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‘लड़ूंगा और अड़ूंगा’ इस्तीफे के बाद सिद्धू ने तोड़ी चुप्पी तो कांग्रेस के नेता बोले- ‘विश्वासघात’ से कम नहीं

मनीष तिवारी ने कहा, पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और इसे सुरक्षित हाथों में सौंपा जाना चाहिए था लेकिन यह मामला जिस तरह से हैंडल किया जा रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है.

नवजोत सिंह सिद्धू/फोटो: वीडियो ग्रैब

चंडीगढ़: कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष के पद से अचानक इस्तीफा देने के एक दिन बाद चुप्पी तोड़ते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलिस महानिदेशक और राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्तियों पर बुधवार को सवाल उठाए.

सिद्धू के अचानक इस्तीफे से जहां प्रदेश इकाई में हलचल मच गई वहीं कांग्रेस पार्टी भी दो खेमों में बंटी नजर आई. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने सिद्धू के उठाए गए कदम को विश्वासघात बताया है.

पंजाब को राजनीतिक स्थिरत की जरूरत

पंजाब कांग्रेस में मची उथल-पुथल के बीच आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का पक्ष लिया.

उन्होंने कहा, सिंह बड़े कद के नेता हैं. वह मेरे दिवंगत पिता के करीबी दोस्त थे.

मनीष तिवारी ने कहा, ‘ हम एक-दूसरे को वर्षों से जानते हैं, इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि  उन्होंने जो भी कहा, वो सही साबित हो रहा है. इस समय पंजाब को सुरक्षित हाथों में रखा जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा, ‘पंजाब को इस समय किसी सुरक्षित हाथों में दिया जाना चाहिए था.’

मनीष तिवारी ने नवजोत सिंह सिद्धू का नाम लिए बिना ही उन पर निशाना साध रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों को राज्य की देखभाल की ज़िम्मेदारी दी गई थी उन्हें राज्य के हालात का अंदाज़ा भी नहीं था.’

मनीष तिवारी ने आगे कहा, ‘पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और इसे सुरक्षित हाथों में सौंपा जाना चाहिए था लेकिन यह मामला जिस तरह से हैंडल किया जा रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है.’

‘और जिस तरह कृषि कानूनों के खिलाफ लोग अभी गुस्से में हैं और राज्य बदलाव के दौर से गुजर रहा है ऐसे में इस तरह की घटनाएं राज्य की स्थिरता को प्रभावित करती हैं.’

तिवारी ने कहा कि पंजाब के एक सांसद के रूप में वे प्रदेश में होने वाली घटनाओं से बेहद व्यथित और चिंतित हैं.

उन्होंने कहा, ‘पंजाब में शांति बड़ी मुश्किल से आई है.’ 25 हजार लोगों ने 1980 से 1995 के बीच उग्रवाद के दौरान पंजाब में शांति वापस लाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया, इनमें अधिकतर कांग्रेसी थे.

तिवारी ने साफ कहा कि पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उससे केवल पाकिस्तानी ही खुश है.

उन्होंने कड़े लहजे में सिद्धू का बिना नाम लिए कहा कि ‘जिन लोगों को पंजाब की कमान सौंपी गई उन्हें पंजाब की समझ ही नहीं थी. पंजाब एक पहलू है लेकिन राष्ट्रहित दूसरा पहलू.’

पंजाब में जल्द से जल्द राजनीतिक स्थिरता बहाल किए जाने की जरूरत है.

हालांकि सुनील जाखड़ ने तो सिद्धू के इस्तीफे का विरोध करते हुए कल ही लिख दिया था कि यह क्रिकेट नहीं है.


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‘विश्वासघात से कम नहीं’

पार्टी के नेता सुखविंदर सिंह काका कंबोज ने कहा, वह सुनील जाखड़ जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस पार्टी पर न्योछावर कर दी उसे क्रास करके सिद्धू को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था.

उन्होंने कहा, अगर वो तब खुश नहीं हैं तो वो कभी भी खुश नहीं हो सकते हैं.’

काका ने आगे कहा, ‘ पंजाब के हालात अभी थोड़े नाजुक हैं. गांधी परिवार ने उनपर बहुत भरोसा किया था और उन्होंने इसका ऐसा सिला दिया है.

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. काका से जब इस बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘ नवजोत सिंह सिद्धू या किसी एक के पार्टी ज्वाइन करने या छोड़ने से पार्टी के चुनाव और उसकी जीत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. कांग्रेस इस बार भी पंजाब में सरकार बनाएगी. लेकिन जो उन्होंने किया वो विश्वास घात से कम नहीं.

क्या बोला सिद्धू ने

राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस को एक नए संकट में डालते हुए, सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी कैबिनेट के नए मंत्रियों को विभागों के आवंटन के तुरंत बाद मंगलवार को अपना इस्तीफा दे दिया.

सिद्धू ने बुधवार को ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘हक़-सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा.’ उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई पंजाब के मुद्दों और राज्य के एजेंडा को लेकर है.

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.  स्पष्ट तौर पर सहोता उनका जिक्र करते हुए, सिद्धू ने कहा, ‘जिन्होंने छह साल पहले बादल को क्लीन चिट दी थी…ऐसे लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है…..’

सहोता बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे.

सिद्धू ने ए पी एस देओल की राज्य के नए महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति पर भी सवाल उठाया.

उन्होंने कहा, ‘ जिन लोगों ने ‘पक्की जमानत’ दिलाई है, वे महाधिवक्ता बनाए गए हैं.’

देओल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रह चुके हैं. वह पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी का उनके खिलाफ कई मामलों में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

कांग्रेस पंजाब के पूर्व अध्यक्ष वीडियो में कह रहे हैं, ‘प्यारे पंजाबियों, 17 साल के राजनीतिक सफ़र एक उद्देश्य के साथ तय किया है. पंजाब के लोगों की ज़िंदगियों को बेहतर करना और मुद्दे की राजनीति पर एक स्टैंड लेकर खड़े रहना. यही मेरा धर्म और फ़र्ज़ रहा है और आज तक मेरा किसी से निजी झगड़ा नहीं रहा है.

‘मेरी लड़ाई मुद्दों की और पंजाब के एजेंडे की है. मैं हमेशा हक़ की लड़ाई लड़ता रहा हूं और इससे कोई समझौता नहीं किया है. मेरे पिता ने यही सिखाया है जब भी कोई द्वंद्व हो तो सच के साथ रहो और नैतिकता रखो. नैतिकता के साथ कोई समझौता नहीं है.’

सिद्धू इसके बाद कह रहे हैं कि वो आज देख रहे हैं कि मुद्दों के साथ समझौता हो रहा है.

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने वीडियो में आगे कहा, जिन लोगों ने बड़े अफ़सरों का दायित्व निभाते हुए उन लोगों को प्रोटेक्शन दी, जिन्होंने मांओ की कोख सूनी कर दी. उनको पहरेदार नहीं बनाया जा सकता.’

सिद्धू ने कहा,  ‘मैं अड़ूंगा और लड़ूंगा, सबकुछ लुटता है तो लुट जाए.’

उन्होंने कहा कि ये उनकी रूह की आवाज़ है और वे पंजाब की प्रगति के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे.


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