नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और दो राज्यों के राज्यपाल रह चुके हंसराज भारद्वाज का रविवार शाम निधन हो गया. 83 वर्षीय भारद्वाज को बुधवार को साकेत के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. यहीं उन्होनें अपने अंतिम सांस ली.
सोमवार शाम को 4 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्हें गुर्दा संबंधी परेशानियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. भारद्वाज के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं.
वे 2004 से 2009 तक केंद्रीय कानून मंत्री रहे. 2009 से 2014 तक कर्नाटक और 2012 से 2013 तक केरल के राज्यपाल रहे चुके हैं. इसके अलावा वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के तौर पर भी अपनी पहचान रखते थे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज के निधन पर सोमवार को दुख जताया और उनके लंबे राजनीतिक जीवन को याद किया. उन्होंने सांसद एवं कानून मंत्री के तौर पर भारद्वाज की सेवाओं को याद किया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की.
भारद्वाज कांग्रेस पार्टी के उन नेताओं में से रहे जिन्होंने हमेशा राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पार्टी में बड़ी भूमिका देने की वकालत करते रहे.
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प्रधानमंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हंसराज भारद्वाज के निधन पर रविवार को दुख जताया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी के हवाले से ट्वीट किया, ‘पूर्व मंत्री हंसराज भारद्वाज के निधन से दुखी हूं. दुख की इस घड़ी में मैं उनके परिवार और शुभचिंतकों से संवेदना जताता हूं.’ वहीं कानून मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने भारद्वाज के निधन पर शोक प्रकट किया.
Anguished by the passing away of former Minister Shri Hans Raj Bhardwaj. My thoughts are with his family and well-wishers in this hour of grief. Om Shanti: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 8, 2020
राहुल को नेता मानने से किया था इंकार
नवंबर 2018 में उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि ‘मैं राहुल गांधी को एक नेता के रूप में स्वीकार नहीं करता. वह इस बात को तभी समझेंगे जब वह कोई पद प्राप्त करेंगे. कांग्रेस इसलिए फेल होती है क्योंकि वह धर्म की राजनीति में उलझ गई है. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी धर्म की राजनीति में नहीं उलझे. राहुल गांधी सीख रहे हैं. वह तब नेता बनेंगे जब जनता उनको स्वीकार करेगी.’
वहीं इसके पहले भी अप्रैल 2016 में उन्होंने बयान दिया था कि राहुल गांधी को अभी सीखने की आवश्यकता है. 2015 में भी उन्होंने राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने कहा था कि भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस बहुत कमजोर थी क्योंकि कांग्रेस और राहुल गांधी मैदान से पूरी तरह से अनजान थे.
वहीं 2014 में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद भी उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी में भीड़ को आकर्षित करने की क्षमता नहीं है.
प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी देने की पैरवी की थी
2014 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद भारद्वाज ने कहा था कि यदि कांग्रेस पार्टी में प्रियंका को पार्टी में बड़ी भूमिका सौंपी जाती है तो वह कांग्रेस को फिर से पुराने स्वरूप में लौटा सकती हैं. प्रियंका गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी हैं. वे ही पार्टी को फिर से पुनर्जीवित कर सकती हैं.
सोनिया पर भी कर चुके हैं जुबानी हमला
मार्च 2015 में भी पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सोनिया गांधी पर निशाना साधा था. उन्होंने कांग्रेस पार्टी की खस्ता हालत के लिए कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी को जिम्मेदार बताते हुए कहा था कि उन्होंने कोई जिम्मेदारी साझा नहीं की. वे चाटुकारों और भ्रष्ट लोगों से घिरी हुई हैं. उन्होंने मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा था कि, ‘यह बहुत दुख की बात है कि हमारे नेताओं को कोर्ट में बुलाया जा रहा है. यह पीएम के स्तर तक के नेताओं समेत शीर्ष स्तर तक हो रहा है.’
उन्होनें यह भी कहा था कि, ‘क्या सोनिया गांधी नहीं समझती कि क्या हुआ, क्या, क्यों और किसने यह सब किया. सभी को सब कुछ पता है. यही कार्यशैली है. जिम्मेदारी साझा नहीं करना और फिर भी सब कुछ करना.’