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राहुल गांधी बोले- पीएम मोदी बताएं आगे का क्या है प्लान, लॉकडाउन तो हो गया फेल

राहुल बोले पहले प्रधानमंत्री जी फ्रंट फुट पर थे, मगर अब वो नजर नहीं आ रहे, जबकि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि वह क्या करेंगे और उनकी आगे की रणनीति एवं प्लान बी क्या है?’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की फाइल फोटो | पीटीआई

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बढ़ते संक्रमण के बीच लॉकडाउ को पूरी तरह फेल बताया है. राहुल ने कहा देश में चार चरणों में लगाए गए लॉकडाउन का लक्ष्य पूरा नहीं कर सका है. मंगलवार उन्होंने मीडिया से बातचीत के बीच कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि ‘विफल लॉकडाउन’ के बाद अब कोरोना संकट से निपटने और जरूरतमंदों को मदद देने के लिए उनकी रणनीति क्या है?

उन्होंने यह भी कहा कि अगर गरीबों, मजदूरों और छोटे एवं मझोले कारोबारों की तत्काल मदद नहीं की गई तो यह घातक साबित होगा और ऐसे में केंद्र सरकार को देश के आर्थिक रूप से कमजोर 50 प्रतिशत लोगों (13 करोड़ परिवार) को तत्काल 7500 रुपये मासिक की नकद सहायता तथा राज्यों को उचित मदद करनी चाहिए.

60 दिन बाद भी फेल लॉकडाउन

गांधी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘मोदी जी ने 21 दिन में कोरोना की लड़ाई जीतने की बात कही थी. लगभग 60 दिन हो चुके हैं. हिंदुस्तान पहला देश है, जो बीमारी के बढ़ने के बाद लॉकडाउन हटा रहा है. दुनिया के बाकी देशों ने लॉकडाउन तब हटाया, जब बीमारी कम होनी शुरू हुई.’

उन्होंने दावा किया, ‘ऐसे में ये स्पष्ट है कि हमारे यहां लॉकडाउन विफल हो गया है. जो लक्ष्य मोदी जी का था, वो पूरा नहीं हुआ.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अगर लॉकडाउन के बारे में प्रधानमंत्री जी से भी पूछा जाएगा, तो वो भी मानेंगे कि ये विफल हो गया. पहले प्रधानमंत्री जी फ्रंट फुट पर थे, मगर अब वो नजर नहीं आ रहे, जबकि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि वह क्या करेंगे और उनकी आगे की रणनीति एवं प्लान बी क्या है?’

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गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के मकसद से 24 मार्च को पहले चरण का लॉकडाउन घोषित हुआ था. फिलहाल लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है जो 31 मई को खत्म होगा.

देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 4,167 हो गई है. वहीं, संक्रमण के मामले बढ़कर 1,45,380 हो गए हैं.


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केंद्र नहीं कर रही राज्यों की मदद

केंद्र सरकार से राज्य सरकारों के लिए मदद की मांग करते हुए गांधी ने कहा, ‘कुछ राज्यों में हमारी सरकार है, हम किसानों, मजदूरों को सीधे नकद सहायता दे रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. केंद्र सरकार के पर्याप्त सहयोग के बिना हमारे राज्यों के लिए कार्य करना कठिन होता जा रहा है.’

सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को लेकर उन्होंने दावा किया कि यह जीडीपी के एक प्रतिशत से भी कम है और उसमें भी ज्यादातर कर्ज है, नकद सहायता बहुत कम है.

एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा, ‘एक राष्ट्रीय नेता के रूप में यह कहना खेदजनक है लेकिन कहना चाहता हूं कि अगर मदद नहीं मिली तो एमएसएमई दिवालिया हो जाएंगे, लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसलिए हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि एमएसएमई इकाइयों और गरीबों को आर्थिक सहायता की आवश्यकता है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह घातक होगा.’

कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया कि सरकार के नीति निर्धारक अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भारत की रेटिंग कम करने की चिंता को देखते हुए लोगों को नकद सहायता नहीं दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात को दोहरा रहा हूं कि हिंदुस्तान की शक्ति बाहर से नहीं, बल्कि देश के भीतर से बनती है. जब देश मजबूत होता है, तब हमारी छवि बनती है. इसके लिए हमारे 50 प्रतिशत गरीब परिवारों को 7500 रुपये मासिक की मदद देनी होगी.’


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तो यूपी तक पैदल चला जाऊं

हालांकि इस दौरान राहुल कभी गुस्से में तो कभी मजाकिया मूड में भी नजर आए. जब एक पत्रकार ने उनसे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के राहुल की मजदूरों की बातचीत को ड्रामेबाजी बताया तो उन्होंने कहा मेरा लक्ष्य केवल एक है.श्रमिकों से अपनी बातचीत का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा, ‘लोगों को लगता है कि उनका भरोसा टूट गया है. मेरा मानना है कि अमीर, गरीब या हिंदू, मुस्लिम या सिख, किसी का भरोसा नहीं टूटना चाहिए. हम अभी भी काम कर सकते हैं, गरीबों की मदद कर सकते हैं.’

मैं मजदूरों के दिल में क्या चल रहा है, यह समझने की कोशिश कर रहा हूं और सच कहूं तो मुझे इसका बहुत फायदा भी हुआ है. और जहां तक मदद की बात है मैं अपनी तरफ से मदद करता रहता हूं. इस बीच उन्होंने निर्मला का नाम लिए बिना कहा कि अगर वो कहें तो मैं जरूर बैठ उठाकर भी ले जाऊंगा और एक दो नहीं 10-15.

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर वो (निर्मला) चाहती हैं कि मैं यहां से उत्तर प्रदेश चला जाऊं. वह मुझे वहां जाने की अनुमति दें तो मैं पैदल ही यहां से चल पड़ूंगा. और जितने लोगों की मदद मैं रास्ते में कर सकूंगा, करूंगा.

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