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SSC घोटाले के बाद ममता बनर्जी का सभी पर आरोप, ज़ाहिर है, जिम्मेदारी मतदाताओं की है

बीते 1,138 दिनों से कम से कम 5,000 लोग मध्य कोलकाता में धरने पर बैठे हैं. सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं.

उत्तर बंगाल में एक अभियान रैली के दौरान ममता बनर्जी की प्रतिकात्मक तस्वीर | क्रेडिट: एक्स/@AITCofficial
उत्तर बंगाल में एक अभियान रैली के दौरान ममता बनर्जी की प्रतिकात्मक तस्वीर | क्रेडिट: एक्स/@AITCofficial

पिछले दिसंबर की एक ठंडी सर्दियों की दोपहर में मैंने टीवी पर अपनी आंखों के सामने सबसे दर्दनाक मंज़र देखा था : एक महिला, जिनकी उम्र लगभग 30 वर्ष होगी, धर्मतला में ‘धरना मंच’ पर ज़मीन पर बैठी थीं और बुरी तरह से रो रहीं थीं क्योंकि एक व्यक्ति ने नाई के धार वाले उस्तरे से उनके लंबे घने काले बाल काट दिए थे.

रश्मोनी पात्रा, जो अपना सिर मुंडवा रहीं थीं, एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका बनने का मौका खोने के बाद न्याय की मांग कर रही थीं, जिसके लिए वे योग्य थीं, उस अयोग्य उम्मीदवार के मुकाबले, जिसने किसी को बड़ी रकम का भुगतान किया था. कोई दूसरा आदमी उसके बगल में बैठ कर खूब रो रहा था और पास ही खड़ी एक अन्य महिला भी रो रही थी. खामोशी के कफन में लिपटे हुए, हर कोई अपने-अपने दुख में था.

मुझे एमए बीएड की उस अभ्यर्थी रश्मोनी पात्रा का दर्द महसूस हुआ — प्रताड़ित, बीमार, और मैं अकेली नहीं थी, जिन लोगों ने भी इस त्रासदी को सामने से या टीवी पर देखा, वे रो पड़े थे.

1,000 दिनों से मध्य कोलकाता में फुटपाथ पर इंतज़ार कर रही रश्मोनी की हिम्मत कहां रुकती?

30 साल तक टेलीविजन में काम करने के बाद, मैं तस्वीरों में कहानी सोचने की प्रवृत्ति रखती हूं. तो, जब मैंने खुद से यह सवाल पूछा तो जो तस्वीर तुरंत मेरे दिमाग में उभरी वो यह थी: एक गुलाबी पहाड़. उत्तरी कोलकाता के एक साधारण अपार्टमेंट के फर्श पर 2000 रुपये के गुलाबी नोटों के ऊंचे ढेर लगे हुए हैं, कथित तौर पर यह एक युवा फिल्म स्टार और एक मंत्री के बीच कई मुलाकातों वाली जगह थी, जिन्होंने संभवतः जेल में अपना 70वां जन्मदिन मनाया था.

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पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के आवास पर छापेमारी के बाद धन बरामद | एएनआई/फोटो

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घोटाला जो सभी को याद है

हम पार्थ चटर्जी की बात कर रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री थे, जो हमेशा से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दाहिने हाथ थे – 23 जुलाई 2022 को अपनी गिरफ्तारी तक. उस दिन मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल जाते समय, उन्होंने घबराहट में बनर्जी को फोन किया था. चटर्जी ने संवाददाताओं से बेहद ‘भेबचेका’ अंदाज़ में कहा कि दीदी जवाब नहीं दे रही हैं. भेबचेका का अंग्रेज़ी में अनुवाद करना मुश्किल है.चलिए इसे ही रखते हैं.

