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फारूक़ अब्दुल्लाह ने कहा, जम्मू-कश्मीर में वही अधिकार होने चाहिए, जो बाक़ी देश में हैं, उसे भी 4जी चाहिए

लोकसभा में, नेशनल कॉनफ्रेंस लीडर फारूक़ अब्दुल्लाह ने पूछा, कि अगर भारत तरक़्क़ी कर रहा है, तो क्या जम्मू-कश्मीर को बाक़ी देश के साथ, तरक़्क़ी करने का अधिकार नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर/ फारक़ अब्दुल्ला/पीटीआई

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में कोई तरक़्क़ी नहीं हो रही है. देश के बाक़ी हिस्सों की तरह, इस इलाक़े में 4जी सुविधा उपलब्ध नहीं है, शनिवार को ये कहना था, नेशनल कॉनफ्रेंस लीडर फारूक़ अब्दुल्लाह का.

हिरासत से रिहा होने के बाद, पहली बार लोकसभा को संबोधित करते हुए, नेशनल कॉनफ्रेंस अध्यक्ष फारूक़ अब्दुल्लाह ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर की स्थिति ऐसी है कि जहां तरक़्क़ी होनी चाहिए थी, वहां कोई तरक़्क़ी नहीं है. आज हमारे बच्चों और दुकानदारों के पास, 4जी की सुविधा नहीं है, जो देश के बाक़ी हिस्सों में उपलब्ध है. वो कैसे पढ़ेंगे, कैसे शिक्षा हासिल करेंगे, जबकि आजकल हर चीज़ इंटरनेट पर है?’

अब्दुल्लाह ने कहा कि तरक़्क़ी करने के लिए, केंद्र-शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के पास वही अधिकार होने चाहिएं, जो बाक़ी देश के पास हैं. उन्होंने पूछा, ‘अगर भारत तरक़्क़ी कर रहा है, तो क्या जम्मू-कश्मीर को बाक़ी देश के साथ, तरक़्क़ी करने का अधिकार नहीं है?’

श्रीनगर से लोकसभा सांसद ने ये भी कहा, कि सेना ने मान लिया है, कि शोपियां में तीन लोग ग़लती से मार दिए गए थे, और सरकार को इसके लिए भारी मुआवज़ा देना चाहिए.


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‘भारत को हमारे पड़ोसी से बात करनी चाहिए’

सीमा पर हुई झड़पों की तरफ इशारा करते हुए, नेशनल कॉनफ्रेंस लीडर ने कहा, कि भारत को हमारे “पड़ोसी” (पाकिस्तान) से बात करनी चाहिए, जैसे हम चीन से बात कर रहे हैं.

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‘सीमा पर झड़पें बढ़ रही हैं, और हर रोज़ लोग मर रहे हैं. हमें इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना होगा…हमें कोई हल निकालना होगा. जिस तरह आप चीन से बात कर रहे हैं, उसी तरह हमें अपने पड़ोसी से बातचीत करके, कोई रास्ता निकालना चाहिए’.

तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने भी, जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया, और कहा कि उस इलाक़े की स्थिति चिंता का विषय है. उन्होंने ये भी मांग की, कि अभी तक हिरासत में चल रहे 230 राजनेताओं को, जिनमें पीडीपी लीडर महबूबा मुफ्ती भी हैं, रिहा किया जाना चाहिए.


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