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यूपी के बाबा भाजपा के सवर्ण समर्थकों को भड़का कर उसकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं

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देवकीनंदन ठाकुर । फेसबुक

देवकीनंदन ठाकुर एससी/एसटी ऐक्ट में हुआ संशोधन का विरोध करने के एकमात्र उद्देश्य से बनायी गयी एक संस्था की अगुवाई करते हैं.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के स्वघोषित ‘आध्यात्मिक नेता’, देवकीनंदन ठाकुर ठाकुर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ऊपरी जातियों को मनाने के प्रयासों में अड़चनें डाल रहे हैं. वे ऐसा मोदी सरकार द्वारा एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटिज़ ऐक्ट ) में लाये गए संशोधन के विरोध में कर रहे हैं.

इस संशोधन का विरोध कर रहे ठाकुर को इस सप्ताह की शुरुआत में में यूपी पुलिस ने तब गिरफ्तार कर लिया था जब वह आगरा में इस मुद्दे पर एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करने जा रहे थे. पुलिस का दावा है कि उन्होंने आगरा में आईपीसी धारा 144 लगायी थी जो किसी एक स्थान पर चार से अधिक लोगों की असेंबली को प्रतिबंधित करता है. आईपीसी धारा 155 के तहत गिरफ्तार ठाकुर को बाद में रिहा कर दिया गया.

बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि ‘अखण्ड भारत मिशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर – जोकि एससी / एसटी संशोधन का विरोध करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं, “पार्टी के लिए तेज़ी से सिरदर्द बन रहे हैं. ” यह ऐसे समय में हो रहा है जब भाजपा पिछड़ी जातियों तक अपनी पहुँच को संतुलित करते हुए अगड़ी जातियों के गुस्से को शांत करने में लगी है.

भाजपा का मानना है कि राज्य में ठाकुर के ऊपरी जाति के अनुयाइयों की संख्या खासी अधिक है और उनका आंदोलन पार्टी को चोट पहुंचा सकता है क्योंकि एससी/एसटी समुदाय वैसे भी काफी विचलित है.

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ठाकुर की गिरफ्तारी और सरकार द्वारा उनको सार्वजनिक बैठक आयोजित करने से रोकने का प्रयास करने के मूल में भाजपा का डर है कि वे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. असेंबली और लोकसभा चुनाव जल्द ही होने के कारण पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है.

सवर्णों में आक्रोश

भाजपा सवर्णों में पार्टी के प्रति बढ़ रहे गुस्से से काफी चिंतित है और दिप्रिंट इसपर पहले भी रिपोर्ट कर चुका है.

यह मामला 15 मुख्यमंत्रियों और और 7 उपमुख्यमंत्रियों के साथ हुई 28 अगस्त की बैठक के दौरान उठाया गया था जो मोदी एवं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक के दौरान मोदी और शाह दोनों ने भाजपा के प्रति ऊंची जातियों की नाराज़गी के बारे में चिंता व्यक्त की और मुख्यमंत्रियों से इस पलटवार का समाधान करने का आग्रह किया.

पार्टी देश के विभिन्न हिस्सों में ऊपरी जातियों के क्रोध का सामना कर रही है. मध्यप्रदेश में सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज (SAPAKS) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम में केंद्र द्वारा किये संशोधन के खिलाफ सवर्णों एवं ओबीसी के विरोध को एकजुट करने में सफल रहा है.

सवर्णों का यह गुस्सा कुछ हद तक मोदी सरकार के अन्य दलित और ओबीसी आउटरीच कार्यक्रमों जैसे कि पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग के संवैधानिक समर्थन की प्रतिक्रिया के रूप में उपजा है.

यह आक्रोश चिंता का विषय है क्योंकि पार्टी का अनुमान है कि ऊपरी जातियां जनसंख्या का लगभग 25-30 प्रतिशत है और इस वजह से वोटबैंक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पिछड़ी जातियों और दलितों से सम्बन्ध मज़बूत बनाने के प्रयास जारी रहेंगे.


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एक ‘भगवद्कथावाचक “

ठाकुर, जो 1978 में मथुरा में एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे, खुद को “आध्यात्मिक नेता” और “भगवत कथावाचक” कहते हैं . उनके अनुयायियों के अलावा ठाकुर की सोशल मीडिया उपस्थिति भी अच्छी खासी है और सूत्र बताते हैं कि यह पार्टी के लिए चिंता का एक अन्य कारक है.

ट्विटर पर, उनके पास 3.33 लाख फ़ॉलोअर्स हैं, जबकि उनके फेसबुक पेज को लगभग 2.5 लाख लोग फॉलो करते हैं.

उन्हें “शांति का संदेशवाहक” घोषित करते हुए उनका फेसबुक पेज दावा करता है है कि वे छः वर्ष की उम्र में घर छोड़ वृन्दावन चले गए थे , जहां वह निम्बार्क संप्रदाय के अनुयायी बन गए. यह पृष्ठ आगे दावा करता है कि 13 साल की उम्र में ठाकुर भगवद्गीता पढ़ चुके थे और तब से वे सत्संग आयोजित कर रहे हैं.

इधर कुछ समय से ठाकुर एससी / एसटी अधिनियम में संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं और और उन्होंने दावा किया है कि ये बदलाव “समाज को विभाजित करते हैं”. उन्होंने हाल ही में कहा था, “जब तक मैं ज़िंदा हूं, मैं देश की एकता के लिए लड़ूंगा.”

ठाकुर ने 9 सितंबर को अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था, “आज सभी बौद्धिक और सामाजिक कार्यकर्ता जो दुनिया भर से वृंदावन आए हैं, उन्होंने एससी/एसटी अधिनियम के खिलाफ एक संगठन/ बैनर के तहत एक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है.” “संगठन को अखण्ड भारत मिशन कहा जाएगा और मैं खुद को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के लिए आभारी हूं”.

Read in English : The UP ‘spiritual leader’ hurting BJP efforts to placate angry upper caste voters

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