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‘पूरी थाली चाहिए थी, अब आधी मिलेगी’- NCP नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर शिंदे की सेना नाराज़

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में एनसीपी के नौ विधायकों के शामिल होने के साथ राज्य में अब केवल 14 कैबिनेट के पद खाली हैं. अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के सरकार में शामिल होने से पहले यह संख्या 23 थी.

रविवार को मुंबई के राजभवन में एनसीपी नेता अजीत पवार और 8 विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस | फोटो: ANI रविवार को मुंबई के राजभवन में एनसीपी नेता अजीत पवार और 8 विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस | फोटो: ANI

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भले ही सार्वजनिक रूप से अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विद्रोहियों का सरकार में स्वागत किया हो, लेकिन अंदर ही अंदर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को यह पसंद नहीं आ रहा है. इसकी जानकारी पार्टी के कई नेताओं ने दिप्रिंट को दी.

अजित पवार और एनसीपी के आठ अन्य विधायकों के रविवार को औपचारिक रूप से महाराष्ट्र कैबिनेट में शामिल होने के बाद, सीएम शिंदे ने अपनी सरकार को “ट्रिपल इंजन” की सरकार कहा. शिंदे ने कहा कि यह सरकार को “बुलेट ट्रेन की तरह चलने” में मदद करेगा.

हालांकि, शिंदे खेमे के कई विधायक इससे चिंतित हैं. शिंदे खेमे के विधायक करीब एक साल से अधिक समय से कैबिनेट विस्तार का इंतजार कर रहे थे. मंत्रिमंडल में एनसीपी के नौ विधायकों के शामिल होने के साथ, राज्य में अब केवल 14 कैबिनेट पद खाली हैं, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के सरकार में शामिल होने से पहले यह संख्या 23 थी.

इसके अलावा, पार्टी नेताओं का कहना है कि कुछ स्थानों पर जहां से एनसीपी के दिग्गज नेता सरकार में शामिल हुए हैं, विधायकों को इस बात की भी चिंता है कि अगर बीजेपी, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार का एनसीपी गुट एक साथ चुनाव लड़ेंगे तो कई विधायकों की टिकट भी कट सकती है. 

कुछ विधायकों का यह भी मानना है कि वह अब मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे, क्योंकि उन्होंने पिछले साल महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के कारणों में से एक के रूप में एनसीपी और अजीत पवार के साथ मतभेदों का हवाला दिया था, जिसके कारण उद्धव सरकार गिर गई थी.

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एमवीए सरकार में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन अविभाजित शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल थी. पिछले साल जून में, शिंदे 39 विधायकों के साथ इस सरकार से बाहर हो गए जिसके बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी. बाद में शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसमें वह खुद मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने.

बीजेपी, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी के सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि नाराजगी के कारण नवनियुक्त एनसीपी मंत्रियों को कैबिनेट विभागों के आवंटन में देरी हो रही है, क्योंकि शिवसेना के साथ-साथ बीजेपी के मंत्री भी अपना पुराना विभाग नहीं बदलना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि एनसीपी के जो नेता मंत्रीमंडल में शामिल हुए हैं उनमें से कई वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं जिन्हें भारी-भरकम विभागों की उम्मीद होगी.

शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक सांसद ने दिप्रिंट को बताया, ”पार्टी के नेता निश्चित रूप से परेशान हैं. विधायक जो सक्रिय रूप से कैबिनेट पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, परेशान हैं क्योंकि सरकार को अब बाकी के 14 सीटों पर सभी तीन दलों के सदस्यों में बांटना होगा. जिन जिलों से एनसीपी के बड़े नेता सरकार में शामिल हुए हैं, उन जिलों के लिए शिवसेना के संरक्षक मंत्री भी चिंतित हैं क्योंकि अब टकराव होने की संभावना है.”

उदाहरण के लिए, छगन भुजबल, जिन्हें महाराष्ट्र के सबसे मजबूत ओबीसी नेताओं में से एक माना जाता है, नासिक जिले से हैं जहां शिवसेना के दादा भूसे संरक्षक मंत्री हैं. भुजबल शिंदे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नौ एनसीपी मंत्रियों में से एक हैं.

इसी तरह, उदय सामंत कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों से संरक्षक मंत्री हैं, जहां से वरिष्ठ एनसीपी नेता सुनील तटकरे की बेटी अदिति तटकरे कैबिनेट में शामिल हुई हैं.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि शिंदे ने अगले आठ से दस दिनों में, संभवतः 17 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र से पहले, एक और कैबिनेट विस्तार का वादा करके, पवार और अन्य एनसीपी मंत्रियों को शामिल करने पर अपनी पार्टी के भीतर नाराजगी को कम करने की कोशिश की है.


