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मंदिर, माइग्रेशन और मुस्लिम- UP में योगी की जीत के लिए BJP-RSS ने ‘3-M फॉर्मूले’ पर पूरी ताकत झोंकी

आरएसएस की चुनाव सामग्री—पर्चे, पोस्टर और भाषण—से पता चलता है कि 2022 के चुनावों में भाजपा मुख्यत: पर तीन बातों पर जोर दे रही है. और चौथा ‘एम’ मस्कुलरिटी को माना जा सकता है क्योंकि अनुच्छेद 370 का मुद्दा भी बीच-बीच में उठता रहता है.

यूपी विधानसभा चुनाव के आखिरी दो चरणों से पहले आरएसएस कार्यकर्ता वाराणसी जिले के सिंहपुर निवासी को लुभाते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

वाराणसी/गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आखिरी दो चरण का मतदान करीब पहुंचने के बीच पूर्वांचल क्षेत्र में तीन एम (M) यानी मंदिर, माइग्रेशन (प्रवास) और मुस्लिम की ही गूंज सुनाई दे रही हैं. इस अभियान को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सबसे अहम भूमिका निभा रहा है.

आरएसएस के अभियान की सामग्री, जिसमें पर्चे, पोस्टर और भाषण आदि शामिल हैं, दिखाती हैं कि 2022 के चुनाव में भाजपा मुख्यत: तीन एम पर जोर दे रही है, इसमें शामिल है मंदिर, माइग्रेशन (जो भूमि-जोत की कमी के कारण बढ़ा है) और मुस्लिम—जिसे विपक्ष (समाजवादी पार्टी पढ़े) की तरफ से ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ कहा जा रहा है. चौथा एम मस्कुलरिटी (सशक्त होने) माना जा सकता है क्योंकि अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने का मुद्दा भी बीच-बीच में उठता रहता है.

वाराणसी के एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान न केवल इन मुद्दों की अहमियत बताई बल्कि एजेंडा तय करने में संघ की भूमिका के बारे में भी जानकारी दी.

पदाधिकारी ने कहा, ‘इस चुनाव में वाई (यादव) एक फैक्टर है, लेकिन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं मंदिर, माइग्रेशन और मुस्लिम.’

उन्होंने दावा किया कि माइग्रेशन का मुद्दा तब सामने आया जब आरएसएस ने महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के बीच एक ‘सर्वेक्षण’ किया.

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उन्होंने कहा, ‘2020 और 2021 में लॉकडाउन के बाद जब प्रवासी मजदूर गोरखपुर-कुशीनगर क्षेत्र में लौटे, तो हमने जमीनी स्तर पर एक सर्वेक्षण किया और प्रवासी मजदूरों का डेटाबेस तैयार किया. फिर इसे आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेज दिया.’

गोरखपुर के मोहरीपुर में घर-घर प्रचार के दौरान आरएसएस कार्यकर्ता | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

उनके मुताबिक, ‘सर्वेक्षण’ से पता चला कि ‘भूमि-जोत में कमी’ यूपी से बड़े पैमाने पर माइग्रेशन की प्रमुख वजह है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे में जरूरी है कि सरकार नई भूमि नीति बनाए और वह इस पर काम कर रही है.’

पूर्वांचल के लिए चुनाव अभियान तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पदाधिकारी ने कहा कि मुसलमानों को ‘गुमराह’ किया जा रहा है और इसे बदलना जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘मुसलमान हमारे दुश्मन नहीं हैं जैसा विपक्ष प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के लिए उन्हें गुमराह कर रहे हैं.’ पदाधिकारी ने यह भी दावा किया कि तमाम मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा का समर्थन किया है.

उन्होंने कहा, ‘2019 में हमारे चुनाव बाद के विश्लेषण से पता चला कि मुस्लिम बहुल बूथों में भाजपा को 3-4 प्रतिशत वोट मिले. हमने गहराई से अध्ययन किया तो पाया कि मोदी सरकार के फैसले के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने हमारा समर्थन किया है.’

उनके मुताबिक, कर्नाटक में शुरू होकर यूपी सहित देश के अन्य राज्यों में फैला हिजाब विवाद दरअसल भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे इस्लामिक संगठनों की एक चाल है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘पीएफआई जैसी ताकतों की मदद से विपक्ष ने स्कूल में हिजाब को लेकर एक राजनीतिक विवाद खड़ा किया. यह चुनाव से पहले मुस्लिम महिला मतदाताओं को नाराज करने की पूर्व नियोजित चाल है.’ यूपी में चुनाव खत्म होते ही यह विवाद खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा.

गौरतलब है कि इस क्षेत्र में चुनावी जंग पार्टी की प्रतिष्ठा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि जहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहरी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) है. गोरखपुर और वाराणसी में क्रमश: 3 और 7 मार्च को मतदान होना है.


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‘और कुछ नहीं तो राम और काशी के मंदिर को याद रखें’

चुनाव अभियान के दौरान अक्सर अयोध्या में राम मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर गलियारा (जो मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ता है), और गोरखपुर मठ के आसपास के क्षेत्रों के विकास का जिक्र आता रहता है.

