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मनोज तिवारी बोले- PM मुसलमानों को निशाना नहीं बना रहे, बल्कि संपत्ति छीनने की कांग्रेस की योजना को बेनकाब कर रहे

एक साक्षात्कार में, तिवारी ने 'भ्रष्टाचार' के लिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल की भी आलोचना की और उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस के कन्हैया कुमार को 'टुकड़े-टुकड़े गिरोह' का हिस्सा बताया.

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की फाइल फोटो । पीटीआई

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘मंगलसूत्र’ वाले तंज से मुस्लिम समुदाय को निशाना नहीं बना रहे हैं, बल्कि कांग्रेस के असली रंग को उजागर कर रहे हैं, जो निजी संपत्ति छीनकर मुसलमानों को सौंपने की योजना बना रही है.

तिवारी तीसरी बार उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के कन्हैया कुमार से है, जिन्हें इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन प्राप्त है.

हाल ही में, मोदी ने चुनावी रैलियों में कांग्रेस पर हमला किया है और आरोप लगाया है कि पार्टी ‘मंगलसूत्र’ और सोना छीन लेगी, ताकि इन्हें “घुसपैठियों” और “जिनके अधिक बच्चे हों” के बीच फिर से वितरित किया जा सके.

इस बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा, ‘पीएम मुसलमानों को नहीं बल्कि कांग्रेस की नफरत फैलाने वाली विचारधारा को निशाना बना रहे हैं.’

उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस कह रही है कि वह ‘एक्स-रे’ कराएगी और देश की संपत्ति को भारत में मुसलमानों के बीच दोबारा बांटेगी, तो इस बात को उजागर करने की जरूरत है कि उसका इरादा क्या है.” वह “90 प्रतिशत आबादी” को धन का पुनर्वितरण करने से पहले जाति जनगणना – एक “एक्स-रे” – आयोजित करने पर राहुल गांधी की टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे.

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तिवारी ने कहा, ‘कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यक का मतलब मुसलमान है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान देखिए, जिन्होंने कहा था कि संसाधनों पर पहला दावा मुसलमानों का है. कांग्रेस ने मुसलमानों को वोट बैंक तो बनाया लेकिन उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया.”

भाजपा सांसद “अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं व बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रमों” को प्राथमिकता देने पर सिंह की 2006 की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे. “हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से अधिकार मिले. संसाधनों पर उनका पहला दावा होना चाहिए,” उन्होंने उस समय कहा था, पीएमओ ने बाद में स्पष्ट किया कि ‘उन्होंने’ सभी अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए कार्यक्रमों का उल्लेख किया था.

अपनी स्थिति का बचाव करते हुए, तिवारी ने आगे कहा, “अगर हम यह मुद्दा उठाते हैं कि आप दंगे पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम मुसलमानों को निशाना नहीं बना रहे हैं, बल्कि उन्हें जागरूक कर रहे हैं. किसी की संपत्ति लेकर किसी और को देने की हिम्मत किसमें है? इसका मतलब है कि आप गृह युद्ध पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”

तिवारी ने आगे कहा कि बीजेपी न केवल 2024 का लोकसभा चुनाव बल्कि 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव भी जीतेगी. उन्होंने कहा, “केंद्र में पीएम मोदी के साथ, राज्य स्तर पर भाजपा सरकार अकेले एक कार्यकाल में दिल्ली की अधिकांश समस्याओं को हल करने में सक्षम होगी.”

तिवारी ने पहली बार 2014 में 45.38 प्रतिशत वोट हासिल करके उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट जीती, जहां बड़ी मुस्लिम आबादी है, उनके बाद आम आदमी पार्टी (आप) के आनंद कुमार थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में, तिवारी ने 53.86 प्रतिशत वोट हासिल करके पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस दूसरे और AAP तीसरे स्थान पर रही.

केजरीवाल जैसे ‘भ्रष्ट’ नेताओं को सहानुभूति नहीं मिल सकती

तिवारी ने जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा, ”केजरीवाल जैसे भ्रष्ट (नेताओं) को कोई सहानुभूति नहीं मिल सकती. जमानत के लिए आवेदन करने का विकल्प हमेशा मौजूद रहता है. लेकिन जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि आप अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्त हो गए हैं.”

भाजपा 2021-22 दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा केजरीवाल के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर आम आदमी पार्टी, जिसका चुनावी मुद्दा स्वच्छ शासन रहा है, को घेरने की कोशिश कर रही है,.

विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए ईडी और सीबीआई का “दुरुपयोग” करने के भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए तिवारी ने कहा, “भाजपा एक राजनीतिक दल है. हम भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे उठाते हैं और अदालत बाद में फैसला लेती है.”