पार्थ चटर्जी सहित, 28 लोग राज्य के सरकारी स्कूलों में नौकरियों के लिए लाखों आवेदकों के साथ की गई कथित धोखाधड़ी के सिलसिले में जेल में हैं. कितनी नौकरियां? संख्याओं का मिलान करना मुश्किल है क्योंकि हम ग्रुप सी और ग्रुप डी नौकरियों और शिक्षकों और सहायक शिक्षकों की बात कर रहे हैं. हालांकि, अनुमान है कि 2016 में लगभग 25,000 पदों के लिए लगभग 19 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी. सफल उम्मीदवारों की लिस्ट छपी तो थी, लेकिन यह क्रमवार योग्यता सूची नहीं थी. कथित तौर पर, जिन उम्मीदवारों ने उत्तर पुस्तिकाएं खाली जमा की थीं, वे उस सूची में थे. ऐसे उम्मीदवारों की प्रतीक्षा सूची भी थी जिन्हें पद खाली रहने पर लिया जाएगा.

आपमें से कितने लोगों को मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला याद है? प्रभावित लोगों को छोड़कर शायद बहुत से लोग नहीं. डिटेल्स मुश्किल थीं,जैसी कि एसएससी घोटाले में हैं. हालांकि, 22 अप्रैल के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश ने इसमें से अधिकांश को आसान किया है.

यह 282 पन्नों का आदेश है जो कि सीबीआई की जांच पर आधारित है, जो शिक्षा बोर्ड, स्कूल सेवा आयोग, ऑप्टिकल मार्क रीडिंग (ओएमआर) उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के प्रभारी निजी संगठनों और यहां तक कि कैबिनेट की संलिप्तता की ओर इशारा करता है. यह महसूस करने के बाद कि अयोग्य लोगों ने फर्जी तरीके से योग्य उम्मीदवारों की सूची में जगह बनाई, उन्होंने उस समस्या का समाधान नहीं किया, और इसके बजाय उन उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त पद या अतिरिक्त रिक्तियां बनाकर स्थिति पर काबू पाने की कोशिश की, जो ऐसा कर सकते थे, अगर कोई धोखाधड़ी नहीं हुई होती.


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पीड़ितों को न्याय के लिए लंबा इंतज़ार

फैसले से रश्मोनी पात्रा और न्याय का इंतज़ार कर रहे हज़ारों अन्य लोगों को कोई राहत नहीं मिली है. 2016 की परीक्षा के नतीजों के अनुसार, शिक्षक और गैर-शिक्षण स्कूल कर्मचारी के रूप में नियुक्त 25,753 लोगों के लिए अदालत का आदेश गंभीर खबर है. अदालत के आदेश में कहा गया है कि उनकी सभी नियुक्तियां अब अमान्य हैं. इससे भी बदतर, जैसे-जैसे वकील आदेश की व्याख्या करते हैं, यह आशंका बढ़ती जा रही है कि उनमें से सभी या कुछ को 4 सप्ताह में 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अपनी सैलरी राज्य को वापस करना होगी.

उनके सिर पर वज्र गिर गया है, जैसा कि बंगाली कहते हैं — माथाये बाज. मुझे नहीं पता कि अन्य भाषाओं में इसका कोई अर्थ है या नहीं. अंग्रेज़ी में इसे ‘बोल्ट फ्रॉम द ब्लू’ बहुत मामूली है. मूलतः इसका अर्थ अंत है.

चिंताजनक बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में पीड़ितों ने सामूहिक आत्महत्या की धमकी दी है. उनका कहना है कि उनके पास आवास ऋण, बच्चे, बीमार माता-पिता और देखभाल के लिए परिवार हैं. उनका कहना है कि वे कुछ धोखेबाज उम्मीदवारों के कारण पीड़ित हैं, जिन्हें रिश्वत के बदले में नौकरियां मिलीं, जो संभवतः पार्थ चटर्जी के दोस्त के अपार्टमेंट में पाए गए 51 करोड़ रुपये के गुलाबी पहाड़ का हिस्सा थे.

वे घोटाले के पीड़ित हैं जिसने हाई कोर्ट को बड़े पैमाने पर छंटनी का आदेश देने के लिए मजबूर किया है, जैसा कि आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है, अनाज को भूसी से अलग करने में असमर्थ हैं क्योंकि स्कूल सेवा आयोग ने कथित तौर पर जानबूझकर अपनी चीज़ों को ढंक लिया था. उदाहरण के लिए 2016 में एसएससी ने फैसला लिया कि उत्तर पुस्तिकाएं एक साल के भीतर नष्ट कर दी जाएंगी. कई साल बाद जब घोटाले की जांच शुरू हुई, तब तक महत्वपूर्ण सबूत खो गए थे, जिससे अदालत के पास वास्तविक उम्मीदवारों को धोखाधड़ी से अलग करने का कोई साधन नहीं रह गया था.