ऊपर उद्धृत वाराणसी के आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि हिंदू धर्म का पालन करने वालों को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि ‘महाराज जी (योगी आदित्यनाथ)’ ने उन्हें क्या दिया है.

उन्होंने कहा, ‘पहले काशी विश्वनाथ मंदिर कैसा था? किसी तीर्थयात्री के लिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद वहां पहुंचना कितना असुविधाजनक होता था, और अब यह मंदिर हमें बहुत शांति देता है. जो कोई भी हिंदू पहले मंदिर गया है, और फिर अब गया है तो उसे सिर्फ मंदिर के लिए ही योगी जी को वोट करना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘हम तो लोगों से कह रहे हैं, और कुछ नहीं तो राम मंदिर, काशी मंदिर याद रखिए.’

वाराणसी-गोरखपुर बेल्ट में लगभग हर जनसंपर्क अभियान की शुरुआत किसी मंदिर से होती है, जहां संघ के सदस्य और भाजपा कार्यकर्ता जुटते हैं और प्रचार अभियान पर निकलने से पहले नारे लगाते हैं, और मंत्रोच्चार करते हैं.

आरएसएस के एक दूसरे पदाधिकारी ने कहा, ‘मंदिर संघ परिवार की प्राथमिक नींव है और ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी शुरुआत संगठन भारत माता और हमारे देवी-देवताओं को याद किए बिना करता हो.’

गोरखपुर के भैरोपुर में एक बैठक में आरएसएस के सदस्य | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

‘योगी सत्ता में न लौटे तो कश्मीर, बंगाल, केरल जैसा बन जाएगा यूपी’

वाराणसी-गोरखपुर बेल्ट में आरएसएस-भाजपा अभियान के तहत मंदिर मुद्दे को जोरदारी से प्रचारित करने के अलावा ‘लोगों को आगाह’ भी किया जा रहा है कि यदि योगी आदित्यनाथ की सत्ता में वापसी नहीं हुई तो क्या हो सकता है.

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और गोरखपुर के प्रचार प्रभारी अरविंद मेनन ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर योगी जी वापस नहीं आएंगे तो उत्तर प्रदेश भी कश्मीर, बंगाल और केरल बन जाएगा.’

इसे और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि यूपी में जिन ‘गुंडों और आतंकवादियों’ पर भाजपा ने ‘काबू’ पा लिया है, वे फिर ‘सिर उठा लेंगे’ और सुरक्षा-व्यवस्था को बाधित करेंगे और अराजकता फैलाएंगे.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘देश के किसी भी हिस्से में जब भी कोई आतंकी घटना होती थी, उसका हमेशा यूपी से कुछ न कुछ लिंक पाया जाता था. समाजवादी पार्टी की सरकार में यहां आतंकियों को पनाह मिलती थी.

इस पर जोर देते हुए कि भाजपा ने हमेशा हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कानून-व्यवस्था पर ध्यान दिया है, मेनन ने योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में उन तमाम इमारतों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किए जाने की सराहना की जो कथित तौर पर अपराधियों द्वारा बनवाई गई थीं.

उन्होंने कहा, ‘हम लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं कि बुलडोजर फिलहाल गैरेज में हैं, उनकी मरम्मत जारी है. 10 मार्च (चुनाव नतीजे के दिन) के बाद बुलडोजर फिर निकल आएंगे और गुंडों को उनकी जगह सही जगह दिखा दी जाएगी.’

माइग्रेशन : मुफ्त लाभों से आगे जाने का वादा

यूपी के गोरखपुर-कुशीनगर क्षेत्र से प्रवासी मजदूरों के बाहर जाने की दर सबसे अधिक है, क्योंकि रोजगार का अभाव और खेती-बाड़ी से अच्छी आय की गुंजाइश कम ही है. इससे लोगों के विभिन्न वर्गों में आक्रोश भी है.

आरएसएस-भाजपा की तरफ से इस नाराजगी को दूर करने के लिए प्रवासी परिवारों के लिए सरकारी योजनाओं के लाभ गिनाए जा रहे हैं, साथ ही इससे आगे बढ़कर कुछ कदम उठाए जाने के वादे भी किए जा रहे हैं.

भाजपा नेता अरविंद मेनन ने कहा कि यूपी में “लाभार्थी’ का एक समावेशी समुदाय है. उन्होंने कहा, ‘लाभार्थी वे लोग हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, भले ही वे किसी भी जाति या समुदाय के हों. यह सभी को समान रूप से मिलता है.’

संगठन की शोध टीम में शामिल आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने प्रवासी मजदूरों के परिवारों को नौकरी, मुफ्त राशन और मासिक आय सुनिश्चित की है.’ साथ ही जोड़ा कि अब अगले कदम की योजना बनाई जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘हमने इस क्षेत्र में माइग्रेशन की समस्या की पड़ताल की और पाया कि किसानों और ग्रामीणों के बीच खेती की जमीन में लगातार आ रही कमी ने उन्हें प्रवासी मजदूरों के रूप में शहरों की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया है. हमने सरकार को डेटा दिया है और यह नई भूमि नीति ला सकती है, जिसमें कुछ समुदायों के लिए भूमि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है. लेकिन फिलहाल अभी इस पर काम जारी है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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