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पैरालंपिक पदक विजेताओं ने कहा, तोक्यो खेल भारतीय पैरालंपिक के सबसे महत्वपूर्ण क्षण

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यतिराज सहित पैरालंपिक खेलों के पदक विजेताओं का मानना है कि तोक्यो पैरालंपिक खेल भारत में पैरा-खेलों लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था क्योंकि इसके प्रदर्शन ने लोगों को खेलों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

इन खिलाड़ियों ने कहा कि पैरा-खेलों में बढ़ती लोकप्रियता को राष्ट्रीय खेलों में बढ़ती भागीदारी से महसूस की जा सकती है।

भारतीय दल ने तोक्यो पैरालंपिक में पांच स्वर्ण सहित 19 पदक जीतकर इतिहास रचा था। इन खेलों की तालिका में भारत 24वें स्थान पर रहा जो अब तक का उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी सुहास ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के इतर मीडिया से ऑनलाइन बातचीत में कहा, ‘‘  तोक्यो 2020 में बैडमिंटन का प्रदर्शन इस खेल के सर्वश्रेष्ठ पलों में से एक था। हमें आगे एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में भाग लेना है और मुझे यकीन है कि लोगों की बढ़ी हुई दिलचस्पी से इस खेल को फायदा होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आप ओड़िशा में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भागीदारी में बढोतरी को देखें तो यह बहुत अधिक थी। बैडमिंटन में रुचि बहुत अधिक है क्योंकि यह खेल  शुरू करने वाले लोगों के लिए यह आसान खेल है। इसलिए पैरा बैडमिंटन भारत और दुनिया भर में नयी ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है।’’

पैरालंपिक में पुरुष एकल ‘एलएल3’ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने कहा कि वह ओडिशा में आयोजित चैम्पियनशिप में लोगों बढ़ती भागीदारी को देखकर आश्चर्यचकित थे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बार 500 से अधिक एथलीट राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए आए थे, हम संख्या से पूरी तरह से हैरान थे। पहले यह 300-350 तक ही सीमित रहती थी।’’

तीरंदाजी में पैरालंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने हरविंदर सिंह को लगता है कि लोग अब अलग-अलग पैरा खेलों को अपनाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘अब भी कई ऐसे खेल हैं जिनमें भारत ने हिस्सा नहीं लिया है। पदक के बाद हमें जो पहचान मिलती है, उससे (अन्य पैरा खेलों में हिस्सा लेने वाले लोगों में) भी मदद मिलेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पहले, क्रिकेट लोकप्रिय खेल हुआ करता था, लेकिन फिर एथलेटिक्स में पदक आने लगे और अब हमने तीरंदाजी में भी पहला स्थान हासिल किया है। इसलिए, मुझे लगता है कि आने वाले समय में लोग प्रेरित (अधिक पैरा स्पोर्ट्स लेने के लिए) होंगे।’’

सुहास का हालांकि मानना है कि पैरा बैडमिंटन और अन्य खेलों में अब भी काफी कुछ किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘व्हीलचेयर श्रेणी में भारत की भागीदारी शून्य थी। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे व्हीलचेयर खिलाड़ियों को भी मौका दिया जाए।’’

तीन बार के पैरालंपिक पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को लगता है कि भारत पेरिस पैरालंपिक में एथलेटिक्स में शीर्ष तीन में जगह बना सकता है।

इस 40 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ एथलेटिक्स में चीन और ईरान हमसे आगे हैं और तीसरे नंबर पर जापान और कोरिया जैसे कई देश हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार सुविधाएं मुहैया करा रही है और जिस तरह से बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं, हमारा लक्ष्य शीर्ष तीन में जगह बनाना होगा। हम निश्चित रूप से एथलेटिक्स में अच्छा कर सकते हैं।’’

भाषा आनन्द पंत

पंत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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