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‘हर कोई थोड़ा निराश है’

बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार में अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के शामिल होने को एक ऐसे कदम के रूप में देखा जा रहा है जो बीजेपी के साथ शिंदे खेमे की राजनीतिक बढ़त को कम कर देगा.

बीजेपी, जिसके राज्य में 105 विधायक हैं, को महाराष्ट्र पर पकड़ बनाए रखने के लिए केवल शिंदे खेमे के 40 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. हालांकि, अजित पवार अपने साथ कितने विधायक लाएंगे, इसकी सटीक संख्या अभी भी स्पष्ट नहीं है.

मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए, रायगढ़ जिले के महाड निर्वाचन क्षेत्र से विधायक, शिवसेना के भरत गोगावले ने सतर्क रुख अपनाने की कोशिश की.

पिछले साल अगस्त में पहला विस्तार होने के बाद से ही गोगावले मंत्री बनने के इच्छुक रहे हैं और उन्होंने मंगलवार सुबह संवाददाताओं से कहा कि उन्हें अगले कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद है.

गोगावले ने कहा, “अब नाराज़ होकर हम क्या करेंगे? हां, हर कोई थोड़ा निराश होगा क्योंकि जो व्यक्ति एक पूरी थाली खाना चाहता था उसे अब केवल आधी ही मिलेगी. जो व्यक्ति आधी थाली खाना चाहता था उसे अब केवल एक चौथाई ही मिलेगी. लेकिन, अगर हमें राजनीतिक समीकरण बनाए रखते हुए आगे बढ़ना है, तो हमें यह सब स्वीकार करना होगा. अब  शिंदे खेमे के नेता एक चौथाई थाली से ही खुश हैं.”

शिवसेना के सूत्रों ने कहा, शिंदे को छोड़कर पार्टी के नौ मंत्री, जो पहले से ही कैबिनेट में हैं, नहीं चाहते कि एनसीपी मंत्रियों को मलाईदार विभाग मिले और उन्होंने सोमवार को इन चिंताओं को उठाने के लिए ठाणे में सीएम शिंदे से उनके निजी आवास पर मुलाकात की थी.

पिछले साल अगस्त में पहले कैबिनेट विस्तार के बाद जब सीएम ने विभागों का आवंटन किया, तो उन्होंने 13 विभाग अपने पास रखे और सात डिप्टी सीएम फड़नवीस को दे दिए, जिससे इनमें से कुछ को कैबिनेट के भावी मंत्रियों को आवंटित करने की संभावना खुली रह गई.

सीएम और डिप्टी सीएम के बीच 20 विभागों में शहरी विकास, आवास, वित्त, गृह, ऊर्जा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले कुछ विभाग शामिल हैं.

‘मतदाताओं को समझाना कठिन होगा’

एक अन्य शिवसेना विधायक, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि पिछले कुछ महीनों से एनसीपी के सरकार में शामिल होने की संभावना के बारे में चर्चा चल रही थी, लेकिन अधिकांश विधायकों को रविवार के शपथ ग्रहण समारोह के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. 

उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से कुछ नाराजगी है. जब सब कुछ ठीक चल रहा था तो इन लोगों को साथ लाने की क्या जरूरत थी? यह हमारे लिए अवसरों को कम करता है. और पिछले साल जब हमने एमवीए सरकार छोड़ी थी तो हमने इन्हीं लोगों पर उंगलियां उठाई थीं. अब, हमारे मतदाताओं को यह समझाना एक मुश्किल काम होने वाला होगा.”

हालांकि, विधायक सुहास कांडे, जो भुजबल के गृह क्षेत्र नासिक जिले के नंदगांव निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेताओं के बीच असंतोष को कम करने की कोशिश की.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “जब हम शिंदे साहब के साथ गुजरात गए, तो हमने अपना राजनीतिक करियर दांव पर लगा दिया. हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी सरकार सत्ता में आएगी और शिंदे साहब सीएम बनेंगे. शिंदे साहब हमारे लिए जो भी निर्णय लेंगे, हम उनके साथ खड़े रहेंगे.” 

उन्होंने आगे कहा, “पांच लोगों के परिवार में, दो या तीन लोग ऐसे होंगे जो परिवार के मुखिया के आह्वान से असहमत होंगे. हमलोग 40 विधायक हैं, इसलिए कुछ लोग ऐसे होंगे जो नाखुश या निराश होंगे.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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