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‘मोदी के करीबी’ एके शर्मा योगी 2.0 कैबिनेट में बने मंत्री, पहले शामिल करने पर नहीं बन पाई थी सहमति

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 18 साल तक काम किया है, उन्हें 'राजनीतिक गलियारे' में 'मोदी के आदमी' के तौर पर जाना जाता है.

एके शर्मा, फाइल फोटो |दिप्रिंट

लखनऊ: प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय (पीएमओ) अधिकारी रहे अरविंद कुमार शर्मा ने शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश कैबिनेट में मंत्री के तौर पर शपथ ली.

शर्मा ने सक्रिय राजनीति में शामिल होने के लिए जनवरी 2021 में अपने रिटायरमेंट के डेढ़ साल पहले पद से त्यागपत्र दे दिया था. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 18 साल तक काम किया है उन्हें ‘राजनीतिक गलियारे’ में ‘मोदी के आदमी’ के तौर पर जाना जाता है.

बाद में उन्हें यूपी बीजेपी इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. वर्तमान में वह राज्य की विधान परिषद के सदस्य हैं. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर वह वह इस साल 14 जनवरी को बीजेपी में शामिल हुए.

शर्मा 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वह 2001 से जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने हैं तभी से उनके साथ नजदीकी से काम किया है.

शर्मा ने प्रधानमंत्री ऑफिस को 2014 के बाद संयुक्त सचिव के तौर पर ज्वाइन करने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दीं थी.

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एके शर्मा उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 1962 में पैदा हुए और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को आने से पहले वहां स्कूलिंग की. 1988 में सिविल सर्विसेज ज्वाइन करने से पहले राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की.

उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात कैडर में आईएएस तौर पर थी जहां वह सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) बने. वह 1995 में मेहसाणा के जिला मजिस्ट्रेट बने. शर्मा एक सचिव के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री के ऑफिस में 2001 में शुरुआत की और केंद्र में आने से पहले वहा 2014 तक वहां बने रहे.

शर्मा एक लो-प्रोफाइल अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं. कहा जाता है कि उन्होंने ‘वाइब्रेंट गुजरात’ निवेशक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसने गुजरात में विदेशी निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. शर्मा को 2008 में टाटा नैनो संयंत्र को पश्चिम बंगाल के सिंगूर से गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भी श्रेय दिया जाता है.

2014 में, शर्मा संयुक्त सचिव के रूप में पीएमओ में शामिल हुए और बाद में 2017 में उन्हें अतिरिक्त सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया. मई 2020 में, शर्मा को कोविड-19 से य बुरी तरह प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय का प्रभार दिया गया था.

पूर्व के सीएम योगी के मंत्रिमंडल में शामिल करने के विरोध को लेकर देखने वाली बात यह होगी कि शर्मा के साथ सीएम योगी के संबंध कैसे रहते हैं.

योगी मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर हो चुका है विवाद

गौरतलब है कि यह वही एके शर्मा हैं जिन्हें सीएम योगी ने 2022 चुनाव से पहले अपने मंत्रिमंडल में एके शर्मा को शामिल करने से मना कर दिया था, जिसको लेकर पीएमओ से सीएम योगी की काफी खींचतान हुई थी. हालांकि इस बार उन्हें योगी के मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है.

शर्मा को उत्तर प्रदेश कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान इसे मैनेज करने के लिए राहत कार्य के लिए वाराणसी भेजा गया, जो कि प्रधानमंत्री का चुनावी क्षेत्र है. इस दौरान उनके काम को काफी सराहा गया, तभी से सरकार में उनको बड़ी जिम्मेदारी देने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन पहली योगी सरकार में उन्हें जगह नहीं मिल पाई थई.

वहीं इसको लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अक्सर सीएम योग पर तंज कसते थे.

दो दशक से हैं मोदी के भरोसेमंद

एके शर्मा दो दशक से मोदी के भरोसेमंद अधिकारियों में से हैं. वे पीके मिश्रा के साथ, जो अब पीएम के प्रमुख
सचिव हैं, 2001 में गुजरात सीएमओ में आए थे, जब मोदी ने गुजरात का कार्यभार संभाला था. उस समय मिश्रा मोदी के प्रमुख सचिव थे, जबकि एके शर्मा उनके सचिव हुआ करते थे. शर्मा तब तक सीएमओ में रहे, जब तक मोदी 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर नहीं चले गए. इसके बाद वो भी पीएमओ में आ गए.

बता दें कि 2014 में वो बतौर संयुक्त सचिव पीएमओ में शामिल हुए थे और 2017 में उन्हें अतिरिक्त सचिव के तौर पर प्रमोट किया गया. अब वह अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं जिसकी चर्चा यूपी के पाॅलिटिकल सर्किल में जोर-शोर से है.


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(एएनआई और दिप्रिंट संवाददाता रहे प्रशांत श्रीवास्तव की कॉपी के इनपुट्स के साथ)

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