित करते हुए कहा है कि कृषि सुधार उसका (भारत का) घरेलू मुद्दा है.

इस मुद्दे पर चर्चा कराने की बृहस्पतिवार को विपक्षी लेबर सांसदों की मांग पर जैकब रेस-मॉग ने स्वीकार किया कि यह मुद्दा सदन के लिए और ब्रिटेन में समूचे निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन पूरे विश्व में मानवाधिकारों की हिमायत करना जारी रखेगा और वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी मौजूदा अध्यक्षता के तहत भी यह करेगा.

कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ सांसद रेस-मॉग ने कहा, ‘भारत एक बहुत ही गौरवशाली देश है और ऐसा देश है जिसके साथ हमारे सबसे मजबूत संबंध हैं. मुझे उम्मीद है कि अगली सदी में भारत के साथ हमारे संबंध दुनिया के किसी भी अन्य देश के साथ संबंधों की तुलना में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होंगे.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि भारत हमारा मित्र देश है, ऐसे में सिर्फ यही सही होगा कि हम तभी अपनी आपत्ति प्रकट करें, जब यह लगे कि जो कुछ भी चीजें हो रही हैं वह हमारे मित्र देश की प्रतिष्ठा के हित में नहीं हैं.’

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने यह विषय पिछले साल दिसंबर में अपनी भारत यात्रा के दौरान अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के समक्ष उठाया था.

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रेस-मॉग ने यह जिक्र किया , ‘ब्रिटिश सरकार किसानों के प्रदर्शन पर करीबी नजर रखना जारी रखेगी. कृषि सुधार भारत का घरेलू नीति से जुड़ा मुद्दा है. हम विश्व में मानवाधिकारों की हिमायत करना जारी रखेंगे, इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की जिम्मेदारी के तहत भी ऐसा करेंगे.’

ब्रिटिश संसद के आगामी सत्र के एजेंडा से जुड़े विषयों पर सदन की कामकाज समिति की नियमित बैठक के दौरान अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने यह कहा.

सदन में लेबर पार्टी की शैडो नेता वेलेरी वाज ने किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को इस महीने की शुरुआत में उठाते हुए इसपर चर्चा कराये जाने पर याचिका समिति द्वारा विचार करने की मांग की थी. दरअसल, आधिकारिक संसदीय वेबसाइट पर इस महीने की शुरुआत में इस विषय पर एक लाख से अधिक हस्ताक्षर मिले हैं.

हालांकि, निचले सदन के परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में आम तौर पर होने वाली ऐसी चर्चा महामारी को लेकर लागू पाबंदियों के कारण अभी नहीं हो रही हैं. उन्होंने इसके विकल्प के तौर पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह करने का सुझाव दिया था.

गोवा मूल की सांसद ने कहा, ‘सत्याग्रह (महात्मा) गांधी का शांतिपूर्ण प्रदर्शन था जो भारतीय डीएनए में है, लेकिन हमने अपनी आजीविका बचाने में जुटे लोगों के खिलाफ भयावह हिंसा के दृश्य देखे हैं. विदेश मंत्री (राब) को लिखे मेरे पत्र का अभी तक मुझे कोई जवाब नहीं मिला है.’

लेबर सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने भी इसे धरती का सबसे बड़ा पद्रर्शन’ करार देते हुए इस पर निचले सदन के मुख्य कक्ष में चर्चा कराये जाने पर जोर दिया है.

हाउस ऑफ कॉमंस के प्रथम पगड़ी धारी सिख सदस्य धेसी ने कहा, ‘100 से भी अधिक माननीय सदस्यों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिख कर इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की है.’

हाउस ऑफ कॉमंस ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि एक लाख से अधिक हस्ताक्षर वाली सभी याचिकाओं को याचिका समिति द्वारा चर्चा के लिए योग्य माना जाएगा.

ई-याचिका पर हस्ताक्षरों की संख्या अब बढ़ कर 1,14,000 से अधिक हो गई है.

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