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‘मुझे लगा मज़ाक है’, ममता बनर्जी की भाभी को नहीं पता था कि उन्हें निकाय चुनाव का टिकट मिल गया है

दिप्रिंट की टीम पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की भाभी- जिनकी परिवार से नई नई राजनीति में एंट्री हुई है- कजरी के साथ उनके चुनाव प्रचार में गई.

कोलकाता में 27 नवंबर को साथी कैंडीडेट्स असीम बोस के साथ, कजरी बनर्जी (दाएं) अपने पति कार्तिक (केंद्र में)

कोलकाता: दूसरे कमरे में बैठी कजरी बनर्जी को 10 मिनट पहले तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी कोलकाता नगर निगम चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जिस लिस्ट पर अपनी मुहर लगाई है उसमें उनका भी नाम है.

वॉर्ड संख्या 73 की गलियों में घूमते हुए कजरी बनर्जी ने दिप्रिंट को बताया कि जब उन्हें मुबारकबाद देने के लिए एक फोन आया तो उन्हें यह सब मज़ाक लगा. लेकिन बाद में शुभकामनाएं देने के लिए अन्य नेताओं के भी फोन आने लगे, तो पता करने पर सूचना मिली कि यह खबर सही है. इस वॉर्ड से 19 दिसंबर से वह अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत करेंगी.

आगे उन्होंने कहा,’दीदी कभी भी परिवार के साथ पार्टी का कोई ब्योरा शेयर नहीं करतीं. मीटिंग के बाद मैं उनके पास गई, मेरी आंखें लगभग फटी जा रही थीं. दीदी ने कहा कि उन्होंने मुझे ये नई जिम्मेदारी दी है और उनके मुताबिक मैं इसे कर सकती हूं. यह मेरे लिए काफी भावुक क्षण था.’

53 वर्षीय कजरी, बनर्जी परिवार से राजनीति में आने वाली सबसे नई शख्स हैं, और ममता बनर्जी के बाद परिवार की दूसरी महिला हैं.

कजरी जहां से चुनाव लड़ रही हैं उसी इलाके में उनका जन्म हुआ और वह वहीं पली-बढ़ी हैं. साल 1993 में ममता के भाई कार्तिक बनर्जी के साथ उनका विवाह हुआ. कजरी ने कहा, ‘मेरी शादी के बाद से मैंने दीदी को राजनीतिक लड़ाइयां लड़ते देखा है. मैं शादी के बाद से ही उनके लिए प्रचार भी कर रही हूं. हमारे घर पर राजनीति जीवन जीने की कला है. हर सुबह हम उठने के बाद दीदी को लोगों से जुड़ते हुए और उनकी समस्याएं सुनते हुए देखते थे.’

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‘ममता बनर्जी मेरी ताकत हैं’

जब उनसे पूछा गया कि क्या ममता ने उन्हें अपने पहले चुनाव के लिए कोई सुझाव दिए हैं तो कजरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘दीदी ने मुझसे कहा है कि सभी लोगों से मिलो, उनकी बातें सुनो और अगर उन्हें कोई शिकायत या समस्या है तो उन पर ध्यान दो और एक-एक करके चुनाव के बाद उन पर काम करो’

उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी मेरी ताकत हैं और मेरे पति मेरे स्तंभ हैं. बिना उनके और मेरे बेटे के समर्थन के मैं अपने आप से ऐसा नहीं कर पाती. कजरी के पति कार्तिक बनर्जी कोलकाता में राजनीतिक क्षेत्र में एक जाना-माना चेहरा हैं, भले ही वह कभी किसी चुनाव में खड़े नहीं हुए. कजरी का बेटा डॉक्टर है.’

कजरी ने कहा, ‘दीदी ने मुझसे कहा है कि बिना खाए कभी भी चुनाव प्रचार के लिए न निकलूं. इस उम्र में भी दीदी ऊर्जा से भरी रहती हैं. पिछले कुछ दिनों से मैं उनसे नहीं मिल पाई हूं, क्योंकि आज कल वे दूसरे राज्यों में पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में लगी हुई हैं और वह काफी व्यस्त रहती हैं. लेकिन रविवार को हम एक साथ जाकर मतदान करेंगे.’

कजरी घर-घर जाकर प्रचार पर करने पर फोकस कर रही हैं जबकि उनके पति नुक्कड़ सभाएं आयोजित कर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.

कोलकाता में डोर-टू-डोर कैंपेन के दौरान टीएमसी नेता कजरी बनर्जी । फोटोः श्रेयसी डे । दिप्रिंट

कैंपेन जारी है

चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में जब कि कार्यकर्ता उनकी कार के आने का इंतज़ार कर रहे थे, तब कजरी पैदल ही टहलते हुए पार्टी ऑफिस पहुंच गईं.

जैसे ही वह एक चाय की दुकान से गुजरीं उन्होंने चाय वाले को याद दिलाया की उनकी एक चाय उधार है और वह चुनाव बाद पीने आएंगी. उन्होंने स्कूल के बाहर अपने बच्चों का इंतज़ार कर रही माताओं से भी हल्के-फुल्के तरीके से बात की और उनकी खैर-खबर ली.

पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को अपने साथ लिए हुए जैसे ही वह किसी के घर पहुंचती है तो मुस्कुराते हुए अंदर घुसती हैं. एक जगह पर उनके समर्थकों को बीजेपी का झंडा गिरा हुआ दिखा तो उन्होंने कहा कि वे इसे किनारे कहीं सुरक्षित जगह पर रख दें, क्योंकि इस पर होकर कारें आएंगी जाएंगी.

कोलकाता में डोर-टू-डोर कैंपेन के दौरान टीएमसी नेता कजरी बनर्जी । फोटोः श्रेयसी डे । दिप्रिंट

जब उनके कार्यकर्ताओं ने उन्हें पतली गलियों में जाकर लोगों से मिलने को कहा तो उन्होंने एक मुस्कुराहट के साथ ऐसा ही किया, एक बच्चे को ‘फ्लाइंग किस’ दिया और बुजर्गों का आशीर्वाद लिया.

वार्ड में टीएमसी के मौजूदा पार्षद रतन मालाकर को इस बार टिकट नहीं दिया गया. पहले तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि, पार्टी हाई कमान के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. इसके बावजूद वह क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं. वहां रहने वालों लोग कजरी को उनका उदाहरण देते हुए पूछते हैं कि क्या वह उनकी तरह लोगों की पहुंच में रहेंगी.

वार्ड 73 की एक निवासी ने कजरी को बताया जब कभी भी किसी ने भी मालाकर के दरवाजे पर मदद के लिए दस्तक दी तो वे तुरंत हाजिर हो जाते थे. आगे महिला ने कजरी से पूछा कि, ‘अगर हम लोगों को कभी आपसे मदद की जरूरत पड़ी तो क्या आप मिल पाएंगी.’

कजरी ने कहा,’मुझे एक मौका दीजिए और देखिए- आपको निराश नहीं होना पड़ेगा. मैं ऑफिस में हर दिन उपलब्ध रहूंगी. आपको जो भी समस्या होगी मैं उसका निराकरण करूंगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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