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‘चुनावों से कोई संबंध नहीं’, RSS से जुड़े किसान संगठन BKS का 1 करोड़ ग्रामीणों तक पहुंचने का लक्ष्य

भारतीय किसान संघ नए सदस्यों की भर्ती करने और 'किसान समुदाय के उत्थान के लिए किए गए कार्यों' को उजागर करने के लिए दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 के बीच देशव्यापी अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है.

पिछले साल नई दिल्ली में भारतीय किसान संघ की एक रैली की तस्वीर | फाइल फोटोः PTI

नई दिल्ली: आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले देशव्यापी सदस्यता अभियान शुरू करने का फैसला किया है. इसे संगठन का किसानों तक पहुंचने और किसानों के बीच सरकार के कामों को ले जाने को लेकर एक नई पहल शुरू करने का एक कदम माना जा रहा है.

बीकेएस के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि संगठन किसानों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यो को उजागर करेगा, विशेष रूप से सरकार द्वारा किसानों के हित में लाई गई योजनाओं के बारे में उनके बीच जागरूकता फैलाएगा. उन्होंने आगे कहा: “सदस्यता अभियान के समय का चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है. हम अपना काम स्वयं करते हैं, जिसका उद्देश्य किसानों तक पहुंचना और उनकी चिंताओं को सरकार के समक्ष उठाना है, चाहे वह राज्य स्तर पर हो या केंद्र स्तर पर.”

यह ड्राइव दिसंबर 2023 में शुरू होगा जो जनवरी 2024 तक चलेगा.

बीकेएस के आयोजन सचिव दिनेश कुलकर्णी ने दिप्रिंट को बताया कि संगठन का लक्ष्य कम से कम एक लाख गांवों को कवर करना, एक करोड़ से अधिक ग्रामीणों तक पहुंचना और उन्हें बीकेएस का सदस्य बनाना है.

आरएसएस के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “यह सरकार द्वारा उठाए गए कल्याणकारी उपायों के साथ-साथ किसान समुदाय और कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए बीकेएस द्वारा किए गए कार्यों को उजागर करने के लिए एक महत्वपूर्ण आउटरीच कार्यक्रम होगा.”

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उन्होंने कहा, “भारत में लगभग 6.5 लाख राजस्व गांव (छोटी प्रशासनिक इकाइयां) हैं. हमारा अभियान किसानों को संगठन से जोड़ने पर केंद्रित होगा. हमने पहले भी इस तरह का अभियान चलाने की कोशिश की थी लेकिन वह कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हो गई.”

यह अभियान किसान समुदाय के कल्याण के लिए लागू सरकारी योजनाओं, आरएसएस द्वारा किए गए कार्यों के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालेगा. आरएसएस पदाधिकारी ने आगे बताया, “हम इसके लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. हमारी कोशिश पंजाब के किसानों तक पहुंचने की है.”


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बीजेपी, जो केंद्र में एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रही है, 2020-2021 के किसान आंदोलन के बाद से एक प्रमुख वोटबैंक किसान समुदाय तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. सितंबर 2020 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के बाद किसानों ने भारी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसमें हजारों किसान, खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के, लगभग एक साल तक राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर बैठे रहे. केंद्र को आखिरकार कानूनों को रद्द करना पड़ा.

राजस्थान के एक दूसरे आरएसएस पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया: “विचार यह है कि जितना संभव हो सके दूरदराज के गांवों में भी, अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचना है. हम कृषि समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार को ज्ञापन सौंप रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में इन मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से उठाने के लिए, हम युवा किसानों को बीकेएस का सदस्य बनाने पर विचार कर रहे हैं. स्थानीय स्तर पर कुछ इकाइयों ने पहले ही सदस्यता अभियान शुरू कर दिया है.”

उन्होंने आगे कहा, “अभी तक बीकेएस के 30 लाख सदस्य हैं”.

पदाधिकारी के अनुसार, इस अभियान के तहत कवर किए जाने वाले कुछ प्रमुख राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि चुनावी राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में सदस्यता अभियान जिला स्तर पर पहले ही शुरू हो चुका है और यह 15 सितंबर तक जारी रहेगा.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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