आज, आयोग के अध्यक्ष (हाल ही में नियुक्त, पिछले अध्यक्ष तो जेल में हैं) का कहना है कि उन्होंने अदालत में 5,300 से अधिक नाम सौंपे हैं जो रिकॉर्ड के अनुसार धोखाधड़ी वाले थे जिन्हें वे बचाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन वे इस बात की पुष्टि करने को तैयार नहीं थे कि 2016 की परीक्षा के आधार पर नियोजित शेष 20,453 उम्मीदवार — कुल 25,753 में से 5,300 संभावित धोखाधड़ी) — 100 प्रतिशत योग्य हैं.

CM का सभी पर आरोप

अगर यह काफी नहीं था, तो इस घोटाले और उस त्रासदी के चारों ओर घूम रही खेदजनक राजनीति है जिसने उन हज़ारों लोगों को प्रभावित किया है जिन्होंने तकनीकी रूप से सोमवार से अपनी नौकरी खो दी और अन्य हज़ारों जो न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर हैं.

ममता बनर्जी स्कूल की नौकरियां छीनने के लिए बाकी सभी को दोषी ठहरा रही हैं: भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी. उन्होंने पिछले हफ्ते दावा किया था कि सोमवार को होने वाले विस्फोट से टीएमसी हिल जाएगी. सोमवार के अदालती फैसले के बाद, बनर्जी अधिकारी पर 25,000 से अधिक नौकरियां हड़पने का आरोप लगा रही हैं. भाजपा के राज्य प्रमुख सुकांत मजूमदार ने योग्य उम्मीदवारों को सभी कानूनी सहायता देने का वादा किया है. अधिकारी बनर्जी का इस्तीफा और गिरफ्तारी चाहते हैं. बहुत हल्के शब्दों में कहें तो कांग्रेस और सीपीआई-एम भी ऐसे ही हैं.

अधिकारी के अलावा, बनर्जी के क्रोध का शिकार सेवानिवृत्त न्यायाधीश से भाजपा के तामलुक उम्मीदवार अभिजीत गांगुली भी हैं, जिनके एकल न्यायाधीश के आदेश से एसएससी घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया था. इस मुद्दे पर अदालत में जाने के लिए सीपीआई-एम भी बनर्जी की आलोचना कर रही है.

लेकिन उनका सबसे जोरदार हमला कलकत्ता हाई कोर्ट और जजों पर है. सोमवार से, उन्होंने उन्हें क्रमशः “भाजपा अदालतें” और “भाजपा द्वारा चयनित न्यायाधीश” करार दिया है और आदेश को “अवैध” कहा है.

तो फिर बात कहां रुकती है?

अब 1,138 दिनों से कम से कम 5,000 लोग मध्य कोलकाता में महात्मा गांधी या मातंगिनी हाज़रा की प्रतिमा के पास धरने पर बैठे हैं, जिनमें रश्मोनी पात्रा भी शामिल हैं. वे किस उम्मीद पर टिकी हैं? सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर हैं जहां राज्य, एसएससी, माध्यमिक बोर्ड और कुछ व्यक्तियों का समूह नेतृत्व कर रहा है, लेकिन बात अभी भी बंद नहीं हुई है.

कोई ऐसा व्यक्ति जिसका मैं बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन उसे गुमनाम रहना चाहिए, उसने कहा कि जिम्मेदारी हम लोगों की है, हम लोगों की. हमें उस राजनीतिक नेतृत्व का चुनाव करना होगा जिसके हम वास्तव में हकदार हैं.

चुनावी मौसम में इस सवाल का इससे बेहतर जवाब कोई नहीं हो सकता.

(लेखिका कोलकाता स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका एक्स हैंडल @Monidepa62 है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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