“भाजपा के पास ऐसे कई नेताओं के उदाहरण हैं जिन्होंने केवल कुछ आरोप लगने के बाद इस्तीफा दे दिया. ऐसी नैतिकता दूसरों में क्यों नहीं है? एल.के. आडवाणी ने डायरी ‘कांड’ (जैन हवाला) को लेकर इस्तीफा दिया था; मदन लाल खुराना ने इस्तीफा दे दिया था. (नेताओं) द्वारा नैतिक (उच्च) आधार अपनाने के उदाहरण केवल भाजपा में ही क्यों पाए जाते हैं?” तिवारी ने इस बात पर जोर देते हुए पूछा कि कई भाजपा मंत्रियों ने उन मामलों में आरोपी होने के बाद अपना पद खो दिया.

“कन्हैया कुमार ने लगाए देश विरोधी नारे”

तिवारी ने अपने प्रतिद्वंद्वी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर भी हमला बोलते हुए कहा, “हमारे भारत के युवा ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह के पक्ष में नहीं हो सकते.”

2016 में, जब जेएनयू के छात्रों ने 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की 2013 की मौत की सजा पर सवाल उठाते हुए एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया, तो उन्हें ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह का नाम दिया गया, यह शब्द तब से भाजपा द्वारा अपने कई राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया है.

यह बताते हुए कि ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह देश को विभाजित करना चाहता है, तिवारी ने कहा, “भारत का युवा देश को मजबूत करने के लिए है, कमजोर करने के लिए नहीं. भारत के युवा आतंकवाद और आतंकवादियों को बढ़ावा देने के लिए नहीं हैं, बल्कि देश को मजबूत करने के लिए हैं.”

“पहले, देश विभाजित था. पाकिस्तान बना. बांग्लादेश बना. उन्होंने कहा, ”भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह” के नारे जेएनयू परिसर में लगाए गए और जिसने नारे लगाए, वह चुनाव लड़ रहा है.”

2016 के विरोध प्रदर्शन के बाद, दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि कन्हैया कुमार ने “देश-विरोधी नारे” लगाए और उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, कुमार को जमानत मिल गई, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने की उनकी कोई रिकॉर्डिंग नहीं थी. मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है.

“भारत में न्यायिक व्यवस्था थोड़ी धीमी है. बहुत सारे मामले हैं. लेकिन, उन्हें (कुमार को) सजा जरूर मिलेगी,” तिवारी ने कहा. “मुझे नहीं लगता कि भारत का कोई भी युवा या भारत से प्यार करने वाला कोई भी भारतीय ‘टुकड़े-टुकड़े’ विचारधारा में विश्वास करने वाले किसी व्यक्ति का समर्थन करेगा.”

तिवारी ने कहा कि जो लोग आम तौर पर भाजपा के खिलाफ वोट करते हैं वे अब बीजेपी को वोट देंगे क्योंकि “विरोधी व्यक्तित्व” वाले कन्हैया कुमार जैसा व्यक्ति लड़ रहा है.

यह पूछे जाने पर कि पार्टी दिल्ली में सत्ता से बाहर क्यों है, भाजपा सांसद ने कहा, “केजरीवाल आए और इतने ऊंचे वादे किए कि लोग प्रभावित हो गए और उन्हें वोट दे दिया. लेकिन लोगों को अहसास हो गया है कि भाजपा के तहत दिल्ली का विकास हो सकता है.

AAP, जिसने 2013 में अपना पहला चुनाव लड़ा था, ने दो बार निर्णायक बहुमत के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता है – पहले 2015 में 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटें जीतकर, और फिर 2020 में 62 सीटें जीतकर. इसने 2022 में पंजाब में 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटें जीतकर सफाया कर दिया. पार्टी ने पिछले साल दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी जीत हासिल की थी.

“अब, कांग्रेस और AAP गठबंधन में हैं. जब वे जनता से वोट मांगने जायेंगे तो लोग जरूर पूछेंगे कि दो दशक में उन्होंने क्या किया. एक बार मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो दिल्ली में भाजपा की बहुमत वाली सरकार बनेगी और दिल्ली की समस्याएं एक कार्यकाल में ही हल हो जाएंगी.”

यह पूछे जाने पर कि क्या आम आदमी पार्टी में केजरीवाल जैसा सीएम चेहरा नहीं होने से दिल्ली में बीजेपी की संभावनाएं प्रभावित होंगी, तिवारी ने कहा, “हमारा कोई भी कार्यकर्ता सीएम बन सकता है जैसा कि कई राज्यों में हुआ है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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