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किसान आंदोलन चंपारण सत्याग्रह की तरह, हर किसान-श्रमिक अपना अधिकार लेकर रहेगा: राहुल गांधी

गांधी ने ट्वीट किया, ‘देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है. तब अंग्रेज ‘कम्पनी बहादुर’ था, अब मोदी-मित्र ‘कम्पनी बहादुर’ हैं.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी | ANI फाइल फोटो

नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की तुलना अंग्रेजों के शासन में हुए चंपारण आंदोलन से की और कहा कि आंदोलन में भाग ले रहा हरेक किसान एवं श्रमिक सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.

गांधी ने ट्वीट किया, ‘देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है. तब अंग्रेज ‘कम्पनी बहादुर’ था, अब मोदी-मित्र ‘कम्पनी बहादुर’ हैं.’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आंदोलन में भाग ले रहा हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.

महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किया था और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक आंदोलन माना जाता है.

तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इससे खेती और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

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किसानों ने ब्रिटिश शासनकाल में नील की खेती करने संबंधी आदेश और इसके लिए कम भुगतान के विरोध में बिहार के चंपारण में यह आंदोलन किया था.

उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बिजली के दामों में बढ़ोतरी एवं पराली जलाने पर जुर्माने के मुद्दों पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है.

हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद एक